Move to Jagran APP

UP DElEd 2021: इस बार डीएलएड में खाली रहेंगी एक लाख से ज्यादा सीटें, आए करीब सवा लाख आवेदन

UP DElEd 2021 उत्तर प्रदेश में दो वर्षीय प्रशिक्षण पाठ्यक्रम डिप्लोमा इन फिजिकल एजुकेशन (डीएलएड) में प्रवेश के लिए अभ्यर्थियों में क्रेज घट गया है। प्रदेश भर में कुल करीब 242200 सीटों के लिए मंगलवार को अंतिम तिथि तक महज 125303 आवेदन ही आए।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Wed, 11 Aug 2021 10:24 AM (IST)Updated: Wed, 11 Aug 2021 10:37 AM (IST)
डीएलएड में प्रवेश के लिए अभ्यर्थियों में क्रेज घट गया है।

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश में दो वर्षीय प्रशिक्षण पाठ्यक्रम डिप्लोमा इन फिजिकल एजुकेशन (डीएलएड) में प्रवेश के लिए अभ्यर्थियों में क्रेज घट गया है। प्रदेश भर में कुल करीब 2,42,200 सीटों के लिए मंगलवार को अंतिम तिथि तक महज 1,25,303 आवेदन ही आए। इसके लिए 20 जुलाई से आवेदन लिए जा रहे थे। पिछले साल कोरोना महामारी के चलते प्रवेश नहीं लिए गए थे। उसके पहले भी दो साल स्थिति खराब ही रही थी, जिसके कारण सीटें भरी नहीं जा सकी थीं।

loksabha election banner

डीएलएड प्रशिक्षण 2021 में प्रवेश के लिए अभ्यर्थियों के आवेदन करने की शुरू से ही रफ्तार बेहद धीमी रही। डीएलएड 2021 में प्रवेश के लिए परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने विज्ञापन जारी कर अभ्यर्थियों से आनलाइन आवेदन मांगे थे। इसके लिए अंतिम तिथि 10 अगस्त निर्धारित की गई थी। प्रदेश भर में कुल सीटों के सापेक्ष 1,16,303 आवेदन कम आए। ऐसे में यदि सभी आवेदकों को प्रवेश दे दिया जाए, तब भी सीटें खाली ही रहेंगी।

हालांकि 1,64,197 अभ्यर्थियों ने इसके लिए रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन इनमें से कई ने अंतिम आवेदन नहीं किया। अभ्यर्थियों का प्रवेश जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, सीटीई वाराणसी तथा एनसीटीई से मान्यता के बाद संबद्ध निजी डीएलएड प्रशिक्षण संस्थान में किया जाना है। अभ्यर्थियों को मेरिट के आधार पर प्रवेश दिया जाना है। प्रवेश के लिए आवेदन की स्थिति यह है कि अगर सभी आवेदकों को दाखिला दे दिया जाए, तब भी सीटें भरना मुश्किल हैं। 

सीट की अपेक्षा कम आवेदन की स्थिति इसके पहले भी रही है। वर्ष 2020 में कोरोना संक्रमण के चलते सत्र शून्य रहा। इसके पहले 2019 के सत्र में 69,515 सीटें खाली रह गई थीं, जबकि वर्ष 2018 में 76,929 सीटें रिक्त रह गई थीं। कम आवेदन को लेकर परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव संजय उपाध्याय का मानना है कि इसका प्रमुख कारण कोरोना महामारी के चलते विश्वविद्यालयों का रिजल्ट प्रभावित होना है। इसके साथ ही अभ्यर्थियों का झुकाव बीएड की ओर होना भी एक कारण है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.