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UP CM ऑफिस की आकस्मिक जांच में फंसे पांच कमिश्नर, दो दर्जन डीएम, 12 एसएसपी; नहीं उठाया सीयूजी नंबर

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्पष्ट कहते रहे हैं कि अधिकारी जनता से मिलने के निर्धारित समय पर अपने कार्यालय में बैठें और जन सामान्य के बीच प्रसारित सीयूजी फोन नंबर पर कॉल जरूर रिसीव करें। इसके बावजूद तमाम अधिकारियों का रवैया सुधर ही नहीं रहा।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Mon, 15 Mar 2021 11:20 PM (IST)Updated: Tue, 16 Mar 2021 08:38 AM (IST)
UP CM ऑफिस की आकस्मिक जांच में फंसे पांच कमिश्नर, दो दर्जन डीएम, 12 एसएसपी; नहीं उठाया सीयूजी नंबर
यूपी सीएम ऑफिस की आकस्मिक जांच में दो दर्जन डीएम, पांच कमिश्नर 12 एसएसपी ने सीयूजी नंबर नहीं उठाया।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। जन शिकायतों के निस्तारण पर जोर देते रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बार-बार दोहरा रहे हैं कि अधिकारी सीयूजी नंबर पर आने वाली हर कॉल रिसीव करें और जनता की समस्या का समाधान कराएं। इसके बावजूद तमाम अधिकारियों का रवैया सुधर ही नहीं रहा। ऐसे लगभग दो दर्जन जिलाधिकारी, पांच मंडलायुक्त और करीब 12 एसएसपी सहित अन्य पुलिस अधिकारी मुख्यमंत्री कार्यालय की आकस्मिक जांच में फंस गए हैं।

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समन्वित शिकायत निवारण प्रणाली (आइजीआरएस), सीएम हेल्पलाइन सहित सभी माध्यमों से मिलने वाली शिकायतों के निस्तारण पर मुख्यमंत्री कार्यालय से पैनी नजर रखी जा रही है। इसकी निगरानी कर बाकायदा जिलों की रैंकिंग भी जारी की जा रही है। इसके अलावा अक्सर बैठकों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्पष्ट कहते रहे हैं कि अधिकारी जनता से मिलने के निर्धारित समय पर अपने कार्यालय में बैठें और जन सामान्य के बीच प्रसारित सीयूजी फोन नंबर पर कॉल जरूर रिसीव करें। 

ऐसा न करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की चेतावनी भी दी जाती रही है। इसके बावजूद तमाम वरिष्ठ अधिकारियों ने सीएम के निर्देशों को ही गंभीरता से नहीं लिया। मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि शनिवार को सीएम के पंचम तल स्थित कार्यालय से आकस्मिक जांच की गई कि मंडल और जिलों में तैनात वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी सीयूजी नंबर पर फोन रिसीव कर रहे हैं या नहीं।

बताया गया है कि करीब दो दर्जन जिलाधिकारी, पांच मंडलायुक्त और लगभग बारह एसएसपी-एसपी व अन्य पुलिस अधिकारी ऐसे थे, जिनके फोन उनके पीआरओ ने उठाए या कॉल रिसीव ही नहीं हुई। अब इन सभी अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा जा रहा है। वाजिब कारण न पाए जाने पर कई अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई हो सकती है। इसके साथ ही सीएम कार्यालय से संदेश दे दिया गया है कि अब इस तरह की औचक जांच चलती रहेगी, इसलिए आमजन का फोन न उठाना भी भारी पड़ सकता है।


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