Move to Jagran APP

हाई कोर्ट में 17 साल से लंबित केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र के खिलाफ सरकार की अपील, जानें- पूरा मामला

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र उर्फ टेनी के खिलाफ हत्या के एक मामले में राज्य सरकार की अपील 17 साल से लंबित है। इस मामले में सत्र अदालत ने उन्हें बरी कर दिया था। फैसले के खिलाफ सरकार हाई कोर्ट गई थी।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 08 Oct 2021 06:30 AM (IST)Updated: Fri, 08 Oct 2021 06:04 PM (IST)
हाई कोर्ट में 17 साल से लंबित केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र के खिलाफ सरकार की अपील, जानें- पूरा मामला
इलाहाबाद हाई कोर्ट में 17 साल से केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र के खिलाफ सरकार की अपील लंबित है।

लखनऊ, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र उर्फ टेनी के खिलाफ हत्या के एक मामले में राज्य सरकार की अपील 17 साल से लंबित है। इस मामले में सत्र अदालत ने उन्हें बरी कर दिया था। फैसले के खिलाफ सरकार हाई कोर्ट गई थी। कोर्ट की वेबसाइट के मुताबिक यह मामला पिछली बार सुनवाई के लिए 25 फरवरी, 2020 को लगा था।

loksabha election banner

लखीमपुर खीरी के तिकुनिया क्षेत्र में वर्ष 2000 में एक युवक प्रभात गुप्ता की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में अन्य अभियुक्तों के साथ अजय मिश्र भी नामजद थे। लखीमपुर खीरी की एक सत्र अदालत ने अजय मिश्र व अन्य को केस में पर्याप्त साक्ष्यों के अभाव में वर्ष 2004 में बरी कर दिया था। इस फैसले के खिलाफ वर्ष 2004 में ही राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में अपील दाखिल कर दी थी, जबकि मृतक के परिवारीजन की ओर से भी एक रिवीजन याचिका दायर कर सत्र अदालत के फैसले को चुनौती दी गई थी।

वर्ष 2012 में इस मामले में मृतक के परिवारीजन के अधिवक्ता की ओर से एक अर्जी डालकर केस की सुनवाई में तेजी लाने की मांग की गई। चीफ जस्टिस ने मामले की तेज सुनवाई के आदेश दिए थे। इस मामले में एक बार सुनवाई पूरी कर जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय व जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की पीठ ने 12 मार्च, 2018 को फैसला सुरक्षित कर लिया था। हालांकि बाद में अग्रिम सुनवाई के लिए केस को पुन: 15 नवंबर, 2018 को सूचीबद्ध कर दिया गया। तब से इस केस की सुनवाई पूरी नहीं हो पाई है।

इस केस में जहां राज्य सरकार के अधिवक्ता व मृतक के परिवारजन की ओर से सलिल कुमार श्रीवास्तव एवं सुशील कुमार सिंह का तर्क है कि मिश्र व अन्य के खिलाफ उन्हें सजा सुनाने के लिए पत्रावली पर पर्याप्त साक्ष्य हैं वहीं अजय मिश्र व अन्य की ओर से पेश हो रहे अधिवक्ता नागेंद्र मोहन की बहस है कि सत्र अदालत ने मिश्र व अन्य को साक्ष्य के अभाव में बरी करके कोई गलती नहीं की।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.