लखनऊ में ऑक्सीजन सिलिंडर की कालाबाजारी का भंडाफोड़, गिरोह का सरगना समेत तीन गिरफ्तार
लखनऊ फर्जी अस्पताल खोलकर उसके नाम से करते थे आक्सीजन सिलिंडर की कालाबाजारी। 30 से 40 हजार रुपये में बेचते थे सिलिंडर। जानकीपुरम पुलिस ने गिरोह के सरगना समेत तीन को दबोचा। 12 सिलिंडर चेक बुक अस्पताल की फर्जी मुहर नकदी बरामद।
लखनऊ, जेएनएन। राजधानी लखनऊ की जानकीपुरम पुलिस ने बुधवार को भिठौली क्रासिंग के पास से ऑक्सीजन सिलिंडर की कालाबाजारी करने वाले गिरोह के सरगना समेत तीन लोगों को धर दबोचा। तीनों की निशानदेही पर 30 लीटर गैस की क्षमता वाले 12 सिलिंडर बरामद किए हैं। गिरोह के लोग कागजों पर फर्जी अस्पताल खोलकर उसके आधार पर सीतापुर रोड स्थित गैस आरके गैस प्लांट से ऑक्सीजन भराते थें।
जानकीपुरम थाने के अतिरिक्त इंस्पेक्टर राजकिशोर पांडेय के मुताबिक, गिरफ्तार आरोपितों में गिरोह का सरगना रिंकू सिंह निवासी अमेठियन पुरवा सुजातपुर थानगांव सीतापुर उसका साथी सौरभ सिंह, इब्राहिमपुर अंबेडकरनगर और मैजिक चालक राहुल गिरी है। इनके पास से तीन मोबाइल, पांच चेकबुक, तीन पासबुक, पांच आधार कार्ड, पांच एटीएम कार्ड, दो वोटर आइडी गोमतीनगर स्थित सन हास्पिटल के तीन लेटर पैड, एक मुहर व 6800 रुपये बरामद किए हैं।
सीतापुर में कागजों पर खोल रखा था फर्जी अस्पताल: इंस्पेक्टर ने बताया कि गिरोह के लोग बहुत ही शातिर हैं। उन्होंने सीतापुर में दो कमरों में तीन-चार फर्जी बेड डाल रखे थे। वहां लाइफ लाइन नाम से हास्पिटल चलाने का दावा करते थे। जबकि वहां न तो कोई पेशेंट भर्ती होता था और न ही कोई डाक्टर आदि बैठता था। उसके लेटर पैड पर फर्जी डाक्टरों का लिखा पत्र और मुहर नीचे लगी रहती थी कि अस्पताल में भर्ती मरीजों को तत्काल ऑक्सीजन की जरूरत है। इस आधार पर गैस प्लांट से सिलिंडर में गैस भराते थे।
गोमतीनगर स्थित अस्पताल का पैड किया था चोरी: गोमतीनगर स्थित सन हास्पिटल के तीन फर्जी लेटर चोरी किए थे। उन पर भी डाक्टरों का परामर्श लिखा था। इसके अलावा यह लोग मरीजों की भर्ती दिखाने के लिए कुछ लोगों के आधार कार्ड ले रखे थें। आधार कार्ड में जिन लोगों के नाम दर्ज होते थे उन्हें मरीज के रूप में दिखाते थे कि यह उनके अस्पताल में भर्ती हैं। इनका ऑक्सीजन लेवल डाउन है। ऑक्सीजन की तत्काल जरूरत है।
30 से 40 हजार रुपये में बेचते थे सिलिंडर: यह लोग सिलिंडर को 30 से 40 हजार रुपये में बेचते थे। इसके अलावा अगर किसी को जरूरत पड़ती थी तो प्लांट से भराकर ले जाने के बाद छोटे सिलिंडर की रिफलिंग भी करते थे। उनके 10 से 12 हजार रुपये ऐंठते थे। गिरोह से जुड़े अन्य लोगों की तलाश की जा रही है।