यूपी के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना का दावा- यथार्थ के धरातल पर है बजट, सुधरती जा रही आर्थिक स्थिति
Uttar Pradesh Budget 2021-22 उत्तर प्रदेश वित्त मंत्री सुरेश खन्ना स्वीकारते हैं कि चुनावी वर्ष का बजट तैयार करने में उनके सामने कोविड-19 की बड़ी चुनौती थी। कोरोना संक्रमण के चलते दुनियाभर की आर्थिक गतिविधियों में आए स्लोडाउन से यूपी अछूता नहीं है।
लखनऊ [अजय जायसवाल]। कोरोना महामारी ने जब विश्व को अपने शिकंजे में ले लिया, तब उत्तर प्रदेश सरकार के सामने भी सुरसा की तरह मुंह फाड़े कई चुनौतियां खड़ी थीं। बड़ी आबादी की जिम्मेदारी, चुनावी वर्ष में उम्मीदों का भारी-भरकम बोझ और खर्च तले दबा जा रहा सरकारी खजाना। इन सारी परिस्थितियों से इत्तेफाक जताते वित्त मंत्री सुरेश खन्ना अब विश्वास के साथ ठंडी सांस लेते हैं कि कोरोना से घिरे बजट को वित्तीय अनुशासन की वैक्सीन देकर इतना तो हष्ट पुष्ट कर ही दिया गया है कि सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास की अवधारणा पर भी सौ फीसद खरा उतरे।
विधानमंडल से अगले वित्तीय वर्ष 2021-22 का अब तक का सबसे बड़ा बजट पारित होने के बाद तनाव मुक्त वित्त मंत्री सुरेश खन्ना स्वीकारते हैं कि चुनावी वर्ष का बजट तैयार करने में उनके सामने कोविड-19 की बड़ी चुनौती थी। कोरोना संक्रमण के चलते दुनियाभर की आर्थिक गतिविधियों में आए स्लोडाउन से यूपी अछूता नहीं है। फिर भी बिना अतिरिक्त टैक्स लगाए समाज के सभी वर्गों को ध्यान में रखते हुए यथार्थ के धरातल पर विकास को गति देने वाला बजट पेश किया। वह मानते हैं कि कानून व्यवस्था में सुधार के मद्देनजर सरकार के प्रति बढ़ते विश्वास से प्रदेश की आर्थिक स्थिति दिन-प्रतिदिन बेहतर होती जा रही है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार में बतौर वित्त मंत्री दूसरी बार बजट पेश करने वाले सुरेश खन्ना स्पष्ट तौर पर कहते हैं कि अपने पहले बजट की तुलना में मौजूदा वित्तीय वर्ष में प्रदेशवासियों के लिए बहुत कुछ और हो सकता था, लेकिन कोविड ने कई मोर्चे पर हाथ बांधे हैं। अब वैक्सीन आने से कोविड की विदाई पक्की हो गई है, लेकिन अगले वित्तीय वर्ष के बजट को बनाने में केंद्र व राज्य के उपलब्ध वित्तीय संसाधनों का तो ध्यान रखना ही पड़ा। तमाम चुनौतियों के बावजूद बजट में प्रदेश के समग्र एवं समावेशी विकास का ख्याल रखा गया ताकि समाज के किसी भी वर्ग को सरकार से किसी तरह का गिला-शिकवा न रह जाए।
वित्त मंत्री सुरेश खन्ना दावे के साथ कहते हैं कि उनके बजट की विशेषज्ञों ने आलोचना नहीं की, बल्कि सभी ने सकारात्मक ही बताया है। यथार्थ के धरातल पर पेश किए गए बजट से विकास को गति मिलेगी। रोजगार के अवसर बढ़ने के साथ ही स्थिति और मजबूत होगी। बजट बनाते वक्त वित्तीय अनुशासन को भी नजरअंदाज नहीं किया गया है।
वित्त मंत्री सुरेश खन्ना मानते हैं कि बेहतर वित्तीय प्रबंधन की वजह से ही कोरोना काल में भी सरकार अपने सभी कर्मियों को नियमित वेतन आदि देने में कामयाब रही। सभी जरूरी खर्चों के लिए धन की कमी नहीं आड़े आने दी गई। आर्थिक गतिविधियां तेज होने से दिसंबर में लक्ष्य का 86 फीसद और जनवरी में 92 फीसद तक राजस्व हासिल हुआ। कोरोना के मद्देनजर डीए, भत्ते आदि पर लगाई गई रोक को हटाने के संबंध में वित्त मंत्री का कहना है कि इस बारे अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है। उचित समय पर सरकार फैसला करेगी।