सीवेज से गोमती को मुक्ति के लिए करना होगा इंतजार
प्रदूषण की समस्या को देखते हुए जल निगम ने पुरानी पाइप लाइन को बदलने का कार्य शुरू किया
लखनऊ (जागरण संवाददाता)। गोमती को सीवेज से निजात दिलाने के लिए अरबों खर्च कर दिए गए, फिर भी अब तक सीवेज से निजात नहीं मिल सकी है। सिस गोमती से गिर रहे सीवेज से निशातगंज पर गोमती बेहाल है। पानी काला हो चुका है जिससे नदी यहां पर नाले के समान नजर आने लगी है। हालांकि जल निगम का दावा है कि जून तक गोमती को सिस गोमती के सीवेज से निजात मिल जाएगी।
राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान के पीछे बने सिस गोमती पंपिंग स्टेशन (सीजीपीएस) से हर रोज 60 से 70 एमएलडी सीवेज गोमती में पहुंचता है। यहां से सीवेज को कुकरैल सीवेज पंपिंग स्टेशन (एसपीएस) ले जाने के लिए जो पाइप पड़े थे वह क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। यही वजह है कि सालों से लक्ष्मण मेला स्थल के पास सीवेज गोमती में पहुंच रहा था। यहां प्रदूषण की समस्या को देखते हुए जल निगम ने पुरानी पाइप लाइन को बदलने का कार्य शुरू किया है। निशातगंज पुल के नीचे से दो पाइप की मदद से सीवेज को कुकरैल एसपीएस ले जाया जाएगा। पुल के नीचे एक मीटर व्यास का एक पाइप पड़ चुका है और दूसरे पाइप का काम जून तक पूरा होने का दावा किया जा रहा है। अधिकारी बताते हैं कि मेट्रो सिटी के नजदीक भूमिगत पाइप से इन पाइपों को जोड़ने का काम भी चालू है। इसके बाद निशातगंज पुल के करीब गोमती को सीवेज से पूरी तरह से निजात मिल जाएगी।
प्रदूषण से डीओकम हुई
कुकरैल नाले से हो रहे ओवर फ्लो व सीजीपीएस से हो रहे प्रदूषण के चलते बैराज के पास गोमती की हालत खराब है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा की जा रही मॉनीट¨रग के अनुसार सात व आठ अप्रैल को बैराज के पास घुलित आक्सीजन (डीओ) तीन मिली ग्राम प्रति लीटर से कम पाई गई। हालांकि सोमवार को डीओ 3.9 मिग्रा.पाई गई। बैराज पर ही नहीं, गऊ घाट इंटेक पर भी डीओ चार से पांच मिग्रा. प्रति लीटर के स्तर में मिली है जो काफी गंभीर है। वजह यह है कि यहां से शहर की जलापूर्ति के लिए नदी का पानी जलकलों को पंप किया जाता है। पानी की गुणवत्ता खराब होने से उपचार प्रभावित होता है।