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हाई कोर्ट की सख्ती के बाद पंचायत चुनाव में आरक्षण नीति को लेकर यूपी सरकार सक्रिय, जानें क्या होगा फार्मूला

UP Panchayat Chunav उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव में आरक्षण नीति को लेकर पेच फंसा है लेकिन चक्रानुक्रम फार्मूले पर पंचायतों का आरक्षण निर्धारित होना तय है। यानी गत चुनाव में जिस वर्ग के लिए सीट आरक्षित थी इस बार उस वर्ग में आरक्षित नहीं होगी।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 05 Feb 2021 10:04 AM (IST)Updated: Fri, 05 Feb 2021 10:05 AM (IST)
हाई कोर्ट की सख्ती के बाद पंचायत चुनाव में आरक्षण नीति को लेकर यूपी सरकार सक्रिय, जानें क्या होगा फार्मूला
यूपी में पंचायत चुनाव को लेकर हाईकोर्ट के कड़े तेवर दिखाने के बाद सरकार की सक्रियता बढ़ी है।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर हाई कोर्ट द्वारा कड़े तेवर दिखाने के बाद चुनावी प्रक्रिया तेज करने को लेकर सरकार की सक्रियता बढ़ी है। आरक्षण नीति को लेकर पेच फंसा है, लेकिन चक्रानुक्रम फार्मूले पर पंचायतों का आरक्षण निर्धारित होना तय है। यानी गत चुनाव में जिस वर्ग के लिए सीट आरक्षित थी, इस बार उस वर्ग में आरक्षित नहीं होगी। गत पांच चुनावों में अनुसूचित वर्ग के लिए आरक्षित नहीं रहीं क्षेत्र व जिला पंचायतों को इस बार आरक्षित किया जाएगा। दूसरी ओर लगातार आरक्षण के दायरे में आयी सीटों को इस बार अनारक्षित किए जाने की राह तलाशी जा रही है। आरक्षण के इन प्रस्तावों पर अंतिम फैसला होना अभी बाकी है। पंचायती राज विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने कहा कि जल्द ही इस बारे में फैसला लिया जाएगा।

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नई नीति में ऐसी व्यवस्था करने की तैयारी है कि अनुसूचित वर्ग के आरक्षण की पूर्ति हो सके और अनारक्षित वर्ग की उपेक्षा भी न होने पाए। इसके लिए सरकार ने वर्ष 2015 से पहले हुए चार चुनावों में आरक्षित सीटों का आकलन करा लिया है। आरक्षण की व्यवस्था चक्रानुक्रम रखते हुए इसमें यह शर्त जोड़ी जा सकती है कि यदि कोई सीट वर्ष 2015 में अनुसूचित या पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित थी तो इस बार यथासंभव इन वर्गों के लिए आरक्षित न की जाए। पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी की सरकार के कार्यकाल मेें वर्ष 2015 में ग्राम पंचायतों का आरक्षण शून्य मानकर नए सिरे से आरक्षण लागू किया गया था। क्षेत्र व जिला पंचायतों में वर्ष 1995 के आरक्षण को आधार मानकर सीटों का आरक्षण चक्रानुक्रम से कराया गया था। सूत्रों का कहना है कि सरकार आरक्षण चक्र को शून्य करने के पक्ष में नहीं है।

महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण : पंचायत चुनाव में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था है, जिसे वरीयता क्रम के अनुसार लागू किया जाता है। यानि पहला नंबर अनुसूचित जाति वर्ग की महिला का होगा। अनुसूचित वर्ग की कुल आरक्षित 21 प्रतिशत सीटों में से एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। इसी तरह पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित 27 प्रतिशत सीटों में भी पहली वरीयता महिलाओं को दी जाएगी। अनारक्षित सीटों पर सामान्य वर्ग से लेकर किसी भी जाति का व्यक्ति चुनाव लड़ सकता है।

आबादी के आधार पर तय होगा आरक्षण : ग्राम प्रधाान पद का आरक्षण आबादी के आधार पर तय किया जाता है। आरक्षित वर्ग की जनसंख्या अधिक होने पर ब्लाक को केंद्र मानकर ग्राम प्रधान का आरक्षण निर्धारित किया जाता है। क्षेत्र पंचायत का आरक्षण जिले की आबादी के आधार पर किया जाता है। इसी क्रम में जिला पंचायत का आरक्षण प्रदेश स्तर पर तय होगा।

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