तेंदुओं के गढ़ कर्तनिया घाट में बढ़ रही है बाघों की संख्या, वन विभाग के आगे संघर्ष रोकना होगी चुनौती
लखीमपुर के दुधवा पार्क में 20 तो कर्तनिया घाट में मिले हैं 29 बाघ। दुधवा टाइगर रिजर्व का हिस्सा कर्तनिया घाट वन्यजीव प्रभाग भले ही तेंदुओं का गढ़ कहा जाता है लेकिन वर्ष 2018 की गणना के मुताबिक यहां बाघों की संख्या भी बढ़ने लगी है।
लखीमपुर, जेएनएन। दुधवा टाइगर रिजर्व का हिस्सा कर्तनिया घाट वन्यजीव प्रभाग भले ही तेंदुओं का गढ़ कहा जाता है, लेकिन वर्ष 2018 की गणना के मुताबिक यहां बाघों की संख्या भी बढ़ने लगी है। वर्ष 2014 में यहां 24 बाघ कैमरा ट्रैप में पाए गए थे। इस बार इनकी संख्या 29 तक पहुंच गई है। कर्तनिया घाट के मुकाबले दुधवा पार्क में बाघों की संख्या कम है। यहां ताजा गणना के अनुसार 20 बाघ ही मिले हैं।
दुधवा टाइगर रिजर्व तीन डिवीजन में बटा हुआ है। इनमें दुधवा पार्क के ही रेंज किशनपुर में 33 बाघ मिले हैं, जिन्हें पार्क के बाघों में नहीं गिना गया है। कर्तनियाघाट के सापेक्ष दुधवा पर नजर डालें तो यहां बाघों की संख्या में बहुत बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। वैसे तो वर्ष 2010 में गणना की रिपोर्ट अधिकारियों को नहीं मिली थी, लेकिन बताया जा रहा है कि उस समय लगभग 10 बाघ दुधवा में थे। वर्ष 2014 में यह संख्या बढ़कर 15 तक पहुंच गई। इस लिहाज से देंखे तो दुधवा और कर्तनिया घाट में लगभग एक समान ही बाघों की संख्या बढ़ी है, लेकिन कर्तनिया पहले से तेंदुओं की मौजूदगी के लिए विख्यात है। वहां बाघों की संख्या में इजाफा होना एक तरह से तेंदुओं की आबादी के लिए भी चुनौती साबित हो सकता है। हालांकि अधिकारियों का तर्क है कि बाघों की संख्या बढ़ने से तेंदुओं की आबादी पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। फिर बाघों की मौजूदगी वाले इलाकों पर नजर रखी जाएगी ताकि इनके संघर्ष को रोका जा सके।
जिम्मेदार की सुनिए
फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक कहते हैं कि वर्ष 2014 में डिवीजनों की अलग-अलग रिपोर्ट नहीं आई थी। कुल 68 बाघ होना बताया गया था। कर्तनिया घाट चूंकि नेपाल से बरदिया पार्क से जुड़ा हुआ है, इसलिए वन्यजीव दोनों ओर आते-जाते रहते हैं। यह कहा जा सकता है कि दुधवा से ज्यादा बाघ कर्तनिया घाट में मिले हैं।