पपीते की खेती से बढ़ी यूपी के किसानों की आय, जानें- कैसे कम लागत से होगी अधिक आमदनी
उत्तर प्रदेश में किसानों की आय को बढ़ाने में पपीता काफी कारगर साबित हो रहा है। कोरोना संक्रमण काल में तो इसका महत्व और बढ़ गया है। बाजार में इस फल की डिमांड पिछले दो साल में तेजी से बढ़ी है।
लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। किसानों की आय को बढ़ाने मे पपीता कारगर हो सकता है। कोरोना संक्रमण काल के दौरान इम्युनिटी बूस्टर के रूप में इस्तेमान होने वाले इस फल की खेती को लेकर उद्यान विभाग भी अनुदान दे रहा है। उद्यान विशेष बालीशरण चौधरी ने बताया कि वैश्विक महामारी कोविड-19 में अच्छा एंटी आक्सीडेंट होने के कारण पपीता की उपयोगिता काफी बढ़ गई है, जिससे यह अधिक उपयोग में लाया जाने लगा है। किसानों की आय बढ़ाने में कारगर है। एक एकड़ पपीते की संकर प्रजाति बोने में एक लाख रुपये का खर्च आता है। लागत का 50 फीसद उद्यान विभाग अनुदान देता है।
एक पेड़ में एक साल में 40 से 60 किग्रा पपीता होता है। मंडी में थोक में यह पपीता 10 से 15 रुपये प्रति किलो न्यूनतम दर से बिकता है। ऐसे में किसानों को एक एकड़ से चार से पांच लाख की बचत होती है। अधिक जानकारी केलिए किसान उद्यान विभाग से संपर्क कर सकते हैं। बख्शी का तालाब के चंद्रभानु गुप्ता कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय के सहायक आचार्य डा.सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि मार्च के पहले सप्ताह में अच्छी तरीके से खेत की तैयारी करके इसमे प्रति एकड़ 150 से 200 टन सड़ी हुई गोबर की खाद तथा ट्राइकोडरमा जैविक फफूंदी जनित उत्पाद का 20 किलोग्राम पाउडर खेत में अच्छी तरीके से भुरकाव कर दें जिससे उत्पादन बहुत अच्छा होगा। पौध रोपाई हेतु लाइन से लाइन की दूरी आठ फीट तथा पौधे से पौधे की दूरी सात फीट रखना चाहिए जिससे हवा का आवागमन होगा और उत्पादन अच्छा होगा।
पपीते में प्रमुख रूप से पौध गलन की अधिक समस्या रहती है इसके लिए जल निकास का उचित प्रबंध होना चाहिए। फलों की श्रेणी में पपीता एक ऐसा फल है जो एक वर्ष में खेत में तैयार हो जाता है और पूरे वर्ष फल देता है। पपीता पोषक तत्वों का पावर हाउस होता है इसके फल खाने में बहुत ही स्वादिष्ट होते हैं तथा यह बहुत ही स्वास्थ्यवर्धक होता है। पपीते में फलों के पकते समय एंथ्रेक्नोज बीमारी का अधिक खतरा रहता है इसके लिए सोडियम बाई कार्बोनेट का समय-समय पर एक प्रतिशत का छिड़काव करते रहना चाहिए जिससे इस समस्या से बचा जा सकता है।