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योगी सरकार ने गुणकारी गुड़ से जन-जन को वाकिफ कराने के साथ बाजार उपलब्ध कराने का उठाया बीड़ा

कोई शक नहीं कि गुड़ महोत्सव के अनुष्ठान से स्थानीय उत्पाद को बाजार मिलेगा। उसकी ब्रांडिंग होगी। स्वास्थ्य और स्वच्छता के प्रति लोगों में नई रुचि जगेगी। एक जमाना था जब गुड़ सस्ता और चीनी महंगी होती थी लेकिन अब ऐसा नहीं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 08 Mar 2021 10:25 AM (IST)Updated: Mon, 08 Mar 2021 02:30 PM (IST)
योगी सरकार ने गुणकारी गुड़ से जन-जन को वाकिफ कराने के साथ बाजार उपलब्ध कराने का उठाया बीड़ा
अपने गुणों के चलते गुड़ का दाम चीनी की तुलना में बढ़ा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ फाइल फोटो

लखनऊ, राजू मिश्र। गुड़ निसंदेह गुणों का खजाना है। एक समय था जब पूर्व मध्य उत्तर प्रदेश में भी गुड़ खूब तैयार किया जाता था, लेकिन देखने में वह उतना सुंदर नहीं होता था जितना कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तैयार होने वाला गुड़ होता है। इस गुड़ का स्वाद बेजोड़ होता था। धीरे-धीरे इस बेल्ट से गुड़ गायब होता गया। योगी सरकार की पहल के बाद उम्मीद जगी है कि उसी उम्दा स्वाद वाला गुड़ फिर उपलब्ध हो सकेगा।

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एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत उत्पादों की ब्रांडिंग में जुटी योगी सरकार ने अब गुड़ की खूबियों से जन-जन को वाकिफ कराने के साथ ही इसे उन्नत बाजार उपलब्ध कराने का बीड़ा उठाया है। प्रदेश में पहली दफा राज्य गुड़ महोत्सव का दो दिनी आयोजन किया गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुड़ के गुणों की चर्चा करते हुए कहा कि गुड़ उत्तर प्रदेश का ब्रांड बन रहा है।

लखनऊ के गोमती नगर में आयोजित राज्य गुड़ महोत्सव में गुड़ देखते लोग। जागरण आर्काइव

दरअसल चार वर्ष पहले गन्ना किसानों की स्थिति खराब थी। पिछली सरकारों के दौर में किसानों को गन्ना बकाया भुगतान नहीं होता था। खांडसारी उद्योग तो पूरी तरह बंद था। लाइसेंस मिलते नहीं थे। योगी सरकार बनने के तदंतर हालात बदले हैं। अब तो आवेदन करने के चंद घंटों के भीतर लाइसेंस मिल जाता है। लाइसेंस शुल्क माफ है। ऑनलाइन व्यवस्था भी है। मुजफ्फरनगर, शामली, अयोध्या, लखीमपुर खीरी और शाहजहांपुर आदि में गन्ना बहुतायत में उगाया जाता है। उससे बनने वाला गुड़ न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि देश और दुनिया में नई पहचान बनाकर किसान को लाभकारी मूल्य दिला रहा है। 

साधारण गुणों वाले गुड़ की तो बात ही क्या? इसमें औषधीय तत्व मिलाकर छह हजार रुपये प्रति किलो तक का गुड़ तैयार किया गया है। मसलन, अयोध्या के अविनाश दुबे के पास इसी कीमत का गुड़ है। उनके पास 51 तरीके से बनाए गए अलग-अलग वैरायटी के गुड़ हैं। इसी तरह सहारनपुर से आए संजय सैनी के पास भी 40 वैरायटी का गुड़ है। किसी वैरायटी को स्वर्ण भस्म से खास बनाया गया है तो किसी को बंग भस्म व लोहे की भस्म से। अश्वगंधा, केसर, शिलाजीत, देसी घी, काजू, बादाम जैसे स्वास्थ्यवर्धक पदार्थो के मिश्रण से बने इस गुण के औषधीय मूल्य भी हैं। तनाव कम करने, जोड़ों के दर्द में राहत और शरीर की ऊर्जा के लिए गुड़ में इन पदार्थो का मिश्रण किया गया है। इसकी कीमत छह हजार रुपये किलो रखी गई है। अविनाश के पास 50 रुपये से गुड़ की शुरुआत है। परंपरागत किसानी के साथ यदि फूड प्रॉसेसिंग को भी मिला दिया जाए तो घाटे की खेती किस तरह मुनाफे का सौदा हो सकती है, इसकी बानगी यहां देखने को मिली।

कल्याण करने वाले अफसरों की रार : यदि आपके विरुद्ध अनुसूचित जाति एवं जनजाति अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज होता है तो इसके लिए आप खुद जिम्मेदार होंगे। यह चेतावनी प्रमुख सचिव की है और अब निदेशक का जवाब देखिए, ‘मेरा तबादला किसी अन्य विभाग में कर दीजिए।’ सरकारी पत्रवलियों में चल रहा यह संवाद पिछले दिनों जब सार्वजनिक हुआ तो मामला सत्ता के गलियारों में भी चर्चा का विषय बन गया। मुख्य सचिव को भी हस्तक्षेप करना पड़ा। हस्तक्षेप इसलिए कि इन आरोप-प्रत्यारोप की भाषा में तल्खी इस तरह घुली कि प्रमुख सचिव ने आरोप लगा दिया कि निदेशक चाहते हैं कि उन्हें लूट की खुली छूट दे दी जाए।

दरअसल, यह तल्खी अनुसूचित जाति एवं जनजाति के छात्रों की छात्रवृत्ति को लेकर है। यह छात्रवृत्ति समाज कल्याण विभाग के खाते से जाती है। हर साल इसमें बड़े पैमाने पर घपलेबाजी होती है। बहुत से निजी कॉलेज तो इसी छात्रवृत्ति के भरोसे चल रहे हैं। कई बार जांचें हुईं, अब भी चल रही हैं। कई बार इस उम्मीद में नियम बदले गए कि घपला रुके, लेकिन हर बार कोई न कोई तोड़ निकाल ही लिया जाता है। फिलहाल, ताजा मसला इस बात पर है कि 23 हजार कॉलेजों में से अभी मात्र 2,700 कॉलेजों में ही जांच व सत्यापन का काम हो सका है। इस खींचातानी में अनुसूचित जाति के जरूरतमंद बच्चों की छात्रवृत्ति फंसी है। ताजा तल्खी सत्यापन की इसी ढीली गति और इसके लिए जिम्मेदारी झाड़कर दूसरे के पाले में गेंद फेंकने का नतीजा है। तल्खी के बाद इसमें शीर्ष अफसरों के मान-सम्मान का मसला भी जुड़ गया है। बहरहाल, अब मामला छात्रवृत्ति पर कुंडली मारे अफसरों की पहचान और सत्यापन के साथ ही अफसरों की जांच से भी जुड़ता जा रहा है। परिणाम, जल्द ही सामने होंगे।

[वरिष्ठ समाचार संपादक, उत्तर प्रदेश]


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