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अमेठी के बाद कांग्रेस के हाथ से फिसलती रायबरेली ! ...पंचायत चुनाव में प्रदर्शन तो ऐसा ही कर रहे इशारा

UP Assembly Election 2022 यूपी की सत्ता में वापसी के सपने संजो रही कांग्रेस को पंचायत चुनाव ने करारा झटका दिया है। राष्ट्रीय पार्टी की स्थिति यह रही कि कांग्रेसी गढ़ कहे जाने वाले राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में भी जिला पंचायत अध्यक्ष न बनवा सकी।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Mon, 12 Jul 2021 06:00 AM (IST)Updated: Mon, 12 Jul 2021 08:12 PM (IST)
अमेठी के बाद कांग्रेस के हाथ से फिसलती रायबरेली ! ...पंचायत चुनाव में प्रदर्शन तो ऐसा ही कर रहे इशारा
यूपी पंचायत चुनाव परिणाम के बाद रायबरेली भी कांग्रेस के हाथ से फिसलती नजर आ रही है।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश की सत्ता में वापसी के सपने संजो रही कांग्रेस को त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव ने करारा झटका दिया है। संगठन सृजन अभियान से संगठन मजबूती का दावा करने वाली इस राष्ट्रीय पार्टी की स्थिति यह रही कि कांग्रेसी गढ़ कहे जाने वाले राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में भी जिला पंचायत अध्यक्ष न बनवा सकी। हार ने ऐसा झटका दिया कि ब्लाक प्रमुख चुनाव लड़ने की हिम्मत ही न जुटा सकी। जिस अमेठी के सांसद राहुल गांधी लगातार पंद्रह वर्ष रहे, वहां सिर्फ दो ब्लाक प्रमुख पद कांग्रेस के खाते में आए। इन हालात से तो अमेठी के बाद रायबरेली भी कांग्रेस के हाथ से फिसलती नजर आ रही है।

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कांग्रेस लगातार दावा कर रही है कि 2022 में उत्तर प्रदेश में पार्टी सरकार बनाने जा रही है। प्रदेश प्रभारी प्रियंका वाड्रा भी आश्वस्त हैं, क्योंकि संगठन को उन्होंने अपने हिसाब से तैयार किया है। खुद ही समीक्षा कर रही हैं। इसी भरोसे पार्टी ने हुंकार भरी थी कि पंचायत चुनाव पूरी ताकत से लड़ेंगे और जीतेंगे, लेकिन मैदान सजा तो कांग्रेस बाहर खड़ी नजर आई। पूरे प्रदेश में जो हाल रहा, वह तो ठीक, लेकिन रायबरेली और अमेठी का जिक्र यहां अहम है। चूंकि, यह दोनों गांधी-नेहरू परिवार के पारंपरिक संसदीय क्षेत्र हैं और इन्हें पार्टी का मजबूत किला माना जाता रहा है। हालांकि, अब यहां भी सेंध लग चुकी है।

2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को यहां से हरा दिया। कांग्रेस यूपी में मात्र रायबरेली की सीट जीत सकी, जहां से राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी सांसद हैं। अब इस अंतिम किले की ईंटें भी दरकती महसूस हो रही हैं। यह इशारा पंचायत चुनाव के परिणाम कर रहे हैं। रायबरेली में कांग्रेस ने जिला पंचायत अध्यक्ष प्रत्याशी मैदान में तो उतारा, लेकिन जीत न सकी। यह हार पार्टी को आत्मसमर्पण जैसी स्थिति में ले आई और कांग्रेस ब्लाक प्रमुख चुनाव लड़ने की हिम्मत तक न जुटा पाई।

वहीं, अमेठी में जिला पंचायत अध्यक्ष लड़ाने लायक जिला पंचायत सदस्य ही जीत सके। ब्लाक प्रमुख चुनाव की बात करें तो अमेठी संसदीय क्षेत्र में 17 ब्लाक आते हैं। इनमें से मात्र दो सीट बहादुरपुर और शाहगढ़ पर चुनाव लडऩे की हिम्मत पार्टी जुटा सकी। जीती दोनों, लेकिन जिलाध्यक्ष की करीबी कही जा रहीं बहादुरपुर की ब्लाक प्रमुख रविवार को भाजपा में शामिल हो गईं।

मिशन यूपी की अगुआई कर रहे प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के ब्लाक सेवरही में कांग्रेस को ब्लाक प्रमुख प्रत्याशी तक नहीं मिले। वहीं, पार्टी की नेता विधानमंडल दल आराधना मिश्रा के विधानसभा क्षेत्र में उनके पिता व वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी के प्रभाव और प्रबंधन ने जरूर कांग्रेस के खाते में कुछ सीटें दे दीं। उनके विधानसभा क्षेत्र में जिला पंचायत सदस्य की पांच सीटें थीं। आसपास की मिलाकर कुल सात प्रत्याशियों को उन्होंने लड़ाया और सभी जीते। ब्लाक तीन थे और तीनों पर कांग्रेस जीती।


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