UP Budget 2021-22: अब यूपी में बिछेगा मेडिकल कॉलेजों का जाल, महामारी पर वार-इलाज रामबाण
सेहतमंद यूपी प्रदेश के 16 जिलों में थ्री पी मॉडल पर नए मेडिकल कॉलेज स्थापित करने के लिए बजट में 48 करोड़ रुपये दिए गए हैं। कोरोना टीकाकरण के लिए 50 करोड़ बनेगी उच्चस्तरीय लैब। पीएचसी पर जांच की सुविधा।
लखनऊ [आशीष त्रिवेदी]। कोरोना से दो-दो हाथ कर रहे प्रदेश ने भविष्य में ऐसे किसी भी वायरस से निपटने की मजबूत तैयारी भी कर ली है। कोरोना महामारी से बचाव के लिए 50 करोड़ रुपये टीकाकरण के लिए दिए गए हैं। वहीं नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआइवी), पुणे की तर्ज पर उत्तर भारत के पहले इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी एंड इंफेक्शस डिजीजेज की स्थापना राजधानी के केजीएमयू में होगी और इसमें बॉयो सेफ्टी लेवल (बीएसएल) चार की अत्याधुनिक लैब बनाई जाएगी। इसमें कोरोना वायरस के साथ ही किसी भी नए वायरस की जांच हो सकेगी। इसके अलावा प्रदेश भर में मेडिकल कॉलेजों का जाल बिछाया जाएगा। हर जिले में मेडिकल कॉलेज होगा। नए व निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेजों के निर्माण के लिए 3,233 करोड़ रुपये दिए गए हैं। वहीं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) पर भी जांच की सुविधा मिलेगी। पीएचसी पर डायग्नॉस्टिक की सुविधाएं देने पर 1,090 करोड़ खर्च होंगे।
प्रदेश के 16 जिलों में थ्री पी मॉडल पर नए मेडिकल कॉलेज स्थापित करने के लिए बजट में 48 करोड़ रुपये दिए गए हैं। अभी इन जिलों में सरकारी या प्राइवेट कोई भी मेडिकल कॉलेज नहीं है। यहां जिला अस्पतालों को अपग्रेड कर मेडिकल कॉलेज में तब्दील किया जाएगा। इसमें रामपुर, बागपत, मैनपुरी, बलिया, संतकबीरनगर, भदोही, कासगंज, महाराजगंज, शामली, चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर, मऊ, श्रावस्ती, संभल व हाथरस शामिल हैं। आठ जिलों में निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेजों में जुलाई 2021 से नया सत्र शुरू करने के लिए 960 करोड़ रुपये दिए गए हैं। वहीं 13 जिलों में निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेजों में काम जल्द पूरा करने के लिए 1,950 करोड़ रुपये दिए गए हैं। अमेठी और बलरामपुर में भी नए मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए 175 करोड़ रुपये दिए गए हैं। लखनऊ में अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए 100 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) पर जांच की सुविधाएं भी मरीजों को मिलेंगी। यहां डायग्नॉस्टिक बुनियादी ढांचा सृजित किया जाएगा। ऐसे में लोगों को खून की जांच, एक्सरे इत्यादि के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। राजधानी में संजय गांधी पीजीआइ में उन्नत मधुमेह केंद्र की स्थापना की जाएगी। यहां डायबिटीज के मरीजों को प्रदेश में ही अत्याधुनिक इलाज की सुविधा दी जाएगी।
12 मंडलों में खुलेगी खाद्य एवं औषधि प्रयोगशाला : खाद्य पदार्थों व दवाओं में मिलावट के खेल पर मजबूत शिकंजा कसा जाएगा। 12 मंडलों में खाद्य एवं औषधि प्रयोगशालाओं की स्थापना की जाएगी। इसके निर्माण के लिए 50 करोड़ रुपये दिए गए हैं। वहीं राज्य औषधि नियंत्रण प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए 54 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन पर 5,395 करोड़ होंगे खर्च: प्रदेश में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन पर 5,395 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। वहीं शहरी स्वास्थ्य व आरोग्य केंद्रों पर बेहतर इलाज की सुविधाएं देने के लिए 425 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना के लिए बजट में 320 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
आयुर्वेद, यूनानी दवाओं की गुणवत्ता व उत्पादन बढ़ेगा: आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सालयों में प्रमाणित एवं गुणकारी औषधियों की आपूर्ति के लिए लखनऊ व पीलीभीत की राजकीय औषधि निर्माणशालाओं में संसाधन बढ़ाए जाएंगे। उत्पादन क्षमता में भी वृद्धि होगी।
आयुष्मान योजना को दिए 1300 करोड़: आयुष्मान भारत पीएम जन आरोग्य योजना के तहत प्रदेश के गरीबों को पांच लाख रुपये तक निश्शुल्क इलाज की सुविधा देने पर 1300 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इस योजना से छूटे लोगों को शामिल करते हुए लाभ देने पर 142 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
हाईलाइटर
- ब्लॉक स्तर पर लोक स्वास्थ्य इकाइयों की स्थापना पर 77 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
- नए व निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेजों में के लिए 3233 करोड़ रुपये दिए गए।
- असाध्य रोगों के इलाज की सुविधा के लिए 100 करोड़ रुपये दिए गए।
- राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन पर 23 करोड़ रुपये खर्च होंगे।