अयोध्या में जमीन की खरीद फरोख्त मामले की जांच के लिए पहुंची शासन की टीम, छानबीन शुरू
अयोध्या में अफसरों और नेताओं द्वारा रिश्तेदारों के नाम जमीन खरीदने के मामले की जांच के लिए विशेष सचिव राजस्व राधेश्याम मिश्र देर शाम अयोध्या पहुंच गए। उन्होंने अपनी टीम के साथ स्थलीय सत्यापन भी शुरू कर दिया है।
अयोध्या, जेएनएन। अयोध्या में अफसरों और नेताओं द्वारा रिश्तेदारों के नाम जमीन खरीदने के मामले की जांच के लिए विशेष सचिव राजस्व राधेश्याम मिश्र देर शाम अयोध्या पहुंच गए। उन्होंने अपनी टीम के साथ स्थलीय सत्यापन भी शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने माझा बरहटा में अधिकारियों और नेताओं के स्वजनों व रिश्तेदारों के नाम से खरीदी गई जमीन का मामला सामने आने के बाद उन्हें जांच सौंपी है। पांच दिन में उन्हें अपनी जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपनी है।
अयोध्या जमीन घोटाले की जांच के दायरे में कई अधिकारी हैं। कमिश्नर एमपी अग्रवाल को छोड़कर तत्कालीन जिला अधिकारी अनुज कुमार झा, मुख्य राजस्व अधिकारी पीडी गुप्त, सीओ सिटी अरविंद चौरसिया समेत ज्यादातर अधिकारियों का पहले ही गैर जनपद तबादला हो चुका है। माना जा रहा है की स्थलीय निरीक्षण के बाद विशेष सचिव राजस्व शुक्रवार को अभिलेखों की भी पड़ताल करेंगे।
मीडिया में आई रिपोर्ट के मुताबिक राम मंदिर पर फैसला आने के बाद बड़े अधिकारियों और नेताओं ने औने-पौने दाम पर जमीनें खरीदी थीं। इस लिस्ट में अयोध्या में कमिश्नर रहे एमपी अग्रवाल, मेयर ऋषिकेश उपाध्याय, आइपीएस दीपक कुमार, रिटायर्ड आइएएस उमा धर द्विवेदी, पीपीएस अरविंद चौरसिया द्वारा खरीदी गई जमीनें शामिल हैं। आरोप है कि गोसाईगंज से विधायक रहे विधायक इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी ने महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट से 30 लाख रुपये में 2593 वर्ग मीटर जमीन खरीदी। खब्बू तिवारी के बहनोई राजेश मिश्रा ने राघवाचार्य के साथ मिलकर बरहेटा गांव में 6320 वर्ग मीटर जमीन 47.40 लाख रुपये में खरीदी। अयोध्या के एक अन्य विधायक वेद प्रकाश गुप्ता ने दिसंबर 2020 में सरयू नदी के पार गोंडा के महेशपुर में चार करोड़ में 14860 वर्ग मीटर जमीन खरीदी है।
फैसले के बाद तेजी से खरीदी और बेची गईं जमीनें : अयोध्या में राममंदिर के पक्ष में फैसला आने के बाद तेजी से जमीनों की खरीद-फरोख्त की गई। डिप्टी कलेक्टर महेश प्रसाद की जमीन भी कुछ लोग खरीदना चाहते थे, लेकिन अनुसूचित जाति का होने के कारण उन्हें जमीन बेचने की अनुमति नहीं मिली। महेश प्रसाद ने अपनी पत्नी विमला देवी के नाम एक एकड़ से कुछ कम जमीन 2005 में खरीदी थी। मंदिर पर फैसला आने के बाद खरीदार उनके पास पहुंच गए। सौदा पटने के बाद पेच उसकी बिक्री में आया। महेश प्रसाद के अनुसूचित जाति के होने से जमीन की बिक्री के लिए जिलाधिकारी से अनुमति भी मांगी गई। शासन में तैनात महेश प्रसाद ने बताया कि जमीन बेचने की अनुमति अब तक नहीं मिली है। वह वर्ष 2000 से 2005 तक फैजाबाद में एसडीएम बीकापुर व सोहावल के पद पर तैनात रहे। करीब एक सप्ताह के लिए ही उनके पास एआरओ का प्रभार रहा। उसके बाद दूसरे जिले के लिए स्थानांतरण हो गया। महेश प्रसाद बाराबंकी के रहने वाले हैं।
अधिकारियों ने चुप्पी साधी : माझा बरहटा में महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट की जमीन अधिकारियों के स्वजन एवं रिश्तेदारों के नाम से खरीदे जाने के प्रकरण में फिलहाल कोई अधिकारी बोलने को तैयार नहीं है। प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि वे नए हैं। ट्रस्ट के प्रबंधन से जुड़े प्रोफेसर अखंड प्रताप सिंह के अनुसार यह वर्ष 1993 का मामला है। विपक्षी दल विधानसभा चुनाव में राजनीतिक लाभ के लिए इसे उठा रहे हैं। पूर्व जिलाधिकारी अनुज कुमार झा इसकी पहले ही जांच करा चुके हैं।