UP COVID-19 News: कोरोना तीसरी लहर में भी मोर्चा लेंगी MSME इकाइयां, सब्सिडी से लेकर हर सहूलियत पर विचार
UP COVID-19 News बच्चों के इलाज संबंधी चिकित्सा उपकरणों के उत्पादन पर है नजर । एमएसएमई एवं निर्यात प्रोत्साहन मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह का कहना है कि सरकार भी तैयार सब्सिडी से लेकर हर सहूलियत पर विचार ।
लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। UP COVID-19 News: कोरोना की महामारी में उद्योग जगत बड़ा मददगार बनकर सामने आया है। प्रदेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कही जाने वाली सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) इकाइयों ने कोरोना की पहली लहर की तरह ही दूसरी लहर में भी सरकार के चिकित्सा अवस्थापना मजबूत करने के अभियान को मजबूती दी। अब तीसरी लहर की आशंका के साथ ही इस दिशा में भी तेजी से काम शुरू हो गया है। बच्चों के इलाज संबंधी चिकित्सा उपकरणों के उत्पादन के लिए एमएसएमई विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है। उद्यमियों को हर तरह की सुविधा-सहूलियत देने के लिए विचार-विमर्श शुरू हो गया है।
प्रदेश में पंजीकृत और गैरपंजीकृत मिलाकर लगभग 90 लाख एमएसएमई इकाइयां हैं। कोरोना संकट काल से पहले योगी सरकार जब निवेश और कारोबार बढ़ाने के अभियान में जुटी थी, जब इसी क्षेत्र ने सबसे तेज कदम बढ़ाए और प्रदेश से निर्यात को अप्रत्याशित वृद्धि दिलाई। इसके बाद कोरोना संक्रमण ने प्रदेश में दस्तक दी तो प्रदेश में पीपीई किट, मास्क और सैनिटाइजर निर्माण आदि की शुरुआत एमएसएमई इकाइयों ने इतनी मात्रा में कर दी कि प्रदेश इसमें आत्मनिर्भर हो गया। इसके बाद दूसरी लहर में सबसे ज्यादा संकट आक्सीजन आपूर्ति का आया।
इसमें एमएसएमई विभाग ने सक्रियता दिखाई। उद्यमियों से संपर्क कर औद्योगिक इकाइयों से अस्पतालों को आक्सीजन की आपूर्ति शुरू कराई। कई इकाइयों ने आक्सीजन उत्पादन के नए प्लांट लगाना शुरू कर दिए। अब तीसरी लहर के लिए एमएसएमई सेक्टर कमर कस तैयार है।
एमएसएमई एवं निर्यात प्रोत्साहन मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर में बच्चे अधिक संक्रमित हो सकते हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अब उसी के अनुसार संसाधन की व्यवस्था कर रहे हैं। इसी दिशा में एमएसएमई सेक्टर भी तैयारी कर रहा है। बच्चों के इलाज संबंधी चिकित्सा उपकरणों का उत्पादन शुरू कराया जाना है। बच्चों के मास्क, वेंटिलेटर आदि अलग से बनाए जाएंगे। इसके लिए पूंजी अनुदान की व्यवस्था कर ली गई है। इसके अलावा अन्य सहूलियत-सुविधाएं देने पर विचार चल रहा है। उद्यमियों से भी सलाह ली जा रही है। अधिकारियों से कहा है कि जरूरत के अनुसार नीतियों में जो भी सरलीकरण करना हो, उसकी रिपोर्ट दें। मकसद यही है कि जीवनरक्षा के उपायों में कोई कसर न रहे।