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Hathras Case: हाई कोर्ट में हाथरस केस पर निर्णय सुरक्षित, अगली सुनवाई पर CBI से मांगी स्टेटस रिपोर्ट

Hathras Case इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के समक्ष उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सोमवार को पक्ष रखा गया। हाई कोर्ट ने इस मामले से जुड़े सभी पक्षों की दलीलें सुनने के पश्चात अपना आदेश सुरक्षित कर लिया।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Mon, 02 Nov 2020 10:27 PM (IST)Updated: Mon, 02 Nov 2020 11:39 PM (IST)
Hathras Case: हाई कोर्ट में हाथरस केस पर निर्णय सुरक्षित, अगली सुनवाई पर CBI से मांगी स्टेटस रिपोर्ट
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में हाथरस केस की सुनवाई।

लखनऊ, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के समक्ष उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सोमवार को पक्ष रखा गया। हाई कोर्ट ने इस मामले से जुड़े सभी पक्षों की दलीलें सुनने के पश्चात अपना आदेश सुरक्षित कर लिया। कोर्ट ने मामले की जांच कर रही सीबीआइ को भी अगली सुनवाई पर विवेचना की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश दिए हैं।

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यह आदेश जस्टिस पंकज मित्थल और जस्टिस राजन रॉय की पीठ ने पारित किया। कोर्ट ने पूर्व में हाथरस मामले में स्वत: संज्ञान लिया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी इलाहाबाद हाई कोर्ट को इस मामले की मानीटरिंग की इजाजत दे दी। सोमवार को कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि जिलाधिकारी के संबंध में क्या निर्णय लिया गया? राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि जिलाधिकारी के विरुद्ध कुछ भी गलत नहीं मिला है। तत्कालीन एसपी को मामले को ठीक से हैंडल न कर पाने के कारण हटाया गया था। उन्हें भी मृतका के अंतिम संस्कार के मामले की वजह से नहीं हटाया गया था।

इस पर पीठ का कहना था कि निष्पक्षता व पारदर्शिता के लिहाज से पूछा गया था कि क्या हाथरस के जिलाधिकारी को बनाए रखना उचित होगा? जिसके जवाब में सरकार की ओर से अगली सुनवाई तक के वक्त की मांग की गई। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 25 नवंबर की तिथि तय की है।

सुनवाई के दौरान कोर्ट के आदेश के अनुपालन में एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार, गृह सचिव तरुण गाबा व तत्कालीन एसपी विक्रांत वीर कोर्ट रूम में मौजूद रहे। राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को यह भी बताया गया कि मुआवजे की रकम मृतका के पिता के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर दी गई है। वहीं एससी-एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मिलने वाले मुआवजे का 25 प्रतिशत भी दे दिया गया है। पीड़िता के परिवार की सुरक्षा का जिम्मा सीआरपीएफ को दिया गया है।

अभियुक्तों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा पेश हुए। उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया कि विवेचना के संबंध में ऐसी कोई टिप्पणी न हो जिससे अभियुक्तों के अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े, जबकि पीड़िता के परिवार की ओर से पेश अधिवक्ता सीमा कुशवाहा ने ट्रायल प्रदेश से बाहर कराए जाने की मांग दोहराई। केंद्र सरकार की ओर से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल एसपी राजू व एमिकस क्यूरी के तौर पर वरिष्ठ अधिवक्ता जेएन माथुर पेश हुए।

हाथरस के जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार ने कोर्ट में हलफनामा प्रस्तुत किया है। इसमें उन्होंने कहा है कि घटना के बाद दिल्ली से ही मामले को राजनीतिक रंग देने की कोशिश की जाने लगी थी। अगले दिन ढांचा विध्वंस का फैसला आने की वजह से पूरा प्रदेश हाई अलर्ट पर था। परिस्थितियों को देखते हुए रात में ही अंतिम संस्कार का निर्णय लिया गया था। मृतका के पिता से अंतिम संस्कार की सहमति ली गई थी। कहा गया कि अंतिम संस्कार में केरोसिन का प्रयोग नहीं किया गया था।

अपर महाधिवक्ता विनोद कुमार शाही ने बताया कि सरकार की ओर से हलफनामे में हाथरस जैसे मामले की पुनरावृत्ति होने की दशा में अंतिम संस्कार के लिए गाइडलाइन का मसौदा पेश किया गया है।


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