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शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय: लिखित परीक्षा में फेल अभ्यर्थियों को प्रयोगात्मक एग्जाम में दिया मनमाना अंक

शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में इसके पहले पीएचडी दाखिला को लेकर गड़बड़ी सामने आई थी। हालांकि विश्वविद्यालय के कुलपति ने अब इस मामले को लेकर जांच करने के निर्देश दिए हैं। वीसी प्रो. आरकेपी सिंह की ओर से बनाई गई जांच समिति की पड़ताल पूरी हो गई है।

By Vikas MishraEdited By: Published: Fri, 21 Jan 2022 04:03 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jan 2022 04:12 PM (IST)
शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय: लिखित परीक्षा में फेल अभ्यर्थियों को प्रयोगात्मक एग्जाम में दिया मनमाना अंक
पीएचडी दाखिले को लेकर हुई जांच में 63 से अधिक मामलों में नियमों को दरकिनार का मामला सामने आया है।

लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। शिक्षक, कर्मचारी नियुक्ति से लेकर पीएचडी दाखिले में गड़बड़ी को लेकर चर्चा में रहने वाले डा.शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में एक नया मामला सामने आने के बाद तत्कालीन कुलपति और परीक्षा नियंत्रक की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं। सूत्रों के मुताबिक, लिखित परीक्षा में फेल होने वाले विद्यार्थियों को प्रयोगात्मक परीक्षा में मनमाना अंक देकर पास कर दिया गया है। पहले चरण की जांच में 267 मामले सामने आए हैं। इसी के आधार पर तीन वर्षों में पास होने वाले सभी विद्यार्थियों की जांच शुरू हो गई थी। कुलपति प्रो. आरकेपी सिंह की ओर से बनाई गई जांच समिति की पड़ताल पूरी हो गई है।

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अगल सप्ताह रिपोर्ट जारी सौपी जाएगी। हालांकि इसे लेकर विवि प्रशासन अभी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। नाम न छापने की शर्त पर अधिकारी ने जांच समिति बनाने और गड़बड़ी की पुष्टि की है। डा.शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय व संबद्ध कॉलेजों में फेल को पास करने के खेल का राजफाश हुआ है। विशेष शिक्षा के नाम पर हुई गड़बड़ी 2015 से 2018 के बीच हुई थी। आननफानन जांच समिति का गठन कर जांच शुरू कर दी गई थी। अब रिपोर्ट आने के बाद कई मामले सामने आएंगे।  

पीएचडी में भी गड़बड़ी की गई जांचः इससे पहले 2014 में पीएचडी दाखिले को लेकर हुई जांच में 63 से अधिक मामलों में नियमों को दरकिनार का मामला सामने आया है। इसकी भी जांच पूरी कर ली गई है। इसमे कई शोधार्थियों का शोध भी पूरा हो गया है। ऐसे में अब शोधार्थी अपने प्रवेश को लेकर परेशान हैं। प्रवेश में तत्कालीन कुलपति के साथ ही परीक्षा नियंत्रक की भूमिका पर सवाल खड़े हो गए हैं। ऐसे में अब एक बार फिर आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो जाएगा।


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