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अमेठी में चलते ट्रक में घुसी कार-मामा भांजे की मौत, पिता की अंत्येष्टि के ल‍िए आ रहे थे गांव

पिता दयाराम की मौत से आहत सुनील अपनी बहनबेटे और भांजे के साथ दिल्ली से तत्काल गांव के लिए चल पड़ा। सुनील घर से चंद किमी दूर पहुंच चुका था। शायद किसी ने सोचा भी नहीं था कि बेटा अपने मृतक पिता का मुंह भी नही देख सकेगा।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Mon, 15 Mar 2021 04:24 PM (IST)Updated: Mon, 15 Mar 2021 04:24 PM (IST)
हादसे में बहन, बेटा और चालक बुरी तरह घायल हो गए।

अमेठी, जेएनएन। शिवरतनगंज थानाक्षेत्र अंतर्गत लखनऊ-सुलतानपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर चिलौली गांव के निकट एक कार आगे चल रहे ट्रक में जा घुसी। जिसमें कार सवार मामा, भांजे की मौके पर ही मौत हो गयी। उसकी बहन, बेटा और चालक बुरी तरह घायल हो गए। दुर्घटना की वजह चालक को नींद आना बताया जा रहा है। पूरा परिवार अपने पिता की अंत्येष्टि में शामिल होने दिल्ली से अपने गांव जा रहा था।

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सुलतानपुर जिले के करौंदीकला थानाक्षेत्र के अमरेमऊ मजरा जलालपुर निवासी सुनील कुमार पांडेय दिल्ली में रहकर काम करते हैं। रविवार को सुनील के पिता दयाराम पांडेय का निधन हो गया था। सुनील कुमार किराए की कार से अपनी बहन रेनू, भांजे व बेटे प्रशांत के साथ पिता की अंत्येष्टि में शामिल होने अपने गांव अमरेमऊ आ रहे थे। सोमवार की भोर लगभग साढ़े तीन बजे चिलौली गांव के समीप तेज रफ्तार कार आगे चल रहे मौरंग लदे ट्रक में घुस गई। वीभत्स घटना में सुनील (42 वर्ष) और उनके एक वर्षीय भांजे की मौत हो गयी। जबकि रेनू, प्रशांत और कार चालक शैलेन्द्र यादव गम्भीर रूप से घायल हुए हैं। पुलिस ने सभी घायलों को उपचार के लिए अस्पताल भेजा। घायलों का इलाज जगदीशपुर स्थित ट्रामा सेंटर में चल रहा है। घटनास्थल पर पहुंचे गमगीन परिवारजनों ने शवों का पोस्टमार्टम कराने से इंकार कर दिया। पुलिस ने दोनों वाहनों को कब्जे में लिया है।इस सम्बंध में चौकी प्रभारी तनुज पाल ने बताया कि विधिक कार्रवाई के पश्चात मृतकों के शव परिवारजनों को सौंप दिया।

बदहवास रहे परिजन

एक दिन पहले पिता दयाराम की मौत से आहत सुनील अपनी बहन,बेटे और भांजे के साथ दिल्ली से तत्काल गांव के लिए चल पड़ा। परिजन उसके आने का इंतजार कर रहे थे। लंबी दूरी तय कर सुनील भी घर से चंद किमी दूर पहुंच चुका था। शायद किसी ने सोचा भी नहीं था कि बेटा अपने मृतक पिता का मुंह भी नही देख सकेगा। लेकिन नियति को शायद यही मंजूर था कि पिता की अर्थी के साथ उसके बेटे और पोते की भी अर्थी उठेगी। घर के तीन सदस्यों की मौत से बदहवास परिजन और रिश्तेदार कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं रहे। 


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