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यूपी सरकार ने लिया अहम फैसला, वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक को अब उद्योग का दर्जा

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए अहम कदम उठाया है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Wed, 13 May 2020 09:00 AM (IST)Updated: Wed, 13 May 2020 09:00 AM (IST)
यूपी सरकार ने लिया अहम फैसला, वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक को अब उद्योग का दर्जा
यूपी सरकार ने लिया अहम फैसला, वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक को अब उद्योग का दर्जा

लखनऊ, जेएनएन। श्रम कानूनों में राहत के बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने लॉजिस्टिक और वेयरहाउसिंग सेक्टर के लिए भी महत्वपूर्ण फैसला किया है। इन्हें उद्योग का दर्जा देकर औद्योगिक भूमि पर स्थापित करने की अनुमति दी जाएगी। इससे भूमि की लागत भी लगभग एक तिहाई हो जाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पर सहमति दे दी है। जल्द ही यह प्रस्ताव मंजूरी के लिए कैबिनेट की बैठक में रखा जाएगा।

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लॉकडाउन की चुनौतियों से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार लगातार उद्योग और कारोबार की राह सुगत करने का प्रयास कर रही है। इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए पिछले दिनों श्रम कानूनों में राहत का निर्णय लिया गया। अब वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए अहम कदम उठाया गया है। औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने बताया कि इन क्षेत्रों में रोजगार सृजन की काफी संभावनाएं हैं। इसे देखते हुए ही इन्हें उद्योग का दर्जा देने के प्रस्ताव पर हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सहमति दी है। जल्द ही प्रस्ताव को कैबिनेट की बैठक में रखा जाएगा।

अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त आलोक टंडन ने बताया कि इस निर्णय से उत्तर प्रदेश में इस सेक्टर की इकाई व पार्क की स्थापना लागत में काफी कमी आएगी। उदाहरण के तौर पर वर्तमान में कृषि से वाणिज्यिक भूमि उपयोग परिवर्तन के लिए सर्किल रेट का 150 फीसद शुल्क लिया जाता है, जबकि इस फैसले के बाद कृषि से औद्योगिक भूमि उपयोग परिवर्तन के लिए सर्किल रेट का 35 फीसद शुल्क ही लिया जाएगा। इस प्रावधान के बाद वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक क्षेत्र की इकाई और पार्कों पर औद्योगिक भूमि उपयोग शुल्क लागू होंगे।

संशोधित होंगे औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के मास्टर प्लान

प्रमुख सचिव औद्योगिक विकास आलोक कुमार ने बताया कि वेयरहाउसिंग व लॉजिस्टिक इकाइयां औद्योगिक विकास प्राधिकरणों को औद्योगिक गतिविधि के लिए आरक्षित क्षेत्रों के आवंटन और भूमि उपयोग के लिए औद्योगिक दर का 1.5 गुना भुगतान करेंगी, जो भूमि की लागत के रूप में इस सेक्टर के लिए लगभग एक तिहाई कम हो जाएगी। उन्होंने बताया कि सभी औद्योगिक विकास प्राधिकरण अपने मास्टर प्लान व नियमों में संशोधन कर इस प्राविधान को लागू करेंगे। इसमें नोएडा, ग्रेटर नोएडा, उप्र राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण, गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण, लखनऊ औद्योगिक विकास प्राधिकरण, सतहरिया औद्योगिक विकास प्राधिकरण, यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण, दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर पर एकीकृत औद्योगिक टाउनशिप ग्रेटर नोएडा लिमिटेड शामिल है। इसके अलावा आवास एवं शहरी नियोजन विभाग के अधीन आने वाले सभी विकास प्राधिकरणों को भी अपने नियमों में संशोधन करने होंगे।


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