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फर्जी दस्तावेजों के जरिये सहारनपुर में डेरा जमाए दो बांग्लादेशी गिरफ्तार, आतंकी संगठनों से संपर्क की आशंका

एटीएस ने फर्जी दस्तावेजों के जरिये 2015 से सहारनपुर में रह रहे दो बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया है। दोनों सगे भाई हैं और पहली बार 2007 में भारत आए थे। दोनों की गतिविधियां संदिग्ध हैं और उनके आतंकी संगठनों के सीधे संपर्क में होने की आशंका है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Wed, 18 Nov 2020 11:12 AM (IST)Updated: Wed, 18 Nov 2020 11:12 AM (IST)
एटीएस ने फर्जी दस्तावेजों के जरिये 2015 से सहारनपुर में रह रहे दो बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया है।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने फर्जी दस्तावेजों के जरिये 2015 से सहारनपुर में रह रहे दो बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया है। दोनों सगे भाई हैं और पहली बार 2007 में भारत आए थे। दोनों की गतिविधियां संदिग्ध हैं और उनके आतंकी संगठनों के सीधे संपर्क में होने की आशंका है। दोनों देश के विरुद्ध कोई गहरा षड्यंत्र रचने की फिराक में थे। एटीएस अधिकारियों के अनुसार दोनों भाई सऊदी अरब, अमेरिका, बांग्लादेश, इटली, ब्रिटेन, ऑस्ट्रिया, म्यामार व अन्य देशों के नागरिकों के संपर्क में थे और उनसे शुरुआती पूछताछ में कई अहम जानकारियां भी सामने आई हैं। उनसे पूछताछ में कई बड़े राजफाश हो सकते हैं।

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एडीजी एटीएस डीके ठाकुर ने बताया कि दोनों फर्जी दस्तावेजों के जरिये सहारनपुर में रह रहे थे। दोनों किस-किस तरह की देश विरोधी गतिविधयों में संलिप्त थे और विदेशी नागरिकों को किसी तरह की सूचनाएं दे रहे थे, इसकी तह तक पहुंचने के लिए दोनों के इंटरनेट मीडिया अकाउंट खंगाले जा रहे हैं। दोनों आरोपितों को मंगलवार को लखनऊ स्थित कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। दोनों को पुलिस कस्टडी रिमांड पर लेकर आगे की छानबीन की जाएगी। एटीएस बुधवार को कोर्ट में दोनों की पुलिस कस्टडी रिमांड लेने के लिए अर्जी दाखिल करेगी।

मूलरूप से बांग्लादेश के ग्राम सादाहा, जिला चटगांव का निवासी मु.इकबाल व उसका भाई मु.फारुख 2005 से सहारनपुर में कमेला कालोनी की गली नंबर दो में किराये के मकान में रह रहे थे। दोनों ने फर्जी दस्तावेजों के जरिये सहारनपुर के पते पर आधार कार्ड, वोटर आइडी कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट व अन्य दस्तावेज भी बनवा लिए थे। बैंक में खाता भी खुलवा लिया था। जाति व आय प्रमाण पत्र भी बनवाया था।

डिपोर्ट किए जाने के बाद फिर लांघ आए थे सीमा : दोनों से पूछताछ में यह भी सामने आया कि वे पहली बार फर्जी दस्तावेजों के जरिये 2007 में भारत आए थे और 2013 तक यहां रहे थे। दोनों 2013 में भारत में अवैध रूप से रहने के आरोप में बंगाल में पकड़े गए थे और दो साल तक जेल में रहे थे। बाद में उन्हें बांग्लादेश डिपोर्ट किया गया था। दोनों 2015 में फिर अवैध ढंग से सीमा पार कर भारत में घुस आए थे। दोनों यहां कहां-कहां रहे, किन लोगों के संपर्क में थे और किन दलालों के जरिये फर्जी दस्तावेज हासिल किए, ऐसे कई बिंदुओं पर एटीएस ने छानबीन तेज कर दी है।


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