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एंबुलेंस नहीं, मुख्तार अंसारी का चलता-फिरता किला, यूपी पूर्व डीजीपी बृजलाल उठाया राज से पर्दा

उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी व राज्य सभा सदस्य बृजलाल ने मुख्तार अंसारी की निजी एंबुलेंस को लेकर कई राजों से पर्दा उठाया है। उन्होंने कहा कि माफिया मुख्तार अंसारी की एंबुलेंस को चंडीगढ़ में बुलेटप्रूफ बनवाया गया था।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Thu, 01 Apr 2021 11:42 PM (IST)Updated: Fri, 02 Apr 2021 07:36 AM (IST)
एंबुलेंस नहीं, मुख्तार अंसारी का चलता-फिरता किला, यूपी पूर्व डीजीपी बृजलाल उठाया राज से पर्दा
यूपी के पूर्व डीजीपी बृजलाल ने मुख्तार अंसारी की निजी एंबुलेंस को लेकर कई राज खोले हैं।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश के बाहुबली विधायक व माफिया मुख्तार अंसारी को पंजाब के मोहाली कोर्ट में पेशी के लिए ले जाने वाली एंबुलेंस सवालों के घेरे में है। हर उसी की चर्चा हो रही है। उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी व राज्य सभा सदस्य बृजलाल ने मुख्तार अंसारी की निजी एंबुलेंस को लेकर कई राजों से पर्दा उठाया है। उन्होंने कहा कि माफिया मुख्तार अंसारी की एंबुलेंस को चंडीगढ़ में बुलेटप्रूफ बनवाया गया था।

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दैनिक जागरण से बातचीत में उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी व राज्य सभा सदस्य बृजलाल ने कहा कि मुख्तार अंसारी अपनी जिस बुलेटप्रूफ एंबुलेंस में सवार होता है, उसे उनका गुर्गा सलीम चलाता है, जो मुहमदाबाद का रहने वाला है। सलीम का बड़ा भाई प्रिंस खान कुख्यात अपराधी था, जो पुलिस मुठभेड़ में मारा जा चुका है। एंबुलेंस में मुख्तार के साथ हथियारों से लैस उसके गुर्गे सवार रहते हैं और मुख्तार के पास सेटेलाइट फोन तक होता है। यह एंबुलेंस नहीं, बल्कि माफिया का चलता फिरता किला है।

यूपी के पूर्व डीजीपी बृजलाल कहते हैं कि किसी अपराधी के पास बुलेटप्रूफ एंबुलेंस होने का यह पहला मामला है। वह कहते हैं कि यूपी में समाजवादी पार्टी के शासनकाल में मुख्तार अंसारी जब जेल में बंद था, तब यह एंबुलेंस जेल के बाहर खड़ी रहती थी। मुख्तार अंसारी विधान भवन भी अपनी इसी एंबुलेंस में सवार होकर पहुंचता था और उसके आगे-पीछे गुर्गों की लग्जरी गाड़ियों का काफिला होता था। 

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पूर्व डीजीपी बृजलाल ने बताया कि यह सिर्फ एंबुलेंस नहीं बल्कि चलता-फिरता मुख्तार का वह साम्राज्य है, जिसके जरिए वह अपने कारनामे अंजाम देता रहा है। इस गाड़ी में सेटेलाइट फोन के अलावा हथियार, असलहे और गुर्गे भी रहते हैं। बृजलाल कहते हैं कि वर्ष 2004 में मुख्तार ने कृष्णानंद राय की हत्या की साजिश के तहत एलएमजी खरीदने की कोशिश की थी। उस समय वह आइजी कानून-व्यवस्था के पद पर तैनात थे।

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