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अब दिल्ली की दौड़ नहीं, लखनऊ बना मेडिकल हब

लखनऊ में अस्पतालों की भरमार के बावजूद बेडों का संकट रहता है। इमरजेंसी में खासकर सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल पीजीआई, लोहिया संस्थान व केजीएमयू में इलाज मिलना मुश्किल है।

By Krishan KumarEdited By: Published: Tue, 03 Jul 2018 02:00 AM (IST)Updated: Mon, 02 Jul 2018 08:42 PM (IST)
 अब दिल्ली की दौड़ नहीं, लखनऊ बना मेडिकल हब

नवाबों के शहर लखनऊ का रुतबा यूं तो कई क्षेत्रों में बढ़ा है, लेकिन हाल के वर्षों में चिकित्सा क्षेत्र ने कामयाबी की नई इबारत लिखी है। मेडिकल हब बन चुके इस शहर में सार्वजनिक से लेकर निजी सेक्टर तक में अस्पतालों का जाल बिछा है। स्थिति यह है कि सामान्य से लेकर जटिल इलाज तक की सुविधाएं राजधानी में मुमकिन हैं। लोगों को दिल्ली की भागदौड़ से काफी हद तक निजात मिली है।

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दरअसल, राज्य की राजधानी का गौरव हासिल किए लखनऊ में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए केंद्र व राज्य सरकारों ने खजाना खोल रखा है। इसी के तहत राजधानी में एलोपैथ, आयुर्वेद, होम्योपैथ और यूनानी चिकित्सा का 'फोर पिलर स्ट्रक्चर' खड़ा किया गया है। यहां चारों चिकित्सकीय सेवाओं के लिए स्वास्थ्य केंद्र से लेकर अस्पताल तक के साथ-साथ शिक्षण व शोध केंद्र भी स्थापित किए गए हैं। यह स्ट्रक्चर सिर्फ सरकारी क्षेत्र में ही नहीं प्राइवेट सेक्टर में भी तैयार है। निजी क्षेत्र में भी क्लीनिक, हॉस्पिटल, सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल, यूनिवर्सिटी व रिसर्च सेंटर की एक चेन है।

ऑर्गन ट्रांसप्लांट में मिलेगी रफ्तार

शहर के एसजीपीजीआइ व लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में किडनी ट्रांसप्लांट हो रहा है। वहीं केजीएमयू भी जल्द ही इस दिशा में पहल करेगा। यहां ऑर्गन ट्रांसप्लांट विभाग बन चुका है। इसके अलावा एसजीपीजीआइ ऑर्गन ट्रांसप्लांट सेंटर स्थापित करने जा रहा है। इसमें लिवर ट्रांसप्लांट की सुविधा भी अपग्रेड होगी। ऐसे में राज्य के मरीजों को दिल्ली की भागदौड़ खत्म हो सकेगी।

एलोपैथ के साथ आयुष की कदमताल

शहर में एलोपैथ से सामान्य इलाज के लिए मोहल्लों में 52 अर्बन पीएचसी खोली गई हैं। खासकर यह पीएचसी मलिन बस्तियों में हैं, ताकि गरीब व मजदूर तबके के मरीजों को इलाज के लिए भटकना न पड़े। विशेषज्ञ सेवाओं के लिए आठ अर्बन सीएचसी व शहर से सटी तीन सीएचसी उपलब्ध हैं। इन पर 24 घंटे प्रसव की सुविधा है। वहीं 11 जिला व महिला अस्पताल भी हैं। इनमें कई बीमारियों के मुफ्त में जटिल ऑपरेशन किए जाते हैं।

इसके अलावा उच्चस्तरीय इलाज के लिए सरकार ने मेडिकल यूनिवर्सिटी केजीएमयू व लोहिया-पीजीआई जैसे आयुर्विज्ञान संस्थान मौजूद हैं। इसी तरह आयुष विधा भी अब एलोपैथ के साथ कदमताल करने के लिए प्रयासरत है। विभिन्न मोहल्लों में जहां आयुर्वेद की 16 डिस्पेंसरी व मिनी अस्पताल खुले हैं, वहीं होम्योपैथ की 11 व यूनानी की एक डिस्पेंसरी है। यहां मरीजों को आयुष विधा के जरिए मुफ्त इलाज किया जा रहा है। ऐसे ही जटिल इलाज के लिए आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथ का एक-एक मेडिकल कॉलेज भी है, जहां इलाज के साथ-साथ शोध व शिक्षण कार्य भी हो रहा है।

प्राइवेट सेक्टर भी भर रहा उड़ान

राजधानी के हेल्थ सेक्टर में निजी क्षेत्र भी काफी व्यापक है। शहर में एलोपैथ की जहां 1200 क्लीनिक संचालित हैं, वहीं आयुष की भी एक हजार क्लीनिक खुली हैं। इसके अलावा करीब 785 रजिस्टर्ड हॉस्पिटल विभिन्न इलाकों में स्थापित हैं। वहीं दो डीम्ड यूनीवर्सिटी व मेडिकल कॉलेज भी संचालित हैं। निजी क्षेत्रों में भी हर रोज हजारों की संख्या में लोग लाभ उठा रहे हैं। शहर के अस्पतालों में गैर जनपदों के साथ-साथ दूसरे प्रदेश से भी मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं।

इन्वेस्टर्स समिट से उम्मीदों के पंख

राज्य सरकार ने इन्वेस्टर्स समिट कर राजधानी के हेल्थ सेक्टर में उम्मीदों के और पंख लगा दिए हैं। तमाम विदेशी कंपनियां जहां पीपीपी मॉडल पर सेवाओं को शुरू करने की इच्छुक हैं। वहीं देश के कॉरपोरेट हॉस्पिटल की चेन पाइप लाइन में हैं। सरकार के साथ कई प्रोजेक्ट पर कंपनियों की वार्ता चल रही है, जोकि रोजगार के नए अवसर भी मुहैया कराएंगी।

मगर अभी वेटिंग में इलाज

शहर में अस्पतालों की भरमार के बावजूद बेडों का संकट रहता है। खासकर सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल पीजीआई, लोहिया संस्थान व केजीएमयू में इमरजेंसी में इलाज मिलना मुश्किल है। कारण, राज्य के विभिन्न जनपदों के साथ-साथ गैर प्रदेशों के भी मरीज इलाज के लिए यहां आते हैं। ऐसे में मरीजों की भीड़ के चलते बेडों की मारामारी रहती है।

शहर में अस्पताल

सरकारी अस्पताल व स्वास्थ्य केंद्र 100

निजी अस्पताल  785

 क्लीनिक 2200


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