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आंतरिक सुरक्षा की दोहरी चुनौती, आतंकी मंसूबों को दृढ़ता से कुचलने का संकल्प

UP News भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआइ) ने मानवीय उपभोग के लिए असुरक्षित खाद्य पदार्थो में मिलावट को रोकने के लिए दोषी को आजीवन कारावास और 10 लाख रुपये तक जुर्माना लगाने का प्रविधान कर दिया है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 22 Nov 2021 09:58 AM (IST)Updated: Mon, 22 Nov 2021 10:09 AM (IST)
आंतरिक सुरक्षा की दोहरी चुनौती, आतंकी मंसूबों को दृढ़ता से कुचलने का संकल्प
लखनऊ स्थित पुलिस मुख्यालय में अखिल भारतीय पुलिस महानिदेशक सम्मेलन को संबोधित करते केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह।

लखनऊ, राजू मिश्र। सरहद पर मुकाबिल होने के बजाए दुश्मन, देश के भीतर अस्थिरता पैदा करने में जुटे हैं। ऐसे ही कुछ गंभीर मसलों पर देश के प्रमुख पुलिस अधिकारियों ने राजधानी में मंथन किया। तीन दिवसीय 56वें पुलिस महानिदेशक/ महानिरीक्षक सम्मेलन में आंतरिक सुरक्षा की बढ़ती चुनौतियां मुख्य विषयवस्तु रहीं। बताया गया कि राज्यों में आपसी टकराव व भेदभाव के छोटे-छोटे मुद्दों को सामान्य रूप से कानून-व्यवस्था के तौर पर न देखा जाए, बल्कि उसे बड़े षड्यंत्र के रूप में देखते हुए तत्काल कार्रवाई की जाए।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में चले इस मंथन का सारतत्व यही है कि आतंकी मंसूबों को भारत अब और मजबूती से कुचलने के लिए तैयार होगा। ऐसा भी नहीं कि सम्मेलन में चर्चा सिर्फ आंतरिक सुरक्षा की ही हुई, आतंकवाद, साइबर अपराध, तटीय सुरक्षा, नक्सलवाद, मादक पदार्थो की तस्करी के बदलते तरीकों व अन्य चुनौतियों पर भी गहन विचार-विमर्श किया गया। देश को बदनाम करने के लिए विदेशी फंडिंग तथा इसमें विभिन्न एनजीओ की भूमिका को लेकर भी विस्तार से चर्चा हुई। तैयारियां भी परखी गईं। राज्यों की पुलिस व जांच एजेंसियों के बीच आपसी तादात्म्य को बढ़ाने की बात दोहराई गई। यह पहला मौका था, जब प्रधानमंत्री ने किसी पुलिस मुख्यालय में लंबा समय व्यतीत किया।

आंतरिक सुरक्षा की दोहरी चुनौती से निपटने के लिए पुलिस बलों से लेकर जांच एवं खुफिया इकाइयां अपनी सक्रियता बढ़ा रही हैं। इनकी पुख्ता तैयारी पर खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सीधी नजर है। सम्मेलन में प्रधानमंत्री के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के समक्ष चुनौतियों व उनसे निपटने की तैयारियों को लेकर प्रस्तुतीकरण दिए गए। उत्तर प्रदेश में देश विरोधी संगठनों के विरुद्ध की जा रही कार्रवाई का ब्योरा रखा गया। बताया गया कि किस तरह एटीएस व एसटीएफ घुसपैठियों से लेकर शांति-व्यवस्था को बिगाड़ने का षड्यंत्र कर रहे संगठनों के विरुद्ध कानूनी शिकंजा कस रही हैं। बाराबंकी के चैनपुरवा गांव में अवैध शराब के कारोबार में लिप्त लोगों को किस तरह सामुदायिक पुलिसिंग के जरिये इस दलदल से बाहर निकाला गया और रोजगार से जोड़ा गया। साथ ही अनेक प्रकार के माफिया के विरुद्ध अभियान के तहत की गई कार्रवाई के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गई।

मिलावटी सामग्री की बिक्री : मिलावटी आइस कैंडी बनाने के दोषी फैक्ट्री संचालक को इटावा की एक अदालत ने सजा सुनाकर सेहत के साथ मजाक करने वालों को कड़ी नसीहत दी है। प्रयोगशाला की जांच में आइस कैंडी के नमूने को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक पाया गया था। हालांकि फैसला आने में तकरीबन दो दशक लग गए। वास्तव में मिलावटखोरी आज एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है। प्रदेश के विभिन्न जिलों में मिलावटखोरी के मामले बड़ी संख्या में वर्षो से लंबित हैं। एक तरफ सुप्रीम कोर्ट मिलावटखोरी को गंभीर मुद्दा मानकर राज्यों को खाद्य सुरक्षा एवं मानक कानून-2006 को असरदार तरीके से लागू करने के निर्देश दे चुका है।

खाद्य पदार्थो के मानकों पर खरा नहीं उतरने पर अपर जिलाधिकारी को भी पांच लाख रुपये तक जुर्माना लगाने का अधिकार है। बावजूद इसके मिलावटखोरी न थमना प्रशासन की ढिलाई तो कही ही जाएगी, साथ ही ऐसे तत्वों के बुलंद हौसलों की शिनाख्त न कर पाने के लिए खाद्य विभाग पर भी अंगुली उठ रही है। हालांकि त्योहारी सीजन में मिलावटखोरों की खास तौर पर पौ बारह हो जाती है। ऐसे में दुर्भाग्य की बात यह है कि पैसों की खातिर लोग इंसानी जान के साथ खिलवाड़ करने से जरा भी नहीं हिचकते। इन दिनों आनलाइन मंगाई जाने वाली खाद्य सामग्री की गुणवत्ता सबसे अधिक शक के दायरे में रहती है। ऐसे में खाद्य पदार्थो की गुणवत्ता बनाए रखने और मिलावटखोरों को त्वरित दंड दिलाने का सुदृढ़ कानूनी ढांचा बनाए जाने की आवश्यकता है।


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