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हमसे डेढ़ गुना ज्‍यादा खाकर भी कैसे चुस्त रहते हैं अफ्रीकी

भारतीय अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव में आए लोगों को प्रदेश के कृषि मंत्री ने दिया कृषि कुंभ में आने का निमंत्रण। बोले, विज्ञान और तकनीक के समावेश से खुशहाल होगा किसान।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sat, 06 Oct 2018 08:47 AM (IST)Updated: Sat, 06 Oct 2018 08:47 AM (IST)
हमसे डेढ़ गुना ज्‍यादा खाकर भी कैसे चुस्त रहते हैं अफ्रीकी
हमसे डेढ़ गुना ज्‍यादा खाकर भी कैसे चुस्त रहते हैं अफ्रीकी

लखनऊ, (जेएनएन)। अफ्रीकी देशों के लोग भारतीयों की अपेक्षा डेढ़ गुना खाते हैं, लेकिन उनका वजन नहीं बढ़ता। वह चुस्त रहते हैं। कारण, वह न्यूट्रीशन पर ज्यादा ध्यान देते हैं। भविष्य में न्यूट्रीशन हमारे लिए चुनौती है। भारतीय अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव के एग्रीकल्चर कॉन्क्लेव में केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने विज्ञान महोत्सव में कृषि को शामिल कर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है।

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शेखावत ने कहा कि पैदावार में लगातार वृद्धि जारी है। चीनी और दूध में आत्मनिर्भरता के बाद समय अब आ गया है कि हम दलहन और तिलहन को चुनौतियों के रूप में स्वीकार करें। गेहूं और धान पैदा करने वाले किसान का जीडीपी में मात्र 14 प्रतिशत योगदान है। जबकि औद्यानिक किसान 42 प्रतिशत का सहयोग जीडीपी में कर रहे हैं। ऐसे में किसानों को परंपरागत खेती से निकल कर फूलों और फलों की खेती पर जोर देना चाहिए। उन्होंने कहा देश और उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए यह महोत्सव काफी कारगर होगा। विज्ञान के क्षेत्र में जो प्रगति हुई है, उसे जनता के सामने ले जाना चाहिए। वर्ष 2030 तक न्यूट्रीशन सिक्योरिटी की विकट समस्या पैदा हो जाएगी। खाने के साथ न्यूट्रीशन बहुत अनिवार्य है, जो कि भारतीय उत्पादन में मिलता है।

दुनिया में कृषि के पावर हाऊस है हम

केंद्रीय राज्यमंत्री ने कहाकि देश में चार लाख लाख करोड़ का व्यवसाय कृषि के माध्यम से होता है। इसमें से 2.5 लाख आयात है और 1.5 लाख निर्यात है। ढाई लाख नौजवान कृषि की विधा से पढ़ाई कर रहें, लेकिन अभी भी बहुत कमी है। हालांकि, हम दुनिया में कृषि के पावर हाऊस तौर पर काम कर रहे हैं। मार्केट बेस कृषि बहुत जरूरी है। देश में 12 करोड़ किसान है। 12 करोड़ परिवार के पास एक एकड़ से कम जमीन है।

नई किसान नीति से मुनाफा कमा रहे कृषक

महोत्सव में प्रदेश के कृषि विभाग से समन्वय न होने का दर्द प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप साही ने मंच पर बयां करने से नहीं चूके। उन्होंने कहाकि समन्वय होता तो पूरा परिसर किसानों से भरा होता। उन्होंने कहाकि मोदी सरकार ने साढ़े चार साल में किसानों के लिए बहुत काम किया गया।


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