डायबिटीज और हृदय रोगियों के रक्त से कम किया जा सकेगा ट्राइग्लिसराइड
यह शोध सात जनवरी को मेडिकल के बेस्ट जर्नल न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित हुआ है। इसके परिणाम बेहद सकारात्मक रहे हैं।
लखनऊ, (रूमा सिन्हा)। डायबिटीज व दिल के रोगियों के रक्त में मौजूद फैट (कोलेस्ट्राल व ट्राइग्लिसराइड) को अब कम किया जा सकेगा। कई वर्षों के शोध के बाद विशेषज्ञ इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि ट्राइग्लिसराइड जिसे नियंत्रित करने के लिए अब तक कोई प्रभावी दवा नहीं थी उसे सुबह-शाम दो-दो ग्राम ओमेगा 3 फैटी एसिड देकर नियंत्रित किया जा सकता है। इससे डायबिटीज और हार्ट पेशेंट में हार्ट अटैक व हार्ट फेल के मामलों में काफी हद तक लगाम लगाई जा सकती है। हृदय रोग विशेषज्ञों के अनुसार यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। वजह यह है कि ब्लड में कोलेस्ट्राल को कम करने के लिए तो असरदार दवा है, जबकि ट्राइग्लिसराइड को कम करने के लिए कोई विशेष दवा अब तक नहीं थी।
नौ हजार मरीजों पर किए अध्ययन से लगाया पता
हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ.आरके सरन बताते हैं कि नौ हजार मरीजों पर किए गए शोध अध्ययन के परिणाम बेहद सकारात्मक रहे हैं। खासतौर पर भारत में जहां हार्ट अटैक व डायबिटीज के मरीजों की बड़ी संख्या है। उन्होंने बताया कि कोलेस्ट्राल व ट्राइग्लिसराइड ब्लड में मौजूद फैट होते हैं। कोलेस्ट्राल को नियंत्रित करने के लिए ‘स्टैनिन’ जिसे चिकित्सा जगत में वंडर ड्रग माना जाता है, दी जाती है। ट्राइग्लिसरायड के लिए हालांकि फाइब्रेट्स दी जाती है, लेकिन यह बहुत अधिक प्रभावी नहीं है। यानी डायबिटीज व हार्ट पेशेंट में इसे देने से हार्ट अटैक व हार्ट फेल के खतरे को कम करने में कुछ खास मदद नहीं मिलती है। डॉ. सरन कहते हैं कि चूंकि दूसरा कोई विकल्प नहीं था इसलिए चिकित्सक ऐसे मरीजों को स्टैनिन के साथ फाइब्रेट्स देते हैं।
शोध में यह आया सामने
शोध के अनुसार ऐसे मरीज जिनके ब्लड में ट्राइग्लिसराइड की मात्र 150 से ज्यादा थी, ओमेगा 3 फैटी एसिड की दो-दो ग्राम मात्र सुबह-शाम दिए जाने से ट्राइग्लिसराइड को कम करने में सफलता मिली। इस शोध से उम्मीद बंधी है कि ऐसे मरीजों में अब हार्ट अटैक व हार्ट फेल होने के मामलों में कमी आएगी।