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UP CAG Report: यूपी खनन विभाग को लगी 240 करोड़ रुपये की चपत, नमूना जांच में दो हजार से ज्यादा मामलों में मिली अनियमितता

अफसरों की लापरवाही के कारण भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग में सरकार को 239.91 करोड़ रुपये की चपत लगी है। भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (सीएजी) की 20 दफ्तरों में हुई नमूना जांच में 2169 मामलों में अनियमितता मिली है। यह मामले वर्ष 2018-19 के दौरान के हैं।

By Vikas MishraEdited By: Published: Thu, 19 Aug 2021 08:06 PM (IST)Updated: Fri, 20 Aug 2021 07:04 AM (IST)
UP CAG Report: यूपी खनन विभाग को लगी 240 करोड़ रुपये की चपत, नमूना जांच में दो हजार से ज्यादा मामलों में मिली अनियमितता
सीएजी ने जिला खनिज फाउंडेशन न्यास के निर्माण में संवैधानिक प्रावधानों को लागू न करने पर आपत्ति जताई है।

लखनऊ, राज्य ब्यूरो। अफसरों की लापरवाही के कारण भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग में सरकार को 239.91 करोड़ रुपये की चपत लगी है। भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (सीएजी) की 20 दफ्तरों में हुई नमूना जांच में 2169 मामलों में अनियमितता मिली है। यह मामले वर्ष 2018-19 के दौरान के हैं। सीएजी की यह रिपोर्ट बुधवार को विधानमंडल में पेश की गई। सीएजी ने जिन प्रमुख मामलों में आपत्ति जताई है, उनमें रायल्टी न वसूलने या कम वसूलने के कारण 22.49 करोड़, पट्टा विलेखों पर स्टांप शुल्क कम लगाने के कारण 5.24 करोड़, जुर्माना न लगाने के कारण 1.73 करोड़, खनिजों के मूल्य की वसूली न करने के कारण 168.96 करोड़ व अन्य अनियमितताओं के कारण 41.49 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

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सीएजी ने जिला खनिज फाउंडेशन न्यास के निर्माण में भी संवैधानिक प्रावधानों को लागू न करने पर आपत्ति जताई है। सरकार ने अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक में न्यास निधि को रखा और शासी परिषद तथा प्रबंध समिति को बिना विधायी प्राधिकार के खर्च करने की अनुमति दी। सरकार ने ई-टेंडर कर महंगे दरों पर खनन पट्टे तो आवंटित कर दिए किंतु अवैध खनन के लिए जुर्माने की दरों संशोधन नहीं किया। इससे पट्टाधारक को वैध खनन के लिए देय राशि के विपरीत अवैध खनन के लिए कम जुर्माना देना पड़ता था। 

सीएजी ने पाया कि ई-नीलामी के कारण जो पट्टे स्वीकृत हुए थे उसमें मौरंग की वैध खनन की धनराशि 1068 रुपये प्रति घन मीटर थी जबकि सटे हुए क्षेत्र में अवैध खनन के लिए 915 रुपये प्रति घन मीटर की दर से जुर्माना लगाया गया। विभाग ने बिना वैध परमिट के खनिजों के उठान के 904 मामलों में 116.85 करोड़ रुपये की धनराशि के खनिज मूल्य व जुर्माना सिविल कार्य के ठेकेदारों से नहीं वसूला। पर्यावरण मंजूरी के बगैर खनन करने पर पट्टाधारकों से खनिज मूल्य 2.99 करोड़ रुपये की वसूली नहीं की गई।


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