Move to Jagran APP

योगी सरकार की लचर और अराजक कार्यशैली : 'सरस्वती सम्मान' की सूची में भ्रष्टाचार का आरोपित शिक्षक

शिक्षा विभाग के अफसरों ने भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे शिक्षक को ही सरकार के हाथों सम्मानित कराने का इंतजाम कर दिया।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Thu, 05 Sep 2019 11:11 AM (IST)Updated: Thu, 05 Sep 2019 12:16 PM (IST)
योगी सरकार की लचर और अराजक कार्यशैली : 'सरस्वती सम्मान' की सूची में भ्रष्टाचार का आरोपित शिक्षक
योगी सरकार की लचर और अराजक कार्यशैली : 'सरस्वती सम्मान' की सूची में भ्रष्टाचार का आरोपित शिक्षक

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने भ्रष्टाचार के आरोपित एक शिक्षक को सरस्वती सम्मान देने की तैयारी कर ली थी। यह प्रकरण जब सम्मान देने के चंद घंटे पहले सामने आया तो बुधवार रात को सूची में से डॉ. राजेंद्र प्रसाद वर्मा का नाम हटा दिया गया।

loksabha election banner

शिक्षकों को सम्मानित करने चली योगी आदित्यनाथ सरकार के कारिंदों ने गरिमामयी सम्मान की ही साख गिरा दी। शिक्षक दिवस पर सरस्वती सम्मान के लिए चुने गए तीन शिक्षकों में ऐसे व्यक्ति का भी नाम शामिल कर लिया गया जो भ्रष्टाचार के मामले में चर्चित रहे हैं। गनीमत रही कि सम्मान दिए जाने के चंद घंटे पहले मामला खुल गया और बुधवार रात को सूची में से डॉ. राजेंद्र प्रसाद वर्मा का नाम हटा दिया गया, मगर सरकार की कार्य संस्कृति और स्क्रीनिंग कमेटी तो गंभीर सवालों के घेरे में आ ही गई।

सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का दंभ भरती है और शिक्षा विभाग के अफसरों ने भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे शिक्षक को ही सरकार के हाथों सम्मानित कराने का इंतजाम कर दिया। दरअसल, उच्च शिक्षा विभाग शिक्षक दिवस पर गुरुवार को आदर्श कार्य, आचार, व्यवहार वाले शिक्षकों को सम्मानित करने जा रहा है। विभाग की ओर से दो सितंबर को जारी शासनादेश में तीन शिक्षकों को सरस्वती पुरस्कार और छह शिक्षकों को 'शिक्षक श्री' सम्मान देने की घोषणा की गई।

सरस्वती सम्मान के लिए चुने गए तीन शिक्षकों में उन्नाव के राजकीय डिग्री कॉलेज गोसाईं खेड़ा में हिंदी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राजेंद्र प्रसाद वर्मा का नाम भी शामिल था। बसपा मुखिया मायावती के करीबी रहे डॉ. वर्मा पर बसपा शासनकाल में माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड का अध्यक्ष रहते बिना परीक्षा दिलाए अपने रिश्तेदार को टीजीटी परीक्षा पास कराने का आरोप लगा था।

इनका यह मामला काफी चर्चित रहा। इसके बावजूद शिक्षकों के चयन के लिए बनाई गई स्क्रीनिंग कमेटी ने इस प्रतिष्ठित सम्मान के लिए डॉ. राजेंद्र प्रसाद वर्मा का नाम शामिल कर लिया। इसके पीछे की कहानी अभी उजागर नहीं हुई है, लेकिन विवाद सामने आने पर सम्मान समारोह के 12-14 घंटे पहले डॉ. वर्मा का नाम सूची से हटा दिया गया। अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा राजेंद्र कुमार तिवारी ने बताया कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद वर्मा का नाम हटाने के बाद अब सिर्फ दो लोगों को ही सरस्वती सम्मान दिया जाएगा। पहले तीन लोगों को यह पुरस्कार दिया जाना था।

शर्मनाक! चयन के बाद मंगानी पड़ी सभी शिक्षकों की रिपोर्ट

चयन समिति के कारनामे ने इस सम्मान के इतिहास में काला पन्ना जोड़ दिया। डॉ. राजेंद्र प्रसाद वर्मा का विवाद सामने आने के बाद विभाग के आला अधिकारी इतने असहज हो गए कि सम्मान के लिए चयनित सभी शिक्षकों की रिपोर्ट जिलाधिकारियों से मांगी गई। उन्नाव के अधिकारियों ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद वर्मा के कार्य के साथ ही साथ चाल-चलन की रिपोर्ट भेजी, तब उन्हें सम्मानित न करने का निर्णय लिया गया।

मेरे ऊपर लगे सभी आरोप निराधार

डॉ. राजेंद्र प्रसाद वर्मा ने बताया कि मेरे ऊपर लगे आरोप की जांच डीएम देवेंद्र कुमार पांडेय ने कराई है। मेरे ऊपर लगे आरोप निराधार हैं।

एसपी व एसडीएम की रिपोर्ट शासन को भेजी

जिलाधिकारी, उन्नाव देवेंद्र कुमार पांडेय ने बताया कि शासन से कार्य आचरण की रिपोर्ट मांगी गई थी। एसपी और एसडीएम से जांच करवा कर रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.