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नारों से बदल गईं कई सरकारें, कोई लगा पार तो कोई किनारे; इन स्‍लोगन ने बदले चुनावी समीकरण

UP Election 2022 नारे पार्टियों को सत्ता तक पहुंचाने में हमेशा कामयाब हथ‍ियार साब‍ित होते रहे हैं। समय व परिस्थिति के अनुरूप इसमें बदलाव जरूर हुए लेकिन वोटरों के जेहन में पार्ट‍ियों की जगह बनाने में नारों की बड़ी भूमिका रही।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Tue, 18 Jan 2022 09:12 PM (IST)Updated: Wed, 19 Jan 2022 07:20 AM (IST)
नारों से बदल गईं कई सरकारें, कोई लगा पार तो कोई किनारे; इन स्‍लोगन ने बदले चुनावी समीकरण
लोकसभा और यूपी विधानसभा के कुछ ऐसे ही कुछ चर्चित नारे सरकार बदलने में मददगार बने।

लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। चुनाव चाहे जो भी हों, नारे पार्टियों को सत्ता तक पहुंचाने में कामयाब रहे हैं। समय व परिस्थिति के अनुरूप इसमें बदलाव जरूर हुए, लेकिन वोटरों के जेहन में पाटियों की जगह बनाने में नारों की बड़ी भूमिका रही। यूपी चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस जहां 'लड़की हूं लड़ सकती हूं' नारे के साथ यूपी में सत्ता पाने का प्रयत्न कर रही है तो 'सोच ईमानदार काम दमदार', 'सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास' नारे के साथ एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी सरकार बनाने की चाहत रखे हुए है। समाजवादी पार्टी ने भी '22 में बाइसिकिल' नारे के साथ चुनावी जंग में उतर चुकी है। 'यूपी को बचाना है बचाना है बहन जी को मुख्यमंत्री बनाना है बनाना है' नारे के साथ बहुजन समाज पार्टी चुनाव में उतर चुकी है। लोकसभा और यूपी विधानसभा के कुछ ऐसे ही कुछ चर्चित नारे सरकार बदलने में मददगार बने।

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जय जवान, जय किसान : पाकिस्तान युद्ध के समय 1965 में तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने यह नारा दिया था। 1966 में उनके निधन के बाद 1967 में हुए आम चुनाव में यह नारा 'जय जवान, जय किसान' गुंजायमान हो उठा और उनकी पार्टी की सरकार बन गई।

गरीबी हटाओ : कांग्रेस पार्टी 1969 में टूट गई। इंदिरा गांधी की कांग्रेस (आर) और मोरारजी देसाई की कांग्रेस (ओ) बन गई। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1971 के चुनाव से पहले 'गरीबी हटाओ' नारा दिया और सरकार बन गई।

इंदिरा हटाओ, देश बचाओ : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 1975 में रायबरेली से इंदिरा गांधी के निर्वाचन को अवैध घोषित कर दिया तो उन्होंने 25 जून 1975 को देश में इमरजेंसी लगा दी। जय प्रकाश नारायण ने इंदिरा हटाओ, देश बचाओ का नारा देकर 1977 में कांग्रेस को सत्ता से हटा दिया।

राजा नहीं फकीर हैं, देश की तकदीर हैं : इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने। वीपी सि‍ंह ने मंत्री पद से इस्तीफा देकर राजीव गांधी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उनके समर्थकों ने नारा दिया- राजा नहीं फकीर हैं, देश की तकदीर हैं। इसके चलते 1989 के चुनाव में कांग्रेस की हार हुई।

मिले मुलायम-कांशीराम, हवा हो गए जय श्रीराम : राममंदिर आंदोलन के बाद बीजेपी की लहर को रोकने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सि‍ंह यादव और बीएसपी के संस्थापक कांशीराम ने 1993 में हाथ मिला लिया। दोनों ने 'मिले मुलायम-कांशीराम, हवा हो गए जय श्रीराम' का चर्चित नारा दिया। उस साल के यूपी विधानसभा चुनाव में एसपी-बीएसपी गठबंधन ने जीत हासिल की। 1995 में यह गठबंधन टूट गया था।

सबको देखा बारी-बारी, अबकी बारी अटल बिहारी : बीजेपी ने 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी को केंद्र में रखकर नारा दिया 'सबको देखा बारी-बारी, अबकी बारी अटल बिहारी'। चुनाव में बीजेपी सबसे बड़े दल के तौर पर उभरी और 13 दिन के लिए अटल प्रधानमंत्री बने।

इंडिया शाइनि‍ंग और कांग्रेस का हाथ, आम आदमी के साथ : बीजेपी ने 2003 में इंडिया शाइनि‍ंग का नारा दिया। जवाब में कांग्रेस ने कांग्रेस का हाथ, आम आदमी के साथ का नारा देकर कांग्रेस की अगुआई में यूपीए की सरकार बनाई।

तिलक, तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार : उत्तर प्रदेश में बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने 'तिलक, तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार' जैसा उत्तेजक नारा दिया था। 2007 के यूपी विधानसभा चुनाव में 'हाथी नहीं गणेश हैं, ब्रह्मा, विष्णु, महेश हैं' का नारा दिया तो पहली बार मायावती के नेतृत्व में सरकार बनी।

अबकी बार मोदी सरकार : लोकसभा चुनाव 2014 में अच्छे दिन आने वाले हैं, सबका साथ, सबका विकास का नारा दिया। इस चुनाव में बीजेपी की जीत हुई और नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बने।

मोदी हैं तो मुमकिन है : लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी ने 'एक बार फिर मोदी सरकार' के साथ-साथ 'मोदी हैं तो मुमकिन है' का नारा दिया था। कांग्रेस ने 'कट्टर सोच नहीं, युवा जोश' का नारा दिया था। 'इंदिरा हटाओ, देश बचाओ' की तर्ज पर ममता बनर्जी और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने 'मोदी हटाओ, देश बचाओ' का भी नारा दिया था। सभी पर भाजपा भारी पड़ी और सरकार बनाने में कामयाब रही।


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