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पंचायत चुनाव लड़ने वालों के लिए राहत भरी खबर, वर्ष 2015 के बराबर ही जमा करानी होगी जमानत राशि

यूपी में पंचायत चुनाव लड़ने के इच्छुक लोगों के लिए राहत की खबर यह है कि नामांकन के समय जमा करायी जाने वाली जमानत राशि में कोई बढ़ोत्तरी नहीं होगी। इस बार भी उम्मीदवारों को वर्ष 2015 में हुए चुनावों के समान जमानत राशि ही जमा करानी होगी।

By Umesh Kumar TiwariEdited By: Published: Fri, 08 Jan 2021 08:30 AM (IST)Updated: Fri, 08 Jan 2021 05:26 PM (IST)
पंचायत चुनाव लड़ने वालों के लिए राहत भरी खबर, वर्ष 2015 के बराबर ही जमा करानी होगी जमानत राशि
पंचायत चुनाव के उम्मीदवारों को वर्ष 2015 में हुए चुनावों के समान जमानत राशि ही जमा करानी होगी।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं। पंचायतों के पुनर्गठन व वार्ड परिसीमन का कार्य अभी जारी है। आगामी 16 जनवरी तक परिसीमन पूरा होने की संभावना है। चुनाव लड़ने के इच्छुक लोगों के लिए राहत की खबर यह है कि नामांकन के समय जमा करायी जाने वाली जमानत राशि में कोई बढ़ोत्तरी नहीं होगी। इस बार भी उम्मीदवारों को वर्ष 2015 में हुए चुनावों के समान जमानत राशि ही जमा करानी होगी। 

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2000 रुपये धनराशि जमा करनी होगी जमानत राशि : पंचायत चुनाव में चार पदों के लिए नामांकन कराए जाते हैं। ग्राम पंचायत सदस्य पद के लिए जमानत राशि 500 रुपये व ग्राम प्रधान पद के लिए 2000 रुपये निर्धारित है। इसी क्रम में क्षेत्र पंचायत सदस्य पद का चुनाव लड़ने वाले को 2000 रुपये धनराशि जमा करनी होगी। जिला पंचायत सदस्य पद के लिए 4000 रुपये जमानत राशि तय है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग और महिला उम्मीदवारों के लिए जमानत राशि में 50 प्रतिशत छूट दी जाती है। सूत्रों का कहना है कि जमानत राशि के साथ ही नामांकन पत्रों के शुल्क को भी पूर्ववत रखा जाएगा।

चक्रानुक्रम होगा लागू, बदलेगा आरक्षण : पंचायत पुनर्गठन व परिसीमन पूरा न हो पाने के कारण आरक्षण की स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है। गुरुवार को भी संभावित आरक्षण प्रक्रिया का प्रस्तुतिकरण नहीं हो सका। सूत्रों का कहना है कि वर्ष 2015 में ग्राम पंचायतों का आरक्षण शून्य करने और जिला व क्षेत्र पंचायतों में चक्रानुक्रम प्रक्रिया लागू किए जाने के कारण पेच फंसा है। सरकार सभी पदों के लिए एक समान आरक्षण व्यवस्था लागू करना चाहती है। माना जा रहा है कि चक्रानुक्रम प्रक्रिया लागू होगी ताकि कोर्ट का झमेला न फंसे। ऐसा होने पर सभी पदों पर आरक्षण स्थिति बदल जाएगी। अंतिम फैसला परिसीमन फाइनल होने के बाद शासन स्तर पर ही लिया जाएगा।

अप्रैल के प्रथम सप्ताह तक हो पाएंगे चुनाव : पंचायत चुनाव की तैयारी प्रक्रिया जिस गति से चल रही है, उसके चलते चुनाव अप्रैल के प्रथम सप्ताह तक ही हो पाएंगे। हालांकि वर्ष 2015 की तुलना में ग्राम पंचायतों की संख्या घटी है। 2015 में 59,162 ग्राम पंचायतों में 11.77 करोड़ से अधिक वोटरों ने मतदान किया था, लेकिन इस बार शहरी इलाके का विस्तार होने से ग्रामीण क्षेत्र घट गया है। पुनर्गठन की प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार अब ग्राम पंचायतों की संख्या 58,207 रह गई है। वार्ड परिसीमन का कार्य अभी जारी है।


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