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UP Assembly By-Election 2020: बहुकोणीय मुकाबलों और जातीय जोड़तोड़ में फंसा विधानसभा उपचुनाव

यूपी में सात विधानसभा क्षेत्रों में मंगलवार को होने जा रहे उपचुनाव के लिए प्रचार का शोर रविवार को थम गया। अब प्रत्याशी व समर्थक घर-घर संपर्क में जुट गए। अधिकतर सीटों पर बहुकोणाीय मुकाबले होने की संभावना के बीच जातीय जोड़तोड़ बढ़ने से चुनाव फंसा है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sun, 01 Nov 2020 09:04 PM (IST)Updated: Sun, 01 Nov 2020 09:04 PM (IST)
UP Assembly By-Election 2020: बहुकोणीय मुकाबलों और जातीय जोड़तोड़ में फंसा विधानसभा उपचुनाव
उत्तर प्रदेश में मंगलवार को होने जा रहे विधानसभा उपचुनावों के लिए प्रचार का शोर रविवार को थम गया।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश में सात विधानसभा क्षेत्रों में मंगलवार को होने जा रहे उपचुनावों के लिए प्रचार का शोर रविवार को थम गया। अब प्रमुख दलों को मतदान प्रतिशत कम रहने की चिंता सता रही है। खासकर कोरोना वायरस संक्रमण में वोटरों को निकालना आसान न होगा। मतदाताओं को मतदान केंद्रों तक लाने के लिए प्रत्याशी व समर्थक घर-घर संपर्क में जुट गए। अधिकतर सीटों पर बहुकोणाीय मुकाबले होने की संभावना के बीच जातीय जोड़तोड़ बढ़ने से चुनाव फंसा है।

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उत्तर प्रदेश में जिन सात विधानसभा सीटों पर मतदान होगा उनमें से देवरिया, बांगरमऊ, नौगावां सादात, टूंडला, बुलंदशहर व घाटमपुर भाजपा के कब्जे भी थी, जबकि जौनपुर जिले की मल्हनी सीट सपा नेता पारसनाथ यादव के निधन से रिक्त हुई थी। प्रमुख दलों में भाजपा व बसपा ही सभी सात सीटों पर लड़ रही हैं जबकि समाजवाद पार्टी ने बुलंदशहर सीट गठबंधन में राष्ट्रीय लोकदल के लिए छोड़ दी। वहीं टूंडला में कांग्रेस उम्मीदवार का पर्चा रद हो गया था।

प्रचार युद्ध में भाजपा आगे दिखी : चुनाव में प्रचार में भाजपा अन्य दलों से आगे दिखी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने सभी सीटों पर संयुक्त सभाएं कीं। वर्चुअल संवाद के जरिए भी संपर्क किया गया। वहीं उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व दिनेश शर्मा ने भी सभाएं कीं। दो दर्जन से अधिक मंत्रियों को भी प्रचार का जिम्मा सौंपा गया। संगठन महामंत्री सुनील बंसल ने सभी क्षेत्रों में दो बार कार्यकर्ताओं की बैठकें लेकर समन्वय बेहतर करने के साथ अधिकतम वोट डलवाने का मंत्र दिया। समाजवादी पार्टी की ओर से प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम व आधा दर्जन पूर्व मंत्री प्रचार में जुटे दिखे। वहीं कांग्रेस में भी प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ही मुख्य स्टार प्रचारक थे। बसपा में राष्ट्रीय महासचिव सतीश मिश्रा मुख्य प्रचारक की भूमिका में रहे।

सभी दलों को असंतुष्टों से खतरा : अमूमन सभी दलों में अपनों की नाराजगी व बागियों की गतिविधियां सिरदर्द बनी हैं। सबसे अधिक परेशानी बसपा को दिख रही है क्योंकि आधा दर्जन विधायकों की बगावत से माहौल कुछ बिगड़ा है। देवरिया सीट पर भाजपा निर्दल बागी प्रत्याशी पिंटू सिंह से हो रहे नुकसान की भरपाई के लिए चिंतित है। सपा व कांग्रेस में वरिष्ठ नेताओं की उदासीनता ने चिंता बढ़ा रखी है।


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