UP Election 2022: राजनीति के दंगल में किसान ही सबके पसंदीदा नेता, पिछले चुनाव में 40 प्रतिशत पहुंचे थे विधानसभा
UP Vidhan Sabha Election 2022 अलग-अलग व्यवसाय से जुड़े व्यक्ति तो विधानसभा में पहुंच रहे हैं लेकिन उनमें आज भी सर्वाधिक कृषि व्यवसाय से ही जुड़े होते हैं। पांच वर्ष पहले के चुनाव में 161 विधायक ऐसे बने थे जिनका कारोबार खेती-किसानी ही था।
लखनऊ [अजय जायसवाल]। चुनाव में किसान जहां एक बड़ा मुद्दा होता है वहीं चुने जाने वाले जनप्रतिनिधियों में भी सर्वाधिक का कारोबार कृषि ही होता है। पांच वर्ष पहले 17वीं विधानसभा के हुए चुनाव में निर्वाचित 403 जनप्रतिनिधियों में 40 प्रतिशत से अधिक का कृषि ही मुख्य व्यवसाय रहा है। व्यापार और उद्योग से जुड़े व्यक्तियों की विधानसभा में पहुंचने की संख्या तो बढ़ी लेकिन वह 15 प्रतिशत से ज्यादा नहीं पहुंच सकी है। वकालत के पेशे से जुड़े भी जनता की सेवा के लिए आगे आ रहे हैं लेकिन उनमें से विधानसभा की दहलीज लांघने वाले अभी पांच प्रतिशत से ज्यादा नहीं है। अफसर, इंजीनियर, डाक्टर आदि का भी राजनीति में आकर्षण बढ़ रहा है लेकिन विधानसभा की जो तस्वीर सामने हैं उनमें इनकी संख्या अभी नाम मात्र की ही है।
चुनाव कोई भी लड़ सकता है, जिसकी उम्र 25 वर्ष से कम न हो। इसके लिए किसी तरह के व्यवसाय के होने या न होने की कोई बाध्यता नहीं है। यही कारण है कि जनता अपने बीच के लोकप्रिय किसी भी व्यवसाय से जुड़े व्यक्ति को अपना जनप्रतिनिधि चुनकर विधानसभा में भेजती रहती है। अलग-अलग व्यवसाय से जुड़े व्यक्ति तो विधानसभा में पहुंच रहे हैं, लेकिन उनमें आज भी सर्वाधिक कृषि व्यवसाय से ही जुड़े होते हैं। पांच वर्ष पहले के चुनाव में 161 विधायक ऐसे बने थे जिनका कारोबार खेती-किसानी ही था।
आबादी के लिहाज से सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के ग्रामीण आबादी वाले क्षेत्र की लगभग ढाई सौ विधानसभा सीटें हैं। इन सीटों से चुने जाने वाले विधायकों में से ज्यादातर कृषि से जुड़े रहते हैं। हालांकि, इनमें से ऐसे कई हैं जिनका कृषि के साथ ही दूसरा कारोबार भी रहा है। मौजूदा 17वीं विधानसभा में पहुंचने वाले 403 विधायकों में 116 विधायक ऐसे रहे हैं जिनका एक से अधिक कारोबार है। पिछले दो चुनाव में ऐसे विधायकों की संख्या 100 के इर्द-गिर्द ही रही है। यहां यह भी बताना जरूरी है कि खेती से होने वाली कमाई पर आयकर नहीं देना होता है।
हाल के वर्षों में अफसरों द्वारा सेवानिवृति लेकर चुनाव लड़ने की प्रवृति तो बढ़ती दिखी है लेकिन राजनीतिक दांव-पेच के माहिर खिलाड़ी न होने के कारण ही शायद विधायक बनकर जनसेवा करने की इच्छा कम अफसरों की ही पूरी हो पा रही है। अभी मात्र एक विधायक हैं जो सेवानिवृत अधिकारी रहे हैं। इसी तरह तीन इंजीनियरिंग और नौ मेडिकल पेशे से विधायक बने हैं। वकालत के पेशे से 17 और अध्यापन से 19 विधायक बनने में कामयाब रहे हैं। पांच वर्ष पहले 52 ऐसे विधायक भी चुने गए थे जिनका पेशा व्यापार व उद्योग रहा है। वर्ष 2012 में व्यापार-उद्योग से जुड़े 58, वर्ष 2007 के चुनाव में 40 और उससे पहले 2002 के चुनाव में 26 ही व्यापारी और उद्यमी विधायक बने थे। पत्रकारिता और अन्य क्षेत्र से जुड़े रहने वालों में से भी दो विधायक चुने गए थे।
तस्वीर बदलने की उम्मीद : जिस तरह से अब ज्यादातर प्रमुख राजनीतिक दलों का पढ़े-लिखे नौजवानों को टिकट देने का रुख दिख रहा है उससे अनुमान है कि 18वीं विधानसभा की तस्वीर पहले से बदली-बदली दिखाई देगी। सत्ताधारी भाजपा ने वीआरएस लेने वाले आइपीएस अफसर से लेकर वरिष्ठ डाक्टरों तक को अब तक टिकट दिए हैं। दूसरे दलों की सूची में भी ऐसे नाम दिखाई दे रहे हैं।
कब-कितने विधायकों का क्या रहा मुख्य व्यवसाय
क्रम संख्या | व्यवसाय | वर्ष 2002 | वर्ष 2007 | वर्ष 2012 | वर्ष 2017 |
1. | खेती-किसानी | 183 | 151 | 194 | 161 |
2. | सेवानिवृत अफसर | 01 | 02 | 04 | 01 |
3. | समाज कार्य | 07 | 01 | 06 | 00 |
4. | वकालत | 18 | 25 | 16 | 17 |
5. | व्यापार - उद्योग | 26 | 40 | 58 | 52 |
6. | अध्यापन | 12 | 09 | 15 | 19 |
7. | लेखन-पत्रकारिता | 01 | 01 | 02 | 01 |
8. | चिकित्सा | 07 | 09 | 10 | 09 |
9. | इंजीनियरिंग | 02 | 02 | 05 | 03 |
10 | विविध | 01 | 04 | 05 | 01 |