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मोटे अनाज से होगी किसान की जेब भी मोटी...बढ़ती मांग को देख इनकी खेती पर किया जाएगा फोकस

गेहूं और धान की अपेक्षा मक्का बाजरा ज्वार और कोदो आदि की मांग बढ़ाने के साथ बाजार में इनके दाम भी बेहतर मिल रहे हैं। मोटे अनाज की खेती में अपेक्षाकृत कम लागत आती है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Wed, 11 Dec 2019 12:26 PM (IST)Updated: Wed, 11 Dec 2019 12:26 PM (IST)
मोटे अनाज से होगी किसान की जेब भी मोटी...बढ़ती मांग को देख इनकी खेती पर किया जाएगा फोकस

लखनऊ, जेएनएन। किसानों की आय दोगुना करने के लिए राज्य सरकार मोटे अनाज की खेती पर फोकस करेगी। गेहूं व धान की अपेक्षा मक्का, बाजरा, ज्वार व कोदो आदि की मांग बढ़ाने के साथ बाजार में इनके दाम भी बेहतर मिल रहे हैं। किसानों को मोटे अनाज की खेती के लिए लुभाने के लिए सरकार अनुदान पर उन्नत बीज उपलब्ध कराने के अलावा नवीनतम तकनीक भी प्रदान करेगी।

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मोटे अनाज की खेती में अपेक्षाकृत कम लागत आती है। ज्वार, बाजरा और मक्का की फसल में धान की अपेक्षा कम सिंचाई की आवश्यकता होती है। धान के उत्पादक किसान प्रीतम सिंह का कहना है कि धान खरीद की सरकारी व्यवस्था पुख्ता न होने से किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके विपरित मोटे अनाज की मांग बाजार में अधिक है।

पोषक तत्वों की अधिकता

मोटे अनाज की मांग बढ़ने के पीछे इनमें पाए जाने वाले पोषक तत्व है। चिकित्सक भी गेहूं व धान की अपेक्षा मोटे अनाज का सेवन करने की सलाह देने लगे हैं। डॉ. राजेंद्र का कहना है कि कुपोषण से लड़ने के लिए मोटे अनाज ही उपयुक्त हैं। रोगों से बचाव के लिए भी गेहूं व धान पर निर्भरता कम करने पर बल दिया जाने लगा है।

उत्पादकता बढ़ी परंतु रफ्तार धीमी

उत्तर प्रदेश में अमूमन सभी फसलों धान, गेहूं, दलहन और तिलहन की उत्पादकता लगातार बढ़ी है, लेकिन मोटे अनाज की उत्पादकता वृद्धि को उत्साहजनक नहीं माना जा सकता। वर्ष 2016-17 में मोटे अनाज की उत्पादकता 18.85 क्विंटल प्रति हेक्टेयर थी जो वर्ष 2018-19 मे 20.66 क्विंटल प्रति हेक्टेयर ही हो सकी है। मऊ के प्रगतिशील किसान देवप्रकाश राय का कहना है कि मोटे अनाज की ओर आकर्षण और बढ़ाने के लिए गुणवत्तायुक्त बीजों की उपलब्धता जरूरी है।

मोटे अनाज उत्पादन को चिन्हित 20 जिले

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत प्रदेश के 20 जिलों बुलंदशहर, बदायूं, आगरा, मथुरा, फीरोजाबाद, मैनपुरी, अलीगढ़, एटा, हाथरस, कासगंज, फर्रूखाबाद, इटावा, कन्नौज, औरेया, कानपुर देहात, गोंडा, ललितपुर, जालौन, हरदोई, बहराइच। को चिन्हित किया गया है। उक्त जिलों में किसानों को बेहतर बीज अनुदान पर उपलब्ध कराया जा रहा है।

उपज का क्षेत्रफल बढ़ाएंगे : शाही

कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही का कहना है कि लागत कम होने और बाजार में दाम बेहतर मिलने के कारण किसानों की आय बढ़ाने में मोटे अनाज अहम भूमिका अदा करेंगे। उपज का क्षेत्रफल बढ़ाने की कार्ययोजना जल्द तैयार की जाएगी।


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