जाली नोटों के दो तस्करों पर एटीएस का शिकंजा
लखनऊ। आइएसआइ एजेंट और जाली नोटों के तस्कर इमरान तेली से मिले इनपुट के आधार पर एटीएस
लखनऊ। आइएसआइ एजेंट और जाली नोटों के तस्कर इमरान तेली से मिले इनपुट के आधार पर एटीएस दो तस्करों के बहुत करीब है। दो चार दिन में इनकी गिरफ्तारी संभव है। दरअसल, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ की सरपरस्ती में जाली नोटों की तस्करी निरंतर बढ़ती गयी, लेकिन इस पर अंकुश लगाने के लिए जवाबदेह बनाई गयी जांच एजेंसियों को कोई खास उपलब्धि नहीं मिल सकी। सीबीआइ की फेक करेंसी सेल हो या फिर राज्य की आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्लू), तस्करों का नेटवर्क भेदने में इन्हें कामयाबी नहीं मिली।
पांच लाख रुपये जाली नोटों के साथ पकड़े गये आइएसआइ एजेंट इमरान तेली की गिरफ्तारी के बाद एक बार फिर यह मुद्दा गरम हो गया है। इमरान से रॉ, आइबी, डीआरआइ समेत देश की कई एजेंसियों ने पूछताछ की है। राज्य की भी जांच एजेंसियों की निगाहें उस पर टिक गयी हैं। इमरान के नेटवर्क की पड़ताल के लिए ईओडब्लू सक्रिय हो गयी है। ईओडब्लू महानिदेशक सुब्रत त्रिपाठी का कहना है कि यह सही है कि काफी समय से जाली मुद्रा से संबंधित कोई प्रकरण ईओडब्लू के पास नहीं आया, लेकिन इमरान तेली का मामला बड़ा होने से ईओडब्लू से अपेक्षा स्वाभाविक है।
ध्यान रहे कि उत्तर प्रदेश सरकार ने 28 मार्च 2000 को शासनादेश जारी कर जाली मुद्रा के प्रचलन की रोकथाम, इसके स्रोतों का पता लगाने, इसमें शामिल लोगों से विशिष्ट अभिसूचना एकत्र करने एवं पंजीकृत अभियोगों की गहन विवेचना के लिए ईओडब्लू के अंतर्गत एसआइटी का गठन किया। तबसे बहुत से मामले ईओडब्लू के हवाले किये गये। यूपी में जाली नोट के कई मामले सीबीआइ को भी संदर्भित किये गये हैं। वर्ष 2008 में जब आबिद शेख नामक एक तस्कर पकड़ा गया तो सिद्धार्थनगर जिले के डुमरियागंज स्थित स्टेट बैंक में जाली नोटों के कारोबार की सूचना मिली। बैंक के चेस्ट करेंसी से करोड़ों रुपये के जाली नोट मिले और राज्य सरकार की सिफारिश पर इसकी जांच सीबीआइ को सौंपी गयी। फिर सीबीआइ ने यूपी में लगातार निगाहबानी की। सीबीआइ ने पिछले साल मई में न्यू फरक्का एक्सप्रेस से एक तस्कर को पकड़ा और रिमांड पर लेकर उससे काफी पूछताछ की लेकिन यह एजेंसी भी नेटवर्क तक नहीं पहुंच सकी। फेक करेंसी सेल ने कई और भी गिरफ्तारियां की, लेकिन धंधे के सूत्रधार का पता नहीं लगा सकी।
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