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बहुत खूब! अब रिमोट से बदलेगा कार और घर की खिड़की के ग्लास का रंग, एडजस्‍ट होगी पारदर्शिता Lucknow news

लखनऊ विश्वविद्यालय के शोध छात्र को मिली सफलता। घर और प्रतिष्ठान की खिड़कियों के लिए शीशे का आविष्कार।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sun, 08 Dec 2019 07:22 AM (IST)Updated: Sun, 08 Dec 2019 07:22 AM (IST)
बहुत खूब! अब रिमोट से बदलेगा कार और घर की खिड़की के ग्लास का रंग, एडजस्‍ट होगी पारदर्शिता Lucknow news
बहुत खूब! अब रिमोट से बदलेगा कार और घर की खिड़की के ग्लास का रंग, एडजस्‍ट होगी पारदर्शिता Lucknow news

लखनऊ [पुलक त्रिपाठी]। कभी-कभी घर और दफ्तर में बैठे-बैठे आपको धूप चुभने लगती है। आपको उठकर पर्दा गिराना पड़ता या जगह बदलनी पड़ती है। अब आपको ऐसा नहीं करना पड़ेगा। अपनी जगह बैठे-बैठे ही आप धूप का रुख बदल सकते हैं। यह भी संभव होगा खिड़कियों में लगने वाले विशेष ग्लास और एक रिमोट के जरिए। जी हां, यह आविष्कार किया है लखनऊ विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग के शोध छात्र गोविंद पाठक ने। इस ग्लास में आप अपनी इच्छानुसार रंग और अवस्था में बदलाव भी कर सकते हैं। ग्लास को पारदर्शी अवस्था देकर घर और प्रतिष्ठानों में दिन में उजाला और रात में बाहरी खूबसूरती का आनंद ले सकते हैं। 

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कुछ ऐसे इजाद किया डिवाइस

गोविंद पाठक बताते हैं कि लिक्विड क्रिस्टल में नैनो पार्टिकल और पॉलीमर को मिलाकर ऑप्टिकल स्टोरेज डिवाइस एवं स्मार्ट विंडो को तैयार किया गया है। इस विधि में लिक्विड क्रिस्टल के मिश्रण को दो ग्लास स्लाइड्स के बीच भरकर अल्ट्रावायलट किरणें डाली जाती हैं। यह ग्लास कंडक्टिंग होने के चलते विद्युत से प्रभावित होते हैं। यह तापमान से भी प्रभावित होते हैं, क्योंकि इसमें प्रयोग किया जाना वाला पदार्थ थर्मोट्रॉपिक होता है, जो तापमान के साथ रंग और अवस्था बदलता है। इस डिवाइस में विभिन्न प्रकार की आकृतियां फोटो आइसोमराइजेशन से बनाई जा सकती है। जिससे कंपनी को ग्लास पर लोगो डिजाइन करने में आसानी होगी। चूंकि लिक्विड क्रिस्टल पदार्थ कम ऊर्जा पर संचालित होते हैं। इसके चलते यह ऊर्जा संरक्षण में भी सहायक साबित होगा। 

कुछ ऐसे होगा इस्तेमाल

इमारत की खिड़कियों पर यह डिवाइस लगाकर रिमोट से संचालित किया जा सकेगा। इस विद्युत रिमोट से लिक्विड क्रिस्टल के अणु दिशा बदलते हैं। और शीशे के अंदर होने वाले रासायनिक क्रिया उसे पारदर्शी से अपारदर्शी और फिर अपारदर्शी से पारदर्शी बना देंगे। इसका प्रयोग जल्द ही कार के शीशों और सेना के जवानों द्वारा पहने जाने वाले हेलमटों में भी किये जाने की तैयारी है। 

इसलिए इजाद किया डिवाइस

गोविंद का कहना है कि भारत जैसे देश जहां हर मौसम में अलग-अलग तापमान होते हैं, इसलिए यहां के लिए उपयोगी साबित होगा। 

एक नजर इस युवा वैज्ञानिक पर

लखनऊ विश्वविद्यालय के शोध छात्र रहे गोविंद पाठक बेंगलुरु के सेंटर फॉर नैनो एंड सॉफ्ट मैटर साइंसेज संस्थान में रिसर्च एसोसिएट पद को जल्द ज्‍वाइन कर रहे हैं। इन्‍हें वर्ष 2018 में इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ फिजिकल साइंसेज (आइएपीएस) द्वारा यंग साइंटिस्ट अवार्ड से भी नवाजा गया है। वह सफलता का श्रेय लविवि के प्रोफेसर राजीव मनोहर और डॉ. अतुल श्रीवास्तव को देते हैं।


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