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उत्तर प्रदेश में ब्लैक फंगस के इलाज में होगा दो नई दवाओं का प्रयोग, विशेषज्ञ डाक्टरों ने लगाई मुहर

Black Fungus Treatment Guidelines उत्तर प्रदेश में ब्लैक फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) के मरीजों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा एंफोटेरिसीन-बी के इंजेक्शन के साथ दो और नई दवाओं से इलाज शुरू करने पर विशेषज्ञ डाक्टरों ने अपनी मुहर लगाई है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sun, 06 Jun 2021 07:00 AM (IST)Updated: Sun, 06 Jun 2021 03:52 PM (IST)
उत्तर प्रदेश में ब्लैक फंगस के इलाज में होगा दो नई दवाओं का प्रयोग, विशेषज्ञ डाक्टरों ने लगाई मुहर
विशेषज्ञ डाक्टरों की मंजूरी के बाद उत्तर प्रदेश में ब्लैक फंगस के इलाज में दो नई दवाओं का प्रयोग होगा।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश में ब्लैक फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) के मरीजों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा एंफोटेरिसीन-बी के इंजेक्शन के साथ दो और नई दवाओं से इलाज शुरू करने पर विशेषज्ञ डाक्टरों ने अपनी मुहर लगाई है। संजय गांधी पीजीआइ के निदेशक डा. आरके धीमान की अध्यक्षता में गठित कमेटी की सिफारिश पर अब ब्लैक फंगस के रोगियों के इलाज में इसावुकोनाजोल व पोसकोनाजोल दवाओं का प्रयोग किया जाएगा। विशेषज्ञ डाक्टरों की टीम द्वारा गहन अध्ययन कर यह नतीजा निकाला गया कि यह दोनों ही दवाएं ब्लैक फंगस के इलाज में कारगर हैं। अब तक प्रदेश में ब्लैक फंगस के कुल 1471 मरीज मिल चुके हैं।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विशेषज्ञ डाक्टरों की कमेटी की सिफारिश को तत्काल लागू करने के निर्देश देने के साथ इन दोनों ही दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के भी आदेश दिए हैं। फिलहाल एंफोटेरिसीन-बी के इंजेक्शन को लेकर अब पहले से कम मारामारी है। राज्य सरकार ने इन इंजेक्शन की पर्याप्त उपलब्धता के भी निर्देश दिए हैं। मरीजों की केस हिस्ट्री, इलाज की सुनियोजित रणनीति, दवाओं व सुविधाओं के कारण अब ब्लैक फंगस के रोगी शुरुआती दिनों में ही ब्लैक फंगस का पता चलने से मरीज दवाओं से ही ठीक हो रहे हैं। अब तक मिले कुल 1471 मरीजों में से एक तिहाई रोगियों को ही सर्जरी की जरूरत पड़ी है।

सीएम के निर्देश पर पीजीआइ ने गठित की विशेषज्ञ कमेटी : प्रदेश में ब्लैक फंगस से पीड़ित अब तक कुल 1471 रोगी मिल चुके हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से इन मरीजों के बेहतर इलाज करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने ऐसे मरीजों के लिए हर जिले के अस्पतालों में कुछ बेड आरक्षित किए जाने का आदेश दिए है। वहीं ब्लैक फंगस रोगियों के लिए पर्याप्त मात्रा में इंजेक्शन भी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज के लिए संजय गांधी पीजीआइ के निदेशक डा. आरके धीमान की अध्यक्षता में कमेटी बनाई जा चुकी है। पीजीआइ मरीजों के लिए तय प्रोटाकाल और गाइडलाइन के अनुसार इलाज करने के लिए न सिर्फ परामर्श दे रहा है बल्कि रैपिड रिस्पांस टीम भी गठित की गई है। पीजीआइ द्वारा बनाई गई 12 सदस्यीय विशेषज्ञ कमेटी में डा. अमित केसरी को नोडल अधिकारी बनाया गया है। फिलहाल मरीजों को बेहतर इलाज देने पर जोर दिया जा रहा है।

बचाव व इलाज के लिए जारी की गई है गाइडलाइन : कोरोना वायरस के संक्रमण की चुनौतियों के बीच राईनोसेरेबल म्यूकरमाईकोसिस (ब्लैक फंगस) नाम का रोग सामने आ गया है जो कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों के लिए खतरा बन गया। इससे बचाव और इलाज के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी जिलाधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधीक्षकों को गाइडलाइन जारी कर दी गई है। उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण अमित मोहन प्रसाद की ओर से पिछले दिनों जारी दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि कोरोना रोग से ग्रसित मरीजों में उपचार के बाद राईनोसेरेबल म्यूकरमाईकोसिस पाया जा रहा है। इसके कारण ब्लैक फंगस नाम के रोग से रोगी की मृत्यु भी हो रही है। इस रोग का प्रारंभिक अवस्था में पता लगाना इसके उपचार और बेहतर परिणाम के लिए आवश्यक है। स्टेराइड का तर्कसंगत उपयोग इस रोग से बचाव का सबसे अच्छा उपाय है। साथ ही ब्लड शुगर का उचित नियंत्रण जरूरी है।

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