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लखनऊ में स्वदेशी हुनर और कौशल से सजेगा अनूठा मेला, संगीत नाटक अकादमी में 17 से होगा शुरू

स्वदेशी मेला अपने हुनर और कौशल से बनी वस्तुओं को सही पहचान दिलाने का एक अद्भुत मंच है जहां दैनिक जीवन में उपयोग होने वाली वस्तुओं की बिक्री का अवसर मिलेगा। यहां पर स्वदेशी गीत एवं संगीत का स्वर भी प्रस्फुटित होगा।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sun, 28 Nov 2021 11:53 AM (IST)Updated: Sun, 28 Nov 2021 11:53 AM (IST)
लखनऊ में स्वदेशी हुनर और कौशल से सजेगा अनूठा मेला, संगीत नाटक अकादमी में 17 से होगा शुरू
स्वदेशी मेला अपने हुनर और कौशल से बनी वस्तुओं को सही पहचान दिलाने का एक अद्भुत मंच है।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। पकवान, गीत-संगीत समेत अपने शहर की विशेषताओं को समेटे एक अनोखा मेला सजने वाला है। इस मेले के जरिए स्वदेशी को बल मिलेगा। स्वदेशी जागरण मंच की ओर से उप्र संगीत नाटक अकादमी में 17 से 26 दिसंबर तक स्वदेशी मेला लगेगा। स्वदेशी मेला अपने हुनर और कौशल से बनी वस्तुओं को सही पहचान दिलाने का एक अद्भुत मंच है, जहां दैनिक जीवन में उपयोग होने वाली वस्तुओं की बिक्री का अवसर मिलेगा। यहां पर स्वदेशी गीत एवं संगीत का स्वर भी प्रस्फुटित होगा।

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सदियों से मेला हमारे लिए नवीनता, गुणवत्ता और विविधता लेकर आते रहे हैं। आज विज्ञान की आधुनिकतम खोजें और प्रौद्योगिकी भी विकेंद्रित उद्योग के पक्ष में है, ऐसे में स्वदेशी मेले के जरिए छोटे यंत्रों से बने उत्पाद, कारीगरी, घरेलू निर्मित वस्तुओं और अपने देश के कौशल को सभी के सामने प्रभावी ढंग से पेश करने का मौका मिलेगा। साथ ही इससे स्वदेशी वस्तुओं के लिए बाजार भी तैयार करने में मदद मिलेगी। स्वदेशी मेला ग्रामीण भारत की उन संभावनाओं को प्रोत्साहित और ब्रांडि‍ंग करने का प्रयास है जो श्रम, कौशल ओर नवीनता के साथ आगे आना चाहते हैं। हुनर और श्रम के मूल्य को मंच और बाजार देने का काम 25 वर्षों से किया जा रहा है।

बहुत कुछ होगा खास नृत्य एवं संगीत : लखनऊ और कथक एक दूसरे के पर्याय हैं। लच्छू महाराज, अच्छन महाराज, शंभू महाराज और बिरजू महाराज ने इस परंपरा को जीवित रखा। पंडित विष्णु नारायण भातखंडे के नाम पर शहर में संगीत संस्थान भी है। शहर की यही सांगीतिक विरासत और परंपरा मेले में देखने को मिलेगी।

प्रतिदिन होंगी प्रतियोगिताएं : मेले में प्रतिदिन प्रतियोगिताओं का आयोजन देश के कौशल, प्रेरणा, प्रतिभा और वैज्ञानिकता को प्रकाश में लाने का काम करेगा। साथ ही लुप्त हो रही विधा एवं कला को खोजने और बढ़ावा देने के लिए पुरस्कार आधारित प्रतियोगिताएं भी होंगी।

स्वदेशी जायका : लखनऊ के पकवान विख्यात हैं। लखनऊ की प्रसिद्ध मक्खन मलाई और मलाई गिलौरी का स्वाद भी यहां मिलेगा। लखनऊ के व्यंजनों ने ही परतदार पराठों की खोज की, जिसको तंदूरी पराठा भी कहा जाता है। यहां के अवधी व्यंजन में बहुत तरह की रोटियां हैं, जिसमें शीरमाल, नान, खमीरी रोटी, रुमाली रोटी, कुल्छा जैसी कई अन्य रोटियां प्रसिद्ध हैं। मेले में स्वदेशी जायके का भी आनंद उठाने का मौका मिलेगा।


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