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लखनऊ मेट्रो में नहीं बढ़ रहा यात्रियों का ग्राफ, हर साल प्रदूषण व बजट की बढ़ रही लागत; ये है बड़ी है वजह

लखनऊ मेट्रो के यात्रियों के यात्रियों का ग्राफ जो होना चाहिए था वह नहीं है। चालीस हजार यात्रियों को लेकर मेट्रो सफर कराने को विवश है। कारण मेट्रो रूट का विस्तार न होना है। वर्तमान में मेट्रो चौधरी चरण सिंह एयरपोर्ट से मुंशी पुलिया के बीच चल रही है।

By Rafiya NazEdited By: Published: Sun, 28 Feb 2021 09:47 AM (IST)Updated: Sun, 28 Feb 2021 09:47 AM (IST)
लखनऊ मेट्रो में नहीं बढ़ रहा यात्रियों का ग्राफ, हर साल प्रदूषण व बजट की बढ़ रही लागत; ये है बड़ी है वजह
लखनऊ मेट्रो में डेढ़ लाख के स्थान पर कर रहे सिर्फ 40 हजार लोग सफर।

लखनऊ, जेएनएन। लखनऊ मेट्रो के यात्रियों के यात्रियों का ग्राफ जो होना चाहिए था, वह नहीं है। चालीस हजार यात्रियों को लेकर मेट्रो सफर कराने को विवश है। कारण मेट्रो रूट का विस्तार न होना है। वर्तमान में मेट्रो चौधरी चरण सिंह एयरपोर्ट से मुंशी पुलिया के बीच चल रही है। वहीं अब तक यात्रियों का ग्राफ डेढ लाख के ऊपर होना चाहिए। नार्थ साउथ कॉरिडोर के डीपीआर में यह डेढ़ लाख की फीगर का उल्लेख जनवरी 2021 तक दिया गया था। उस वक्त चारबाग से बसंतकुंज मेट्रो को लेकर यह उम्मीद नहीं थी कि इस कॉरिडोर पर काम शुरू नहीं हो पाएगा।

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राजधानी में बढ़ते प्रदूषण और ट्रैफिक समस्या से निदान पाने के लिए लखनऊ मेट्रो का ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर की जरूरत है, लेकिन शासन में साल भर पहले भेजा गया डीपीआर आज तक पास नहीं हो सका। ऐसे में मेट्रो का विस्तार को लेकर संशय जताया जा रहा है। ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर सिर्फ साढ़े ग्यारह किमी. था। उद्देश्य था कि पुराने लखनऊ से नया लखनऊ पूरी तरह मेट्रो से कनेक्ट हो जाएगा। पुराने लखनऊ में रहने वाले लोगों को जाम, प्रदूषण से सरकार मुक्ति दिलाएगी। इसके लिए डीपीआर भी चारबाग से बसंतकुंज के बीच बनाया गया था। मेडिकल कॉलेज, अमीनाबाद, चौक में मेट्रो स्टेशन भी प्रस्तावित किए गए थे। उद्देश्य था कि मेट्रो पूरे शहर को जोड़ने में अहम भूमिका निभाती, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है।

हर साल बढ़ रही दस फीसद लागत साल

हर साल प्रोजेक्ट विलंब होने से दस फीसद की लागत बढ़ रही है। करीब साढ़े चार करोड़ का प्रोजेक्ट और हर स्टेशन मात्र अस्सी मीटर के बनने थे। पुराने लखनऊ में मात्र तीन कोच वाली मेट्रो प्रस्तावित की गई थी। उद्देश्य था कि सकरी गलियों में मेट्रो चलाने के लिए कम जमीन ली जाए। इसलिए छोटे स्टेशन प्रस्तावित किए गए थे। ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर में सात स्टेशन भूमिगत थे और पांच मेट्रो स्टेशन एलीवेटेड।


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