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अब अधिक दिन नहीं रुला पाएगा प्याज, आपूर्ति बढ़ने व आयात से दिसंबर अंत तक काबू में होगा बाजार

प्याज के संकट से निपटने के लिए सरकार ने स्टॉक सीमा घटाने का निर्णय किया है। केंद्र से मिले निर्देश के अनुसार थोक व्यापारियों के लिए अब मात्र 25 टन प्याज रखने की सीमा तय की गई है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sat, 07 Dec 2019 10:30 AM (IST)Updated: Sat, 07 Dec 2019 10:30 AM (IST)
अब अधिक दिन नहीं रुला पाएगा प्याज, आपूर्ति बढ़ने व आयात से दिसंबर अंत तक काबू में होगा बाजार
अब अधिक दिन नहीं रुला पाएगा प्याज, आपूर्ति बढ़ने व आयात से दिसंबर अंत तक काबू में होगा बाजार

लखनऊ, जेएनएन। फुटकर में सौ रुपये प्रति किलोग्राम के पार पहुुंचा प्याज अब अधिक दिन नहीं रुलाएगा। इस माह के अंत तक बाजार में नया प्याज आ जाने से हालात काबू होने लगेंगे। राजस्थान से प्याज की आवक आरंभ होने के अलावा विदेश से आयातित प्याज भी तब तक बाजार पहुंचने लगेगा। 

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मौसम की मार से गहराए प्याज के संकट से निपटने के लिए सरकार ने स्टॉक सीमा घटाने का निर्णय किया है। केंद्र से मिले निर्देश के अनुसार थोक व्यापारियों के लिए अब मात्र 25 टन प्याज रखने की सीमा तय की गई है। वहीं, फुटकर व्यापारियों के लिए पांच टन की सीमा निर्धारित की गई है। इससे पहले यह स्टॉक सीमा थोक व्यापारियों को लिए 50 टन और फुटकर व्यापारियों के लिए 10 टन निर्धारित थी। स्टाक सीमा घटाने से महंगे प्याज की जमाखोरी पर रोक लग सकेगी।

उद्योग व्यापार मंडल के महामंत्री गोपाल अग्रवाल का कहना है कि बाजार नियंत्रित करने की प्रशासनिक व्यवस्था लचर होने के कारण कीमतें अचानक आसमान छूने लगती हैं। इसमें सटोरियों की भूमिका भी अहम होती है। यह सच है कि मौसम की मार से प्याज संकट बना है, परंतु इसकी कीमतें बेकाबू होने जैसी स्थिति जानबूझ कर बना दी गई है। प्याज के थोक व फुटकर दाम में अंतर इसे साबित करता है।

उधर, सूत्रों का कहना है कि प्याज के दाम सौ रुपये से अधिक होने की वजह शादी के मौजूदा सीजन में इसकी मांग बेतहाशा बढ़ना है। मेरठ के प्याज व्यापारी विश्वजीत सोनकर का कहना है कि प्याज की कमी जरूर है परंतु हालात बहुत गंभीर नहीं हैं। राजस्थान से प्याज की आपूर्ति सामान्य होने और शादी विवाह का सीजन खत्म होते ही बाजार की गर्मी कम हो जाएगी। सोनकर कहते हैं, प्याज संकट को मीडिया में बढ़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत करने से भी हालात बिगड़ते हैं। जमाखोरों के सक्रिय होने के साथ मोहल्लों में सब्जी विक्रेताओं की मनमानी भी बढ़ जाती है। भारतीय किसान यूनियन के मीडिया प्रभारी धमेंद्र मलिक का कहना है कि प्याज थोड़ा महंगा होने पर हो हल्ला मचा है परंतु जब किसान का प्याज कौड़ियों के दाम बिका, तब इस कदर शोर नहीं मचा था।

उत्तर प्रदेश में चार हजार हेक्टेयर क्षेत्र बढ़ा

उद्यान निदेशक एसबी शर्मा का कहना है कि मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र से आने वाले प्याज से उत्तर प्रदेश की पूर्ति हो पाती है क्योंकि प्रदेश में साढ़े चार लाख टन प्याज का उत्पादन होता है और खपत करीब दस लाख टन है। इस बार प्याज के क्षेत्रफल में चार हजार हेक्टेयर वृद्धि की उम्मीद है। प्रदेश में केवल रबी सीजन मेे प्याज का उत्पादन होता है। हरा प्याज बाजार में आ रहा है परंतु गांठ वाला प्याज मार्च तक आएगा।

मंडी में थोक के भाव फुटकर में प्याज

अपर निदेशक मंडी कुमार विनीत ने स्वीकार किया कि प्याज के थोक व फुटकर दाम में अंतर होता है। मंडियों में प्याज की आवक कम है, इसलिए थोक के दाम साठ से अस्सी रुपये प्रति किलोग्राम हैं। मंडियों में थोक रेट पर प्याज की फुटकर बिक्री हो रही है। अब तक सात हजार क्विंटल प्याज बेच चुके हैं।


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