यूपी सरकार ने उद्योगों व सरकारी विभागों को दी बड़ी राहत, औद्योगिक विवादों के लिए समय सीमा तय
यूपी की किसी औद्योगिक इकाई में कर्मकार को सेवा से हटाये जाने की तारीख से एक साल की अवधि में यदि विवाद सुलह प्रक्रिया में न उठाया गया हो तो उसे औद्योगिक विवाद नहीं समझा जाएगा।
लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश की किसी औद्योगिक इकाई में कर्मकार की छंटनी या उसे सेवा से हटाये जाने की तारीख से एक साल की अवधि में यदि यह विवाद सुलह प्रक्रिया में न उठाया गया हो, तो उसे औद्योगिक विवाद नहीं समझा जाएगा। शर्त यह होगी कि कोई प्राधिकारी इस एक वर्ष की अवधि को तब बढ़ाने पर विचार कर सकेगा, जब आवेदक कर्मकार उसे संतुष्ट कर दे कि विवाद को एक साल की अवधि के अंदर न उठा पाने का उसके पास पर्याप्त कारण था। शनिवार को विधानमंडल से पारित उत्तर प्रदेश औद्योगिक विवाद (संशोधन) विधेयक, 2020 में यह प्राविधान किया गया है।
औद्योगिक विवादों को उठाने के लिए एक साल की समय सीमा तय करके उत्तर प्रदेश सरकार ने उद्योगों और सरकारी विभागों को बड़ी राहत दी है। सरकारी विभागों में बड़ी संख्या में वर्कचार्ज और मस्टर रोल कर्मचारी होते हैं। उत्तर प्रदेश औद्योगिक विवाद अधिनियम के तहत औद्योगिक विवादों के लिए अभी तक कोई समय सीमा तय नहीं थी। इसकी वजह से कामगार वर्षों बाद यह विवाद उठा देते थे। इससे औद्योगिक इकाइयों और सरकारी विभागों को काफी असुविधा का सामना करना पड़ता था। छंटनी किये गए या हटाये गए कामगार से जुड़े दस्तावेज वर्षों तक सहेज कर रखने में भी उन्हें दिक्कतें आती थीं।
श्रम विभाग ने एक बार शासनादेश जारी कर औद्योगिक विवादों के लिए छह महीने की समय सीमा निर्धारित की थी, लेकिन हाई कोर्ट ने उस शासनादेश को यह कहते हुए निरस्त करने का आदेश दिया था कि इसके लिए सरकार अधिनियम में संशोधन करे। इसी क्रम में अब किए इस प्राविधान से उद्योगों और सरकारी विभागों को मुकदमेबाजी से बड़ी राहत मिलेगी। वहीं कामगारों के हित में विधेयक में यह भी प्राविधान किया गया कि जिन औद्योगिक इकाइयों में पिछले महीने प्रत्येक कार्यदिवस में औसतन 100 से कम कर्मकार नियोजित रहे हों, उनमें बैठकी (ले ऑफ) नहीं होगी।
अभी तक यह प्राविधान 50 से कम कर्मकारों वाले औद्योगिक इकाइयों पर लागू होता था। विधेयक में उत्तर प्रदेश औद्योगिक विवाद अधिनियम के तहत अधिकतम छह माह के कारावास या जुर्माना सहित छह महीने के कारावास वाले अपराधों का शमन करने की व्यवस्था भी की गई है। अपराधों के शमन के लिए शमन शुल्क अदा करना होगा। केंद्र सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन ने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के तहत राज्य सरकारों को अधिनियम में यह संशोधन करने का सुझाव दिया था, जिस पर अमल करते हुए राज्य सरकार ने विधेयक को पारित कराया है।
नई इकाइयों को मिल सकेगी श्रम कानूनों से 1000 दिनों की छूट : नई औद्योगिक इकाइयों और कारखानों को कारखाना अधिनियम, 1948 तथा उत्तर प्रदेश औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 के विभिन्न प्राविधानों से 1000 दिनों की छूट देने के लिए भी सरकार ने विधानमंडल से दो विधेयक शनिवार को पारित कराये हैं। इनमें कारखाना (उप्र संशोधन) विधेयक, 2020 तथा उत्तर प्रदेश औद्योगिक विवाद (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2020 शामिल हैं। सरकार ने कोरोना आपदा की विषम परिस्थितियों को देखते हुए नई इकाइयों को यह छूट देने का फैसला किया है।