Earthquake Resistant House: 72 सेकेंड के भूकंप में भी सुरक्षित रहेंगे ये मकान, तकनीक जानने के लिए यहां पढ़ें
इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित न्यू अरबन इंडिया के अंतर्गत लगाए गए स्टालों में एक ऐसा स्टाल भी था जिसका दावा था कि अगर 72 सेकेंड के लिए भी भूकंप आ जाए तो उसके द्वारा बनाए हुए मकान नहीं गिरेंगे। यही नहीं दरारें तक नहीं आएंगी।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित न्यू अरबन इंडिया के अंतर्गत लगाए गए स्टालों में एक ऐसा स्टाल भी था, जिसका दावा था कि अगर 72 सेकेंड के लिए भी भूकंप आ जाए तो उसके द्वारा बनाए हुए मकान नहीं गिरेंगे। यही नहीं दरारें तक नहीं आएंगी। हैबिटेक निवारातंत्र तकनीक कंपनी ने यह दावा किया है। कंपनी के निदेशक प्रफुल आर नायक कहते हैं कि राष्ट्रपति भवन जोन के अंतर्गत देहरादून में बीस हजार वर्ग फिट में एक भवन कंपनी ने इसी तकनीक पर बनाया गया है।
यह भवन तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उनकी तकनीक देखकर बनाने को कहा था, आज यह मकान आपदा के लिए एक बेहतर अवसर बनकर आया है। उन्होंने बताया कि नेपाल में 38 सेकेंड के भूकंप से सबकुछ तहस नहस हो गया था, लेकिन यह मकान ऐसे डिजाइन करके बनाए जाते हैं, जिनकी नींव पर भूकंप का असर कम पड़ता है। खासबात है कि मकान के निर्माण में मिट्टी व सीमेंट दोनों का मिश्रण है। मकान की नींव उसी गहराई की खोदी जाती हैं, जैसे सामान्य मकानों की, लेकिन इनमें जाली नुमा एक स्ट्रेक्चर डाला जाता है, जिसमें लाइन से दर्जनों छिद्र होते हैं। नायक कहते हैं कि यह छिद्र भूकंप की तीव्रता को मकान पर कम असर करने देते हैं। उन्होंने बताया कि पूरा स्ट्रक्चर प्री कास्ट यार्ड में तैयार किया जाता है।
पहले जहां भवन का निर्माण होना होता है, उसका ड्राइविंग बनाकर पूरा काम कर लिया जाता है, फिर कास्टिंंग यार्ड से मैटेरियल लागकर भवन को खड़ा किया जाता है। जहां दीवारों व छतों को जोड़ना होता है, वहां मौके पर ही सीमेंट का उपयोग करके जोड़ दिया जाता है। हजार वर्ग फिट का मकान बनाने में पंद्रह से बीस दिन का समय ढांचा खड़ा करने में लगता है। इसके बाद अन्य फिनिशिंग में समय लगता है। उन्होंने बताया कि छतों पर स्लेब डालने के लिए पहले से कास्ट यानी ढली हुई छत की शीट डाली जाती है। जो सामान्य छतों की तुलना में कई गुना ज्यादा मजबूत होने के साथ ही भूकंप रोधी होती है। लाइट हाउस प्रोजेक्ट में यह तकनीक इस्तेमाल हो रही है।
भवन बनने के बाद जरूरत के हिसाब से संशोधन संभवः खासबात है कि अगर पूरा ढांचा भवन का खड़ा कर लिया गया और भविष्य में उस मकान का विस्तार करना हो, तो जोड़ सिर्फ खाेलने पड़ते हैं। इससे मकान की तोड़फोड़ का खर्चा न के बराबर होता है। सिर्फ जोड़ वाले स्थानों को एक पाउडर से पहले कमजोर किया जाता है और फिर उसे हटा दिया जाता है। जिससे समय समय पर मकान की डिजाइन में बदलाव करना आसान है। यही नहीं भविष्य में अगर क्षेत्रफल मकान का बड़ा होता है तो उसका विस्तारीकरण हो सकता है।