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पर्यावरण संरक्षण को श्रद्धा से जोड़कर बना रहे ईको फेंडली गणेश प्रतिमा

शहर में कार्यशालाओं के जरिए ईको फ्रेंडली गणेश प्रतिमा बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। गणपति की मूर्ति से पर्यावरण वंदना का यह तरीका खास है। बच्‍चे इसे बड़े चाव से सीख रह हैं।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Wed, 19 Sep 2018 05:49 PM (IST)Updated: Thu, 20 Sep 2018 08:01 AM (IST)
पर्यावरण संरक्षण को श्रद्धा से जोड़कर बना रहे ईको फेंडली गणेश प्रतिमा
पर्यावरण संरक्षण को श्रद्धा से जोड़कर बना रहे ईको फेंडली गणेश प्रतिमा

लखनऊ (दुर्गा शर्मा)। विश्वास और दृढ़ आस्था पत्थर को भी भगवान बना देती है। मिट्टी हो या कागज की लुग्दी ईश्वर का प्रतिबिंब नजर आता है। पर्यावरण संरक्षण को श्रद्धा से जोड़कर गणेश प्रतिमा का आकार देने वाली सोच अनुकरणीय है। शहर में कार्यशालाओं के जरिए ईको फ्रेंडली गणेश प्रतिमा बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। वहीं एक श्रद्धावान ने घर पर ही अखबार की लुग्दी से गजानन प्रतिमा तैयार की है। गणपति की मूर्ति से पर्यावरण वंदना का यह तरीका खास है। 

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मिट्टी और बीज से तैयार मूर्तियां

मिट्टी में बीज डालकर तैयार गणेश प्रतिमाएं पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अनुकरणीय कदम है। इससे नदी प्रदूषण थमने के साथ ही हरियाली को भी बढ़ावा मिलेगा। पृथ्वी इनोवेशन की ओर से कार्यशालाओं में ईको फ्रेंडली प्रतिमाएं बनाना सिखाया जा रहा है। पृथ्वी इनोवेशन की संस्थापक, सचिव अनुराधा गुप्ता ने बताया कि 15 दिन पहले आर्ट टीचर सुनीता श्रीवास्तव के साथ मिलकर माय फ्रेंड गणेशा मुहिम शुरू की। इसके तहत सबसे पहले एल्डिको टाउन में लड़कियों और महिलाओं को मिट्टी की मूर्तियां बनाना सिखाया गया। उसके बाद आइआइएम रोड स्थित दो स्कूलों में कार्यशालाएं कीं। अनुराधा कहती हैं, अब मिट्टी में गोबर मिलाकर प्रतिमा तैयार करने की दिशा में प्रयास करेंगे। मूर्ति के साथ-साथ आभूषण भी ईको-फ्रेंडली होंगे।

सभी धर्मों के बच्‍चे बनाते हैं प्र‍तिमा

स्कूलों में कार्यशाला के दौरान सभी धर्मों के बच्चे शिद्दत से गणेश प्रतिमाएं तैयार करते हैं। अनुराधा बताती हैं, अपने द्वारा तैयार प्रतिमाओं को बच्चे घर भी ले जाते हैं। इसमें मुसलमान बच्चे भी शामिल हैं। इससे सामाजिक सद्भाव को बल मिलता है।  अनुराधा कहती हैं, संस्था 10 आर पर काम कर रही है। यही संदेश हर किसी को दिया जा रहा है। इसमें रिथिंक, रिडिसाइड, रिवाइव, रिपेयर, रिफ्यूज, रिड्यूस, रिइनोवेट, रिएक्ट, रिसाइकिल और रेज योर व्वाइस शामिल हैं। विसर्जन के समय लोग पन्नी में पूजन सामग्री डालकर नदियों में फेंक देते हैं। नगर निगम और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को घाटों पर पूजन सामग्री एकत्र करने की दिशा में भी प्रपोजल दिया है। 

अखबार की लुग्दी से तैयार गणपति

पिछली बार तालाब की मिट्टी से गजानन प्रतिमा तैयार करने वाली सीतापुर रोड निवासी अलका निगम ने इस बार घर पर अखबार की लुग्दी से गणपति तैयार कर स्थापित किया है। अलका बताती हैं, पिछले सात साल से घर पर गणेश जी को स्थापित कर रहे हैं। पांच दिन तक अखबार को पानी में भिगो कर रखा। फिर उसकी लुग्दी को गणेश मूर्ति का आकार देकर सुखाया। मुल्तानी मिट्टी का लेप किया। फिर रंग रोगन कर लुग्दी से ही तैयार आभूषणों से गणपति का शृंगार किया। रंग रोगन के लिए भी प्राकृतिक रंगों का ही प्रयोग किया है। 


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