Manish Murder Case: सीबीआइ की जांच में सामने आई सच्चाई, सवाल पूछते ही तैश में आ गए थे पुलिसकर्मी
कानपुर के व्यवसायी मनीष गुप्ता के सवाल पूछने पर पुलिसकर्मी तैश में आ गए थे और उसके बाद अपना आपा भी खो बैठे थे। मनीष हत्याकांड की छानबीन में जुटी सीबीआइ के सामने उसके दोस्तों से पूछताछ के बाद कुछ ऐसी ही कहानी सामने आई है।
लखनऊ, राज्य ब्यूरो। कानपुर के व्यवसायी मनीष गुप्ता के सवाल पूछने पर पुलिसकर्मी तैश में आ गए थे और उसके बाद अपना आपा भी खो बैठे थे। मनीष हत्याकांड की छानबीन में जुटी सीबीआइ के सामने उसके दोस्तों से पूछताछ के बाद कुछ ऐसी ही कहानी सामने आई है। सीबीआइ अब जांच के कदम बढ़ाने के लिए गोरखपुर के कृष्णा पैलेस होटल के कर्मचारियों से पूछताछ की तैयारी कर रही है। साथ ही मनीष गुप्ता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर विशेषज्ञों की राय भी ली जा रही है। सीबीआइ जल्द गोरखपुर का रुख करेगी और घटना का रीक्रिएशन कराएगी।
सीबीआइ ने मनीष के साथ 27 सितंबर की रात उसके साथ कृष्णा पैलेस होटल में मौजूद रहे दोस्तों के बयान दर्ज किए हैं। गुडग़ांव निवासी हरबीर सिंह और प्रदीप सिंह के अलावा गोरखपुर निवासी चंदन सैनी से सीबीआइ ने पूरे घटनाक्रम की विस्तार से जानकारी ली है। सूत्रों का कहना है कि दोस्तों ने बताया कि पुलिसकर्मी जब कमरे में चेङ्क्षकग करने आए थे, तो उनके कहने पर मनीष ने अपना आइकार्ड उन्हें दिखा दिया था। इसी बीच पुलिसकर्मी बैग खोलकर चेङ्क्षकग करने लगे। जिस पर मनीष ने पुलिसकर्मियों को टोक दिया था। इसके बाद पुलिसकर्मी अचानक तैश में आ गए और कहासुनी बढ़ी। फिर पुलिसकर्मियों ने मारपीट शुरू कर दी।
अब इन बयानों के आधार पर सीबीआइ आगे की छानबीन करेगी और पूर्व में की गई पुलिस जांच की थ्योरी को भी अपनी कसौटी पर परखेगी। घटना की कडिय़ां जोड़ेगी। सीबीआइ इसके लिए सोमवार को गोरखपुर का रुख कर सकती है। जहां घटना का रीक्रिएशन कराने के साथ ही होटल कर्मियों के बयान दर्ज किए जाएंगे। अगली कड़ी में सीबीआइ कोर्ट से अनुमति लेकर जेल में बंद आरोपित पुलिसकर्मियों से भी सवाल-जवाब करेगी। उनके बयानों को भी परखा जाएगा। उल्लेखनीय है कि कानपुर के बर्रा निवासी मनीष गुप्ता की गोरखपुर में पुलिसकर्मियों की पिटाई से मौत हो गई थी।
मनीष की पत्नी मीनाक्षी गुप्ता ने इस मामले में गोरखपुर के थाना रामगढ़ताल में आरोपित पुलिसकर्मियों के विरुद्ध हत्या की एफआइआर दर्ज कराई थी। सीबीआइ लखनऊ की स्पेशल क्राइम ब्रांच इसी एफआइआर को अपने केस का आधार बनाकर छानबीन कर रही है। घटना की जांच के लिए पूर्व में गठित एसआइटी आरोपित थाना रामगढ़ताल के तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक जगत नारायण सिंह, उपनिरीक्षक अक्षय कुमार मिश्र व विजय कुमार यादव के अलावा आरोपित उपनिरीक्षक राहुल दुबे, मुख्य आरक्षी कमलेश यादव व आरक्षी प्रशांत कुमार को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है।