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दृष्टि बाधितों को 15 फीट पहले पता चल जाएगी रास्‍ते की बाधा, बेहद लाभकारी होगा 'थर्ड आई'

उप्र के स्कूली छात्र ने थर्ड आई नामक डिजिटल चश्मा ईजाद किया है। यह चश्मा दृष्टि बाधित लोगों के लिए सहायक सिद्ध हो सकता है। रास्ते की बाधाओं को बताता चलेगा।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 20 Mar 2020 08:43 AM (IST)Updated: Fri, 20 Mar 2020 11:35 PM (IST)
दृष्टि बाधितों को 15 फीट पहले पता चल जाएगी रास्‍ते की बाधा, बेहद लाभकारी होगा 'थर्ड आई'
दृष्टि बाधितों को 15 फीट पहले पता चल जाएगी रास्‍ते की बाधा, बेहद लाभकारी होगा 'थर्ड आई'

लखनऊ, (सौरभ शुक्ला)। उप्र के स्कूली छात्र ने 'थर्ड आई' नामक डिजिटल चश्मा ईजाद किया है। यह चश्मा दृष्टि बाधित लोगों के लिए सहायक सिद्ध हो सकता है। रास्ते की बाधाओं को बताता चलेगा, साथ ही स्वजन को इनकी लोकेशन भी बताएगा। इस आविष्कार को नेशनल इंस्पायर अवार्ड 'यूरी ने सराहा है।

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दृष्टि बाधितों के जीवन में उजियारा करने की बड़ी कोशिश लखनऊ निवासी कक्षा दस के छात्र कुंवर दिव्यांश सिंह ने की है। इस चश्मे की मदद से दृष्टि बाधित भी किसी आम व्यक्ति की तरह बिना किसी सहारे के बाजार, शॉपिंग माल और दफ्तर अकेले जा सकेगा। घर के बाहर होने पर परिजनों की आंखों से भी ओझल नहीं हो पाएगा। यह सब संभव हो सकेगा दिव्यांश के इनोवेशन 'थर्ड आई फॉर विजुअली इम्पिर्ड गॉगल्स' से। इस चश्मे की लागत महज 700 रुपये आई।

दृष्टि बाधित इस चश्मे को लगाकर आसानी से बाजार अथवा दफ्तर निकल सकेंगे। इस दौरान अगर उनके सामने, दाएं अथवा बाएं कोई वाहन आ रहा है, मार्ग में गड्ढा अथवा कोई अन्य बाधा है तो चश्मे में लगा कैमरा, अल्ट्रासाउंड और सेंसर इसे चिन्हित कर सूचना देते चलेंगे। चश्मा बोलकर बता देगा कि सावधान... सामने बाधा है। मेन लिंक (एप) से भी कनेक्ट रहेगा ताकि स्वजन अपने मोबाइल पर इनकी लोकेशन देख सकें।

दिव्यांश की विज्ञान में खास रुचि है। दृष्टि बाधितों के जीवन में आने वाली मुश्किलों को उन्होंं कई स्थानों पर देखा। इसके बाद तय किया कि कुछ ऐसा उपकरण बनाया जाए, जो सहायक साबित हो। इसी कड़ी में खुद ही थर्ड आई फॉर विजुअली इम्पिर्ड गॉगल्स ईजाद किया। गूगल और इंटरनेट मददगार बने।

वर्ष 2017 में दिव्यांश अपनी छोटी बहन स्मृति कुंवर के साथ स्कूल से लौट रहा था। इस बीच दोनों को सांड ने दौड़ा लिया। सांड ने बहन को पटक दिया और जब तक दूसरा हमला करता, बहादुर दिव्यांश ने मोर्चा संभाला और सांड की पूछ पकड़कर लटक गया। इसके बाद हाथ में लिए हुए पेन को सांड की पीठ पर चुभो दिया। हालांकि सांड के झटका मारने से दिव्यांश कुछ दूर पर जा गिरा मगर इस कोशिश से बहन की जान बच सकी।

व्यावसायिक उत्पादन की जगी आस...

यह चश्मा राज्य स्तर पर काफी सराहा गया है। नेशनल इंस्पायर अवार्ड की 'यूरी ने भी इसे हाथों-हाथ लेते हुए चयनित कर लिया है। अब वहां इस चश्मे को तमाम कंपनियां भी देखेंगी, जिसके बाद इसका पेटेंट कराया जाएगा। दिव्यांश राज्य स्तरीय इंस्पायर अवार्ड प्रतियोगिता में पुरस्कृत हो चुके हैैं। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद उत्तर प्रदेश द्वारा राज्य नवाचार पुरस्कार से भी नवाजे गए हैं। 


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