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यूपी में फिर वर्चुअल नंबर से सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने की कोशिश, रिकार्डेड कॉल से बढ़ी चुनौती

सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक संदेश भेजे जाने के बाद बीते दो दिनों से मीडियाकर्मियों और अन्य लोगों के मोबाइल पर आपत्तिजनक रिकार्डेड कॉल आ रही हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sun, 09 Aug 2020 09:05 PM (IST)Updated: Mon, 10 Aug 2020 12:51 AM (IST)
यूपी में फिर वर्चुअल नंबर से सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने की कोशिश, रिकार्डेड कॉल से बढ़ी चुनौती
यूपी में फिर वर्चुअल नंबर से सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने की कोशिश, रिकार्डेड कॉल से बढ़ी चुनौती

लखनऊ, जेएनएन। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के भूमि पूजन के बाद उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने की साजिश कई स्तर पर की जा रही है। सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक संदेश भेजे जाने के बाद बीते दो दिनों से मीडियाकर्मियों और अन्य लोगों के मोबाइल पर आपत्तिजनक रिकार्डेड कॉल आ रही हैं। वर्चुअल नंबरों के जरिए रिकार्डेड कॉल भेजकर जहर घोलने का सिलसिला तेज किया गया है। इसके पीछे आईएसआई की भूमिका की आशंका है। वर्चुअल नंबर अमेरिका, कनाडा और मलेशिया के होने की आशंका भी जताई जा रही है। यही वजह है कि पुलिस और एटीएस के अलावा केंद्रीय खुफिया एजेंसियां भी सक्रिय हो गई हैं। इससे पूर्व मई 2018 में उत्तर प्रदेश के कई विधायकों को वॉट्सएप पर धमकी भरे संदेश भेजे गए थे। तब छानबीन में सामने आया था कि वर्चुअल नंबर के जरिए वॉट्सएप आईडी बनाकर वे संदेश पाकिस्तान से भेजे जा रहे थे।

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जन्माष्टमी और स्वतंत्रा दिवस से पूर्व इसे बड़ी साजिश के तौर पर देखा जा रहा है। लखनऊ में एक दिन पूर्व पुरुष की आवाज में रिकार्डेड काल आई थीं, जबकि रविवार को कई मीडियाकर्मियों व अन्य लोगों के नंबर पर उसी तरह की रिकार्डेड कॉल महिला की आवाज में आई हैं। सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक संदेश भेजे जाने तथा वर्चुअल नंबर से रिकार्डेड कॉल दोनों अलग-अगल मामले हैं। एडीजी एटीएस डीके ठाकुर का कहना है कि दोनों ही मामलों में पूरी गहनता से जांच कराई जा रही है। रिकार्डेड कॉल महाराष्ट्र व दिल्ली के कई नंबर पर भी भेजी जा रही हैं। इस मामले में और जानकारियां जुटाई जा रही हैं।

प्रॉक्सी आईपी एड्रेस का इस्तेमाल : एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का कहना है कि वर्चुअल नंबरों के जरिए प्रॉक्सी आईपी एड्रेस का इस्तेमाल कर पुलिस व सुरक्षा एजेंसियों को चकमा देने का प्रयास पहले भी किया जाता रहा है। रिकार्डेड कॉल को एक साथ कई नंबरों पर भेजा जा रहा है। ऐसे आरोपितों तक पहुंचने के लिए नेटवर्क प्रदाता कंपनी से लेकर इंटरनेट गेटवे व वर्चुअल नंबर प्रदाता विदेशी कंपनी तक से कई स्तर पर जानकारियां जुटानी पड़ती हैं, जिनमें वक्त लगता है। कई बार कंपनियां जानकारी साझा करने में आनाकानी भी करती है। दूसरी ओर सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक संदेश वायरल करने के मामले में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) व सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) समेत कुछ अन्य संगठनों के सदस्यों व उनकी गतिविधियों की छानबीन भी चल रही है।

विदेशी कंपनियां देती हैं वर्चुअल नंबर : वर्चुअल नंबर ऐसे नंबर होते हैं, जिनका इंटरनेट के जरिए प्रयोग करने पर असली नंबर मोबाइल स्क्रीन पर डिस्प्ले नहीं होता है। अमेरिका, कनाडा व अन्य देशों की कई कंपनियां ऐसे काल्पनिक नंबर मुहैया कराती हैं। वर्चुअल नंबर के जरिए वॉट्सएप भी संचालित किया जा सकता है। एक साइबर विशेषज्ञ के अनुसार इन नंबर से आप किसी नंबर पर सीधे कॉल नहीं कर सकते। इन नंबरों से वाइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (वीओआईपी) कॉल की जा सकती हैं। कई वेबसाइट के जरिए विदेशी कंपनियां बिट क्वाइन समेत अन्य वर्चुअल करेंसी के जरिये ऐसे नंबर उपलब्ध कराती हैं।


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