कृषि विधेयक लागू होने के बाद भी यूपी की मंडियां गुलजार, छह माह में 94 लाख मीट्रिक टन आवक
यूपी में कोरोना महामारी के दौरान भी मंडियां गुलजार रहीं और पांच जून के बाद मंडियों में किसानों के करीब 94 लाख मीट्रिक टन उत्पादों की आवक हुई। पहली बार मंडी परिषद द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों का धान सीधे खरीदने के लिए 492 क्रय केंद्र स्थापित कराए गए।
लखनऊ [अवनीश त्यागी]। कृषि विधेयक लागू होने के बाद मंडियां समाप्त होने का हल्ला मचाकर किसानों को बरगलाने वालों को आंकड़ों पर भी नजर डाल लेनी चाहिए। उत्तर प्रदेश में कोरोना जैसी महामारी के दौरान भी मंडियां गुलजार रहीं और बीती पांच जून के बाद मंडियों में किसानों के करीब 94 लाख मीट्रिक टन उत्पादों की आवक हुई।
उत्तर प्रदेश में पहली बार मंडी परिषद द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों का धान सीधे खरीदने के लिए 492 क्रय केंद्र स्थापित कराए गए हैं। मंडी परिसरों में किसानों व व्यापारियों की आवाजाही भी भरपूर रही है। बीती पांच जून से सितंबर माह तक प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक मंडियों में प्रवेश के लिए 1.38 लाख से अधिक पर्चियां जारी की गईं। मात्र चार माह के आंकड़े सिद्ध करते हैं कि किसानों का मंडियों पर भरोसा बरकरार है।
मंडी शुल्क में छूट, 45 फल-सब्जियां शुल्क मुक्त : मंडियों के प्रति किसानों व व्यापारियों का आकर्षण बनाए रखने के लिए सरकार ने मंडी शुल्क में एक प्रतिशत की कमी की है। इतना ही नहीं, फल-सब्जियों के उत्पादक किसानों को राहत देने के लिए 45 फल-सब्जियों को मंडी शुल्क से मुक्त कर दिया है। इसका परिणाम यह रहा कि बीती पांच जून के बाद से मंडियों में 11 लाख मीट्रिक फल-सब्जियों की आवक हुई, जिसमें ल्रगातार वृद्धि जारी है। सब्जी व्यापारी देवेंद्र सिंह का कहना है कि मंडी के अलावा किसानों के पास कोई भरोसेमंद विकल्प नहीं है। सरकार ने निजी मंडियां स्थापित करने की छूट जरूर दी है, लेकिन किसानों का विश्वास जीत पाना आसान नहीं होगा।
ऑनलाइन कारोबार भी बढ़ा : मंडियों में ऑनलाइन व्यापार भी लोकप्रिय हो रहा है। उत्तर प्रदेश राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद के निदेशक जेपी सिंह का कहना है कि प्रदेश की 125 मंडी समितियां केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी ई-नाम योजना से जुड़ी हैं। अध्यादेश पारित होने के बाद कोरोना काल में 18.24 लाख क्विंटल से अधिक कृषि उत्पादों का व्यापार ई-नाम के जरिये किया गया।
कृषि विधेयक किसान हित में : पदमश्री सम्मान प्राप्त बाराबंकी के प्रगतिशील किसान रामसरन वर्मा कहते हैं कि कृषि विधेयक देर से उठाया गया सरकार का सही कदम है। किसानों को खुले बाजार की जरूरत है। तब ही उनको अपनी फसल का लाभकारी मूल्य मिलेगा। केला व टमाटर जैसी फसलों में भारी मुनाफा कमाने वाले रामसरन का कहना है कि भारत बंद जैसे आयोजन करने वाले लोग किसानों के हितैषी नहीं हो सकते।
किसानों को बिचौलियों से मुक्ति : कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही का कहना है कि किसानों को बिचौलियों से मुक्त करके उनकी उपज का अधिकतम मूल्य दिलाना सरकार की प्राथमिकता है। शाही ने कहा, किसानों को भड़काने वाले विपक्षी दल बताएं कि उनके शासनकाल में किन फसलों की कितनी खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर हो पाती थी।