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यूपी विधानमंडल का शीतकालीन सत्र 15 दिसंबर से, राज्यपाल की मंजूरी के बाद अधिसूचना जारी

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने 15 दिसंबर से विधानमंडल का शीतकालीन सत्र आहूत करने का निर्णय किया है। राज्यपाल की मंजूरी के बाद विधान परिषद और विधान सभा सचिवालयों की ओर से इस बारे में बुधवार को अधिसूचना जारी कर दी गई है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Thu, 09 Dec 2021 11:01 AM (IST)Updated: Thu, 09 Dec 2021 11:06 AM (IST)
यूपी विधानमंडल का शीतकालीन सत्र 15 दिसंबर से, राज्यपाल की मंजूरी के बाद अधिसूचना जारी
यूपी विधानमंडल का शीतकालीन सत्र 15 दिसंबर से शुरू होगा।

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने 15 दिसंबर से विधानमंडल का शीतकालीन सत्र आहूत करने का निर्णय किया है। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने शीतकालीन सत्र के लिए अनुमति दे दी है। राज्यपाल की मंजूरी के बाद विधान परिषद और विधान सभा सचिवालयों की ओर से इस बारे में बुधवार को अधिसूचना जारी कर दी गई है। यह इस वर्ष विधान परिषद का तीसरा और विधान सभा का चौथा सत्र होगा।

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विधान सभा के उपाध्यक्ष पद पर निर्वाचन के लिए बीती 18 अक्टूबर को विधान सभा का तीसरा विशेष सत्र आहूत किया गया था। शीतकालीन सत्र में सरकार वित्तीय वर्ष 2022-23 के शुरुआती चार महीनों के दौरान सरकार के जरूरी खर्चों से निपटने के लिए लेखानुदान लाएगी। वहीं सत्र के दौरान योगी सरकार चालू वित्तीय वर्ष के लिए दूसरा अनुपूरक बजट भी लाने की तैयारी कर रही है। शीतकालीन सत्र में विधायी कार्य भी होंगे।

उत्तर प्रदेश विधानमंडल का शीतकालीन सत्र 15 दिसंबर से शुरू हो रहा है। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर इस सत्र में योगी आदित्यनाथ सरकार अगले वित्तीय वर्ष के लिए पूर्ण बजट लाने के बजाए चार महीने का लेखानुदान पास कराएगी। साथ ही वर्तमान वित्तीय वर्ष का दूसरा अनुपूरक बजट लाया जा सकता है। खास बात यह है कि मौजूदा 17वीं विधानसभा का यह संभवत: आखिरी सत्र है। इसमें सरकार कई महत्वपूर्ण घोषणाएं भी कर सकती है।

उत्तर प्रदेश सरकार का यह पांचवां साल है। चुनावी साल होने के नाते योगी आदित्यनाथ सरकार शीतकालीन सत्र के दौरान इस वित्तीय वर्ष के लिए दूसरा अनुपूरक बजट पेश कर सकती है। इसमें कुछ वर्गों पर डोरे डालने के लिए नई योजनाओं के लिए संसाधन जुटाये जाने को लेकर अहम निर्णय हो सकते हैं। इनमें किसानों और गरीब परिवारों के लिए सौगातें हो सकती हैं। श्रम संहिता व पोंजी स्कीम पर अंकुश लगाने से जुड़े कानूनों में संशोधन संबंधी विधायी कार्य भी शीतकालीन सत्र में होने के आसार हैं।


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