Cantonment Council Poll: बोर्ड रहेगा या होगा भंग, संशय बरकरार
Cantonment Council Poll विस्तार के भरोसे चल रहा छावनी परिषद। रक्षा मंत्रालय छावनी परिषद अधिनियम को संशोधित कर रहा। अब छावनी परिषद उपाध्यक्ष का चुनाव भी सीधे जनता से होगा। पिछला चुनाव फरवरी 2015 में हुआ था।
लखनऊ, जेएनएन। Cantonment Council Poll: बिहार में हो रहे विधान सभा चुनाव के बाद देश भर में छावनी परिषदों के चुनाव होंगे या नही। इसे लेकर संशय के बादल छाने लगे हैं। छावनी परिषद का वर्तमान सदन को अंतिम विस्तार मिला है। जो कि 15 फरवरी को समाप्त हो रहा है। इससे पहले चुनाव कराने को लेकर एक और अड़चन आ गई है।
रक्षा मंत्रालय छावनी परिषद अधिनियम को संशोधित कर रहा है। जिसके तहत छावनी परिषद उपाध्यक्ष का चुनाव भी सीधे जनता से होगा। हालांकि अभी तक अधिनियम 2020 का बिल राज्यसभा से पारित ही नहीं हो सका है। नगर निगम की तरह छावनी परिषद रक्षा मंत्रालय की मुनिसिपल संस्था है। जो सैन्य और असैन्य इलाको में सफाई, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे काम देखती है। 'ए' ग्रेड वाली लखनऊ छावनी में आठ वार्ड हैं।
जिनके आठ निर्वाचित सदस्य बहुमत से आपस मे उपाध्यक्ष का चुनाव करते हैं। पिछला चुनाव फरवरी 2015 में हुआ था। पांच साल का सदन का कार्यकाल इस साल फरवरी में पूरा हो गया था। रक्षा मंत्रालय ने छावनी अधिनियम 2006 का इस्तेमाल करते हुए छह माह का विस्तार सदन को दिया था। इसके बाद जब चुनाव की अधिसूचना रक्षा मंत्रालय ने जारी नही की तो छह माह का विस्तार फिर से सदन को दे दिया गया। नियम के तहत सदन को छह माह के केवल दो ही विस्तार दिए जा सकते हैं।
इसके बाद भी यदि चुनाव न हुए तो वैरी बोर्ड लागू किया जाएगा। वैरी बोर्ड में सदन भंग हो जाता है। परिषद के मुख्य अधिशाषी अधिकारी को बोर्ड के अधिकार दिए जाते है और जनता की ओर से एक नामित उपाध्यक्ष रक्षा मंत्रालय नियुक्त करता है। अखिल भारतीय छावनी परिषद संघ के राष्ट्रीय महामंत्री व लखनऊ छावनी परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष रतन सिंघानिया का कहना है कि नया अधिनियम अभी लागू नही हुआ है। इसलिए पुराने अधिनियम से चुनाव कराए जा सकते है। लखनऊ रक्षा मंत्री की संसदीय सीट का कैंट है। यहां से प्रतिनिधि मंडल ने रक्षामंत्री से मुलाकात की है। हालांकि अब तक मंत्रालय ने कोई अधिसूचना जारी नही की है।