Move to Jagran APP

Indian Railway Update: हाईस्पीड ट्रेनों का ट्रायल, वह भी ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन पर

Indian Railway Update इंटरनेशनल स्टैंडर्ड पर राजस्थान में बनेगा डेडीकेटेड टेस्टिंग ट्रैक। 220 की गति से ट्रायल के लिए 466.42 करोड़ रुपये स्वीकृत।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Sat, 11 Jul 2020 10:47 PM (IST)Updated: Sun, 12 Jul 2020 02:31 PM (IST)
Indian Railway Update: हाईस्पीड ट्रेनों का ट्रायल, वह भी ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन पर
Indian Railway Update: हाईस्पीड ट्रेनों का ट्रायल, वह भी ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन पर

लखनऊ [निशांत यादव]। राजस्थान के फुलेरा-मकराना रेल सेक्शन के जिस गुधा-तठना मित्री स्टेशनों के बीच कभी मीटर गेज (छोटी लाइन) टे्रन दौड़ती थी। उस ट्रैक पर दो साल बाद हाईस्पीड ट्रेन हवा से बातें करेगी। वह भी ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम के साथ। यह सिस्टम ट्रैक पर लाल सिग्नल होने पर 200 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से दौड़ रही ट्रेन में भी ऑटोमेटिक ब्रेक लगाने में सक्षम है। साथ ही यह एक पटरी पर दो ट्रेनों की भिड़ंत को कवच देगा। अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन (आरडीएसओ), लखनऊ की देखरेख में बन रहे इस डेडीकेटेड टेस्टिंग ट्रैक पर अब 160 से 220 किमी की गति से ट्रायल होंगे। 

loksabha election banner

खोलेगा रोलिंग स्टॉक के निर्यात का रास्ता

ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम से भविष्य में ड्राइवर लेस हाईस्पीड ट्रेनें दौड़ाने की तकनीक भी भारत हासिल कर सकता है। इंटरनेशनल स्टैंडर्ड यूआइसी-518/ईएन-14363 पर देश में पहली बार रोलिंग स्टाक (इंजन, बोगी व वैगन) के ट्रायल होंगे। यह इंटरनेशनल स्टैंडर्ड का ट्रायल दूसरे देशों को रोलिंग स्टॉक के निर्यात का रास्ता भी खोलेगा।

वित्तीय वर्ष 2020-21 में हाईस्पीड ट्रेनों के ट्रायल के लिए इस टेस्टिंग टै्रक को बनाने के लिए 466.42 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए हैं। यह डेडीकेटेड टेस्टिंग ट्रैक 59 किमी. लंबा होगा, जिसे बनाने में 819.90 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। रेलवे ने इससे पहले 2018-19 में पहले फेस के 25 किमी. ट्रैक के लिए 353.48 करोड़ रुपये स्वीकृत किए थे। फेस एक में 160 किमी. की गति की ट्रेनों के ट्रायल के लिए 43.73 किमी. लंबा डेडीकेटेड टेस्टिंग ट्रैक होगा। जबकि अतिरिक्त 15.27 ट्रैक पर 200 किलोमीटर प्रति घंटे की गति का ट्रायल होगा। पहला फेस दिसंबर 2021 और दूसरा फेस दिसंबर 2022 में पूरा करने का लक्ष्य है।

विश्व के चंद देशों में होगा शुमार

आरडीएसओ ने 1985 में डेडीकेटेड टेस्टिंग ट्रैक के लिए प्रयास शुरू किया था। इस टेस्टिंग ट्रैक के तैयार होने के बाद भारत भी अमेरिका, चीन, जर्मनी और आस्ट्रेलिया जैसे देशों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा। अभी ट्रायल के लिए आरडीएसओ को उन सेक्शन को चुनना पड़ता है, जिस पर ट्रेनें दौड़ रही हैं। अब एकीकृत टेस्टिंग ट्रैक होने से इस पर कई परिस्थितियां बनाकर ट्रायल हो सकेंगे। अब तक स्पेन से आई हाईस्पीड ट्रेन टेल्गो और गतिमान का ट्रायल अधिकतम 180 किमी. प्रति घंटे की स्पीड से हो सका है।

यह है प्रगति

टेस्टिंग ट्रैक पर तीन रेलवे स्टेशन आएंगे। इस पर 76 छोटे और नौ बड़े पुल होंगे। नावा सिटी स्टेशन पर मुख्य टेस्टिंग सेंटर होगा। यहां कई लैब, विश्वस्तरीय आधुनिक उपकरण, ऑटो पायलट इंजन, कोचिंग डिपो व सिकलाइन होगी। अभी दो बड़े व पांच छोटे पुलों को बनाने का काम चल रहा है।

क्या कहते हैं अफसर ? 

आरडीएसओ एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर (प्रशासन) राजीव सिंह के मुताबिक, ''डेडीकेटेड टेस्टिंग ट्रैक बनने के बाद इस पर कई परिस्थितियां बनाकर ट्रायल हो सकेंगे।''


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.