यूपी सचिवालय में निजी सचिव के खुद को गोली मारने से फिर सवालों के घेरे में सुरक्षा व्यवस्था, आंतिरिक जांच शुरू
उत्तर प्रदेश में सचिवालय परिसर की सुरक्षा-व्यवस्था को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े हो रहे हैं। बापू भवन सचिवालय के आठवें तल पर सोमवार को निजी सचिव विशम्भर दयाल के खुद को गोली मारने की घटना के बाद सुरक्षा में हुई चूक की आंतिरिक जांच शुरू की गई है।
लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश में सचिवालय परिसर की सुरक्षा-व्यवस्था को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े हो रहे हैं। बापू भवन सचिवालय के आठवें तल पर सोमवार को निजी सचिव विशम्भर दयाल के खुद को गोली मारने की घटना के बाद सुरक्षा में हुई चूक की आंतिरिक जांच शुरू की गई है। सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि निजी सचिव शस्त्र लेकर भीतर कैसे प्रवेश कर गए। चेकिंग में कहां और किस स्तर पर अनदेखी हुई।
लखनऊ स्थित सचिवालय में फर्जी प्रवेश पास के जरिये ठगों के बड़े-बड़े खेल उजागर हो चुके हैं। वर्ष 2017 में विधान भवन में संदिग्ध पदार्थ मिलने के बाद सुरक्षा-व्यवस्था को लेकर भी बड़े सवाल खड़े हुए थे, जिसके बाद शासन ने सीआइएसएफ (केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल) से सुरक्षा आडिट कराया था। विधान भवन, बापू भवन, लोक भवन, शास्त्री भवन, योजना भवन व विकास भवन में चेकिंग से लेकर सुरक्षा-व्यवस्था से जुड़े सभी बिंदुओं को देखा गया था।
सीआइएसएफ ने सचिवालय परिसर की सुरक्षा और मजबूत किए जाने के लिए कई बिंदुओं पर अपनी विस्तृत रिपोर्ट दी थी, लेकिन उसकी सिफारिशें अब तक लागू नहीं की जा सकी हैं। खासकर वाहनों के प्रवेश व उनकी चेकिंग को लेकर कई सुझाव दिए गए थे। दूसरी ओर सचिवालय में प्रवेश के दौरान प्रभावी चेकिंग में चूक का एक कारण सुरक्षाकर्मियों की कमी भी है। बताया गया कि सचिवालय सुरक्षा में रक्षक के 244 पद स्वीकृत हैं, लेकिन वर्तमान में करीब 127 पद रिक्त हैं।
रक्षक के 40 फीसद पद अनुसेवक से भरे जाने की व्यवस्था है। लंबे समय से अनुसेवक के पद पर भर्ती न होने की वजह से भी रक्षक के पद रिक्त चल रहे हैं। सचिवालय सुरक्षा के अधिकारी अनुसेवक के 30 फीसद पद घटाने की सिफारिश भी कर चुके हैं। मुख्य रक्षक के 62 पदों में दो तथा उपनिरीक्षक के 15 पदों में एक रिक्त है।
सूत्रों का कहना है कि सीआइएसएफ की सुरक्षा आडिट रिपोर्ट में रक्षक के पद करीब तीन गुना तक बढ़ाए जाने से सिफारिश भी की गई थी। हर गेट पर मेटल डिटेक्टर डोर व वाहनों की चेकिंग के लिए आधुनिक उपकरण लगवाए जाने की बात भी कही गई थी। अमूमन वाहनों की चेकिंग पूरी तरह से न हो पाने के कारण सुरक्षा में चूक का खतरा बना रहता है।