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Uttar Pradesh Election Politics: ओवैसी, शिवपाल व राजभर की तिकड़ी की उत्तर प्रदेश में बड़ा गेम खेलने की योजना

Uttar Pradesh Election Politics उत्तर प्रदेश की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी से दो-दो हाथ करने को नया गठबंधन तैयार हो रहा है। बहुजन समाज पार्टी समाजवादी पार्टी तथा कांग्रेस के साथ अब भाजपा को एक और मोर्चे से भिड़ने की रणनीति बनानी होगी।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Fri, 18 Dec 2020 05:39 PM (IST)Updated: Sat, 19 Dec 2020 10:17 AM (IST)
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने में करीब 14 महीने का समय है।

लखनऊ, जेएनएन।Uttar Pradesh Election Politics: बिहार विधानसभा चुनाव के बाद हैदराबाद नगर निगम के चुनाव में शानदार प्रदर्शन करने वाली एआईएमआईएम की निगाह अब उत्तर प्रदेश पर है। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी बुधवार को लखनऊ में थे और उन्होंने में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर से भेंट की। इसके बाद दोनों नेताओं ने भविष्य में उत्तर प्रदेश में एक मंच से चुनाव लड़ने की घोषणा भी की। इसके बाद गुरुवार को राजभर ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के प्रमुख शिवपाल सिंह यादव से भेंट की। इन तीनों नेताओं के एक मंच से आने पर अनुमान लगाया जा रहा है कि यह तिकड़ी 2022 में उत्तर प्रदेश में बड़ा गेम खेलने की योजना में है।

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उत्तर प्रदेश की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी से दो-दो हाथ करने को नया गठबंधन तैयार हो रहा है। बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी तथा कांग्रेस के साथ अब भाजपा को एक और मोर्चे से भिड़ने की रणनीति बनानी होगी। गैर भाजपावाद को समय की जरूरत करार देने वाले प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के नेता शिवपाल सिंह यादव ने ओमप्रकाश राजभर को आगे कर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के साथ राजनीति की नई संभावनाएं तलाशी शुरू कर दी हैं। 

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने में करीब 14 महीने का समय है। इससे पहले ही उत्तर प्रदेश की राजनीति तेजी से करवट बदलती दिखाई दे रही है। योगी आदित्यनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे ओम प्रकाश राजभर तथा शिवपाल सिंह यादव बेहद करीब आ गए हैं। इसी बीच इनको ओवैसी का बड़ा सहारा मिला है। हाल ही में बिहार विधानसभा चुनाव में अल्पसंख्यक मतदाता मूल सीटों पर जीत का परचम फहराने वाले असदुद्दीन ओवैसी एकाएक गैर भाजपा राजनीति के केंद्र में आ गए।

यही वजह है कि वह पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को अपने साथ समझौता करने का न्योता दे रहे हैं तो दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में कदम रखते ही उनसे गले मिलने के लिए छोटे-छोटे दलों के राजनेता बेकरार दिखाई दे रहे हैं। जातीय राजनीतिक आधार पर खड़े छोटे दलों को बड़ी जीत के लिए हमेशा तालमेल की दरकार होती है। राजभर समाज के वोट बैंक के साथ भाजपा का दामन थाम कर ओमप्रकाश राजभर ने भी सत्ता का स्वाद चखा था। अब उन्हेंं यह मालूम है कि अकेले राजभर समाज के वोट बैंक से उन्हेंं कुर्सी मिलने वाली नहीं है ऐसे में जरूरी है कि दूसरे राजनीतिक दलों का उन्हेंं साथ मिले। भाजपा से अलग होने के बाद वह समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के नेता शिवपाल सिंह यादव से अलग-अलग मुलाकात कर चुके हैं. लखनऊ में ओवैसी से मिलने पहुंचे राजभर ने मीडिया से कहा कि ओवैसी के साथ मिलकर गठबंधन की राजनीति करेंगे। उन्होंने यह भी साफ किया कि शिवपाल सिंह यादव ने गठबंधन की राजनीति का मंत्र दिया है और उसी पर वह ओवैसी के साथ आगे बढ़ेंगे।

ओवैसी के साथ हुई मुलाकात के अगले दिन ही राजभर ने शिवपाल सिंह यादव से मुलाकात की। शिवपाल सिंह यादव ने छोटे-छोटे दलों के गठबंधन का जो राजनीतिक फार्मूला तैयार किया है उस पर काम करने के लिए राजभर के साथ ओवैसी भी राजी हो गए हैं। ओवैसी का संदेश लेकर राजभर ने शिवपाल से मुलाकात की है। दूसरी ओर पीस पार्टी से भी ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि वह शिवपाल सिंह यादव के गठबंधन का हिस्सा बनने के लिए तैयार है। शिवपाल सिंह यादव ने बयान भी जारी किया है कि प्रदेश और देश की राजनीति में गैर भाजपा वाद वक्त की मांग है। ऐसे में बहुत मुमकिन है कि शिवपाल ,राजभर और ओवैसी की तिकड़ी मिलकर उत्तर प्रदेश में कोई नया गुल खिला दे।

ओवैसी को जहां कट्टर मुसलमानों का समर्थन हासिल है वही शिवपाल सिंह यादव मुस्लिमों के साथ ही यादवों के भी नेता हैं। इसके साथ ही अन्य जातियों में भी उनका समर्थक वर्ग मौजूद है। ओमप्रकाश राजभर पूर्वी उत्तर प्रदेश की लगभग दो दर्जन सीटों पर मजबूत दखल रखते हैं। यह तीनों राजनीतिक दल एक साथ आते हैं तो पूर्वांचल के कम से कम तीन से चार दर्जन सीटों पर नया समीकरण बनाने में कामयाब हो सकते हैं। पश्चिम उत्तर प्रदेश की सीटों पर भी शिवपाल और ओवैसी का गठबंधन मजबूत परिणाम दे सकता है। ओवैसी को भी यह मालूम है कि कट्टर मुसलमान तो उनके साथ आ सकता है लेकिन दूसरे मतदाता वर्ग तक उनकी पहुंच नहीं है यह तभी संभव है जब उन्हेंं उत्तर प्रदेश के अन्य राजनीतिक दलों का साथ मिले।  


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