UP PF Scam : घोटालेबाजों पर शिकंजा कसने के साथ रकम वापसी के सभी दांव आजमा रही सरकार
उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन अभी तक डीएचएफएल में फंसी रकम को वापस दिलाने के लिए जहां भारतीय रिजर्व बैंक को पत्र लिखकर मदद की गुहार कर चुका है वहीं उसने कानून का दरवाजा भी खटखटाया।
लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश के बिजलीकर्मियों के भविष्य निधि (पीएफ) के घोटाला को अंजाम देने वालों पर शिकंजा कसने के साथ सरकार उनकी रकम को भी निकालने के प्रयास में हैं। बिजली कर्मियों के पीएफ के 2267 करोड़ रुपये दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) से निकालने के लिए सरकार कई विकल्पों को टटोल रही है।
उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन अभी तक डीएचएफएल में फंसी रकम को वापस दिलाने के लिए जहां भारतीय रिजर्व बैंक को पत्र लिखकर मदद की गुहार कर चुका है, वहीं उसने कानून का दरवाजा भी खटखटाया है। डीएचएफएल में बिजली कर्मियों के भविष्य निधि की रकम फंसने के बाद से कर्मचारी इस बात को लेकर आशंकित हैं कि उनका पैसा वापस मिलेगा या नहीं, जबकि सरकार लगातार उन्हें आश्वस्त कर रही है। विशेषज्ञों से सलाह-मशविरा का सिलसिला भी लगातार चल रहा है। इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए आठ नवंबर को उप्र पावर कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के मुख्य महाप्रबंधक अशोक नारायन को पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप का अनुरोध किया था। पत्र की प्रति लखनऊ स्थित रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय निदेशक आर. लक्ष्मीकान्थ राव को भी भेजी गई। पत्र में कहा गया कि हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों का रेगुलेशन नेशनल हाउसिंग बैंक द्वारा किया जाता है और रिजर्व बैैंक, नेशनल हाउसिंग बैैंक का चीफ प्रमोटर (मुख्य प्रवर्तक) है। ऐसे में बिजलीकार्मिकों के पीएफ की निवेशित राशि की ब्याज सहित सुरक्षित वापसी में पावर कारपोरेशन को रिजर्व बैैंक की मदद की आवश्यकता है।
कारपोरेशन की ओर से रिजर्व बैंक को बताया गया कि मुंबई हाईकोर्ट ने 30 सितंबर व 10 अक्टूबर के अपने आदेश से डीएचएफएल में लगाई गई रकम के मूलधन व ब्याज की वापसी पर रोक लगा दी, जिससे उसके पीएफ के लगभग 2267 करोड़ रुपये फंस गए हैैं। कारपोरेशन ने निवेश के लिए दोषी पाए गए अधिकारियों पर विभागीय व आपराधिक कार्रवाई के बारे में भी आरबीआइ को बताया। अब जबकि रिजर्व बैंक ने डीएचएफएल में प्रशासक नियुक्त कर दिया है तो पावर कारपोरेशन के प्रबंधन को पीएफ और उस पर ब्याज की निकासी की प्रक्रिया में तेजी आने की आस जगी है। पावर कारपोरेशन प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक इंसाल्वेंसी के मामलों में भुगतान की प्रक्रिया में पहले ऐसे लोगों/संस्थाओं को प्राथमिकता दी जाती है, जहां अधिक लोगों का हित जुड़ा हो।
इसके साथ ही कारपोरेशन प्रबंधन ने दिल्ली की एक लॉ फर्म को मुंबई हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखने का जिम्मा सौंपा। मामले से जुड़े प्रमुख दस्तावेज भेजे गए, जिसके आधार पर मुंबई हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है।